रमज़ान 1436 : जामा मस्जिद में सुकून बसता है

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.Net


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‘भाई, आप तस्वीरें खींचते हैं?’
‘हां’
‘मेरी तस्वीर खींचने का कितना लेंगे?’
‘कुछ भी नहीं, मैं ऐसे ही खींच देता हूं.’
‘नहीं, कुछ पैसे तो ले ही लीजिए.’
‘मुझे पैसे मत दीजिए, बस अपना नाम बता दीजिए और थोड़ा बहुत अपने बारे में…’
‘मेरा नाम अफ़रोज़ हाशमी है, पढ़ता हूं और रोज़ेदार हूं. आज बस यूं ही जामा मस्जिद घूमने चला आया. यहां सुकून बसता है.’

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