काले धन से जुड़े तीन खाताधारकों के नाम उजागर हुए

By TCN News,

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार आज शीर्ष अदालत में काला धन मामले में विदेशी बैंकों में पैसा जमा करने वाले तीन खाताधारकों के नाम उजागर कर दिए हैं. सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए ताज़ा हलफनामे में यह फ़ैसला लिया है.


Support TwoCircles

जिन तीन खाताधारकों का नाम केन्द्र सरकार ने उजागर किया है उनमें राजकोट स्थित बुलियन ट्रेडर पंकज चिमनलाल लोढिया, डाबर ग्रुप के डायरेक्टर प्रदीप बर्मन और गोवा स्थित माईनिंग कम्पनी टिम्बलो प्राइवेट लिमिटेड के राधा एस टिम्बलो शामिल हैं. यह सूची जारी होते ही डाबर ग्रुप की तरफ़ से यह स्पष्टीकरण आया है कि प्रदीप बर्मन ने यह खाते तब खोले थे जब वे देश के बाहर रहते थे. स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया है कि हरेक आवश्यक क्षेत्र के तहत आयकर का भुगतान किया गया था लेकिन ऐसा लगता है कि विदेश में खाता खोलने वाले सभी लोगों को एक ही ब्रश से पेंट किया जा रहा है.


Black Money

आश्चर्य का विषय यह बना हुआ है कि कालेधन से जुड़े खाताधारकों में राजनीति से जुड़े एक भी व्यक्ति का नाम नहीं है. इस बाबत अरुण जेटली ने टाइम्स नाउ को दिए अपने इंटरव्यू में पहले ही कह दिया था कि भाजपा उन नामों का खुलासा राजनीतिक लाभ के लिए नहीं करेगी. लेकिन यह भी इशारा दिया था कि पिछली यूपीए सरकार के एक मंत्री का नाम इस फ़ेहरिस्त में शामिल हो सकता है. ऐसे में यह भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि इस मामले में केन्द्र सरकार की असल मंशा क्या है?

जेटली के बयान पर पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि काला धन रखने वालों की सूची का ‘बड़ा नाम’ कांग्रेस को कतई शर्मिंदा नहीं करेगा. चिदंबरम ने यह कहा था कि कालेधन की सूची में किसी नेता का नाम उसका निजी अपराध होगा और इसे किसी पार्टी से नहीं जोड़ सकते हैं.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि दूसरे देशों के साथ संधि होने के कारण वह विदेशी बैंकों मे खाताधारकों के नामों का खुलासा नहीं कर सकती. ज्ञात हो कि किसी विदेशी बैंक में खाता खोलना अवैध नहीं है, इसके लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की अनुमित लेना भी जरूरी नहीं है. आरबीआई के नियमों के मुताबिक़ कोई शख्स अपने विदेशी खाते में एक साल में सिर्फ़ सवा लाख डॉलर भेज सकता है. यदि इन खातों में जमा की गयी राशि सवा लाख डॉलर के ऊपर है, तो ही उसे काला धन के दायरे में गिना जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने राम जेठमलानी द्वारा दायर की गयी याचिका के आधार पर सरकार को निदेशित किया था कि वह कालेधन की दिशा में कार्य करने के लिए पुख्ता प्रयास करे. इसके बाद ही कुछ मजबूत कदम उठने शुरू हुए. बीच-बीच में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और मंत्रालयों को फटकार भी लगाई और पूछा कि इस दिशा में क्या कार्य हुआ? नाम न उजागर करने के फैसले ने भाजपा सरकार की बहुत किरकिरी भी करवाई. इस मामले में देखना शेष है कि राजनीतिज्ञों के नामों के फैसले पर केन्द्र सरकार का क्या रुख है?

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE