किस पर बरसेंगे ये बाण?

By उमंग कुमार,

८००० मिसाइलों का कोई क्या कर सकता है​ ​? कहाँ-कहाँ तैनात होंगे इतने मिसाइल​ ​? किन-किन दुश्मनों के सिरों, ज़मीनों, घरों, अस्पतालों​ इत्यादि ​पर गिरेंगे यह अस्त्र? ​कितने बड़े या व्यापक युद्ध की आकांशा की जा रही है​ ​? ​यह पूछना वा​जिब ​​​ है ​क्योंकि अभी हाल ही में, अक्टूबर की खबर के मुताबिक़, भारत ने इस्रायल से ३२,००० करोड रुपयों की लागत से ८,००० से अधिक “स्पाइक” नामक मिसाइलों की खरीद पक्की की है | वैसे, यह ८,००० मिसाइल तो पूर्ती मात्र हैं – भारत के सेना की ज़रूरत ४०, ००० मिसाइलों की बताई गयी है | आप ही अंदाजा लगाइए की कितना भारी इंतज़ाम है यह |


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चूँकि ये अस्त्र ​इस्रायल ​से खरीदे जा रहें हैं, ​इतना तो दावे के साथ कहा जा सकता है की यह ​अस्त्र ​एक व्यवहारिक गारंटी के साथ ही नहीं, ​परन्तु ​पूरी तरह से प्रमाणित (“टेस्टेड”) आते हैं | और ​कोई ​​ ​ऐसे वैसे प्रमाणित नहीं​ – ​यानी, नाम के वास्ते, किसी कृत्रिम प्रयोगशाला में ​प्रमाणित ​नहीं ​- ​बल्कि एकदम ​असली, जीते-जागते​​, हांड-मांस वाले प्राणियों से परिपूर्ण​ प्रयोगशाला ​​में लेटेस्ट प्रमाण​ ​​का सर्टिफिकेट लेकर आते हैं ये अस्त्र | ​इस्रायल की प्रयोगशाला गाज़ा और अन्य फलस्तीनी कब्ज़ा किये हुए इलाके (“ओकुपाइड टेरिटोरी़ज़”) ​रही है |


Union Home Minister, Rajnath Singh and Israeli Prime Minister, Benjamin Netanyahu, during a meeting, at Tel Aviv, Israel on November 06, 2014.
Union Home Minister, Rajnath Singh and Israeli Prime Minister, Benjamin Netanyahu, during a meeting, at Tel Aviv, Israel on November 06, 2014.

विश्वास नहीं होतो आपको ? इस साल के ​जुलाई-अगस्त में ​इस्रायल-द्वारा गाज़ा आक्रमण – “ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज” – के बारे में लिखते हुए मानव-अधिकार संस्था, ह्यूमन राईट्स वांच​ (ह.र.व​) ​ने यह पाया की कई आक्रमण स्पाइक मिसाइल के माध्यम से हुए | और शायद पाठकों को याद होगा के एक ही दिन में, समुद्र-किनारे एक ही परिवार के चार बच्चे मारे गए थे​ ​| ह.र.व का अनुमान है की वह वार उन बच्चों पर स्पाइक​ मिसाइल से ही संपन्न हुआ |

भारत इस्रायल से ड्रोन हवाई-यान भी खरीदता है जो की छत्तीसगढ़ जैसे इलाकों में तथाकथित नक्सलियों को निशाना बनाने के लिए हैं या फिर हमारी सीमाओं पर निगरानी रखने के लिए होते हैं | ​ यह कोई इत्तेफाक की बात नहीं है की भारत के खरीदे हुए ड्रोन – जो की “हेरोन” के नाम से जाने जाते हैं – इस्रायल द्वारा लेबनान एवं गाजा में इस्तेमाल किये जा चुके हैं | और इस बार के इस्रायली धावे में इस्रायल ने “हर्मीज़” नामक ड्रोन से ​​स्पाइक मिसाइल​ चलाये थे | ​इस पुस्तक के मुताबिक़, इस्रायल “हर्मीज़”​ व “हेरोन”​ दोनों ड्रोन विमानों में ​​स्पाइक मिसाइल​ लगा कर उनका इस्तेमाल करता है | ​

​फलस्तीन के लोगों का दमन इस्रायल बेरहमी और बिना किसी अंजाम के डर से करता है | प्राय नियमित रूप पर, नाना प्रकार के विधानों और तिकडमों से इस्रायल फलस्तीनी क्षेत्रों – जैसे गाज़ा और वेस्ट बैंक – पर हमला बोल देता है | यह कहा जाता है की गाजा क्षेत्र में ८ साल से बड़े किसी भी बच्चे ने इस ग्रीष्म-काल जैसे ४ आक्रमण देख लिए हैं |

​इन आक्रमणों में ​​इस्रायल नाना प्रकार के अस्त्र-शस्त्र इस्तेमाल करता है – विभिन्न प्रकार के ​मिसाइल​, अत्यंत घातक विस्फोटक, हानिकारक या ज़हरीली गैस और अन्य कई परिबद्ध अस्त्र | कई डॉक्टरों व विशेषज्ञों ने ऐसे अस्त्रों के बारे में लिखा है और फलस्तीनी आम जनता के ऊपर उनके असरों के बारे में ब्यौरा दिया है | ​और तो और हरेक नए आक्रमण में ​​​इस्रायल​ नए नए अस्त्रों का प्रयोग करता है | ​

​इस बार के आक्रमण में भी ​​इस्रायल ने कई नए अस्त्र आजमाए जिनकी खुली चर्चा हुई | इन अस्त्रों के नियमित इस्तेमाल से ​​इस्रायल के अस्त्र-निर्माताओं को खूब फायदा होता हैं |
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​भारत अपनी सुरक्षा एवं प्रबलता के लिए आज दुनिया भर में सबसे बड़ा हथियारों का खरीददार है | मोदी सरकार ने इस बार के बजट में रक्षा क्षेत्र में विदेशी​ भागीदारी ​ २६% से ४९% कर ​दी ​ है |

संसार ​भर में फलस्तीन की मुक्ति के लिए और इस्रायल के दमन के खिलाफ “बीडीएस” (बायकाट, डाइवेस्ट्मेंट, सैन्क्शुन्स) आंदोलन चल रहा है | इस आंदोलन का एक लक्ष्य इस्रायली वस्तुओं का बहिष्कार – “बायकॉट” – है | ​जिस देश ने अपनी आज़ादी की लड़ाई में “बायकॉट”​ जैसी रणनीति को इतनी अहमियत दी, वह अस्त्रों के मामले में एक आधुनिक, विश्वव्यापी पुकार की साफ़ अव्हेलना कर रहा है | यही नहीं, इन अस्त्रों को खरीद कर एक तो भारत इस्रायल​ द्वारा फलस्तीनियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों को नज़रंदाज़ कर रहा है, ऊपर से भारत ऐसे अस्त्रों के निर्माण और इस्तेमाल के चक्र को बरक़रार रख रहा है | ​

तत्कालीन ​आवश्यकता यह है की भारत ​​​इस्रायल​ द्वारा अन्याय को रोके और शस्त्रीकरण की होड़ में ​​इस्रायल​ के “मिलिट्री-इंडस्ट्रियल​ कॉम्प्लेक्स”​​​ (सैन्य-शक्ति और उद्योग का सांठ-गाँठ) को बढ़ावा न दें | ​

भारत ​बहुत कोशिश कर रहा है अपने को एक उभरते हुए देश के रूप में प्रस्तुत करने के लिये | ​लेकिन अभी भी मानवीय विकास मापदंड में बहुत सुधार की ज़रूरत है – संयुक्त राष्ट्र (“यूनाइटेड नेशंस”) की २०१४​ रिपोर्ट के मुताबिक ​भारत​ ​दुनिया में १३५​ ​वे स्थान पर है | ​इस रिपोर्ट में हर देश के कई आंकड़े मापे जाते हैं – आर्थिक व सामाजिक | हमें भली-भाँती मालूम है की ​​भारत में कितने ही वर्गों का आर्थिक एवं सामजिक उद्धार कितना अनिवार्य है |

भारत ​चीन से जिस होड़ में लगा है – इस बात से अवगत रहना चाहिए की चीन ने बहुत सालों से सामाजिक मुद्दों पर बहुत ध्यान दिया है – शिक्षा, स्वास्थ्य , खाद्य आपूर्ति​ जैसी मामलों में उसने कई दशकों से भारी पूँजी-निवेष किया है | भारत अभी बहुत पीछे है उन महत्वपूर्ण इलाकों में |

अस्त्र-शास्त्र का विश्व में सबसे अधिक आयात करना कौन से गर्व की बात है जब आपके घर में प्राय सभी बुनियादी ज़रूरतों का अभी तक कोई इंतज़ाम या हल नहीं हुआ है? और ​वह ​​ आ​यात ​भी ऐसे देशों/विक्रेताओं से जो इन अस्त्रों से नियमित रूप से किसीका दमन करता हो – जिसमे खासकर असैनिक बच्चे और औरतें होती हैं |

ऐसे अत्याचार में भागी होने के बजाये हमें हर कोशिश करनी चाहिए की हम इस भयानक दमन और नाइंसाफी को पूरी तरह से रोक दें ​और फलस्तीनी मुक्ति संघर्ष का समर्थन करें ​|

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