‘फाशिस्टों के पास जनसंघर्षों में भागीदारी की कोई विरासत नहीं’

By TwoCircles.net Staff Reporter

नई दिल्ली: काकोरी कांड के शहीदों के 88वें शहादत दिवस पर ‘इंकलाबी जन एकजुटता’ अभियान के तहत जामिया नगर के बटला हाउस में ‘नौजवान भारत सभा’ के कुछ नौजवान मार्च निकालकर क़ौमी एकता का पैग़ाम देते नज़र आए.


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क़ौमी एकता का पैग़ाम देने की नीयत से लोगों के बीच पर्चे बांटे गए. साथ ही नारों-गीतों के माध्यम से भी लोगों जागरूक करने की कोशिश की गई. इसके अलावा ‘नौजवान भारत सभा’ के नौजवान अपने भाषणों के ज़रिए लोगों को एकजुट होने का संदेश देते रहे.


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इस अभियान के बारे में बताते हुए ‘नौजवान भारत सभा’ से जुड़े अपूर्व मालवीय का कहना है, ‘हमारे क्रांतिकारियों की विरासत हमेशा क़ौमी एकता पर आधारित रही है. वे हमेशा धर्माधारित राजनीति के ख़िलाफ़ रहे हैं. जबकि आज तमाम कट्टरपंथी ताक़तें जनता को धार्मिक झगड़ों में उलझाकर उनकी वर्गीय एकजुटता पर प्रहार कर रही हैं. ऐसे में क्रांतिकारियों की मज़हबी एकता का संदेश हमारे सामने एक मिसाल की तरह है. हमें इस संदेश को जनता तक पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए और उसी कोशिश के तहत हम लोग यह मार्च निकालकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं.’

इस अभियान में शामिल नेहा का कहना है, ‘यूं तो आज के दिन फासिस्ट हिन्दुत्वादी भी काकोरी के शहीदों को ‘शत-शत नमन’ करने का पाखंड कर रहे हैं. लेकिन यह लोग देश की जनता को नहीं बताते कि बिस्मिल, अशफाकउल्लाह, राजेन्द्र लाहिड़ी, रोशन सिंह आदि साम्राज्यवाद विरोधी होने के साथ-साथ एक सच्चे सेकुलर लोकतांत्रिक गणराज्य के पक्षधर थे और साम्प्रदायिकता के धुर-विरोधी थे.’

फेबियन का कहना है कि संघियों को हिटलर, मुसोलिनी, फ्रांको, हेडगवार, गोलवरकर, सावरकर, मुंजे, गोडसे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी आदि की जयंतियां मनानी चाहिए. ऐसे लोग बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी आदि के नाम लेकर क्रांतिकारी विरासत को कलंकित कर रहे हैं.

ये नौजवान बताते हैं कि फासिस्टों के पास जनसंघर्षों में भागीदारी की कोई विरासत नहीं है. फासिस्ट बस भीड़ की हिंसा और उन्माद को भड़काकर बर्बर नरसंहार करवा सकते हैं, पर वे किसी उदात्त लक्ष्य के लिए लड़ने और कुर्बानी देने का साहस जुटा ही नहीं सकते. आरएसएस और किसी भी ब्रांड के हिंदुत्ववादियों ने राष्ट्रीय आन्दोलन में कभी हिस्सा नहीं लिया. अंग्रेज़ों से इनकी वफ़ादारी के वायदों, मुखबिरी और माफीनामों के दस्तावेज़ी प्रमाण मौजूद हैं.

स्पष्ट रहे कि 19 दिसम्बर को काकोरी काण्ड के शहीदों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक़उल्ला खां और रोशनसिंह का 88 वां शहादत दिवस था, जबकि राजेंद्र नाथ लाहिड़ी का शहादत दिवस 17 दिसम्बर को था. उन्हीं को याद करते हुए नौजवान भारत सभा ने 19-20 दिसम्बर को ‘इंकलाबी जन एकजुटता’ अभियान के तहत दिल्ली के विभिन्न इलाक़ों में जनसभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जुलूस का आयोजन करके लोगों को एकता का पैग़ाम देने की कोशिश की.

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