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पंच-नामा : सब्सिडी खत्म, केजरीवाल, बिहार में संघ का खेल, आज़म खां और जम्मू-कश्मीर

By TwoCircles.net staff reporter,

क्यों केजरीवाल अपनी पूर्ववर्ती सरकारों से अलग नहीं हैं और दिल्ली चुनाव से भाजपा गलत सीख क्यों ले रही है, आज़म खां क्या कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर क्यों ख़ास होता जा रहा है…..पांच खबरों की पड़ताल…

1. तैयार रहिये बिना सब्सिडी के सिलेंडरों का उपभोग करने के लिए
चौंकने से काम नहीं बनेगा. एलपीजी के घरेलू गैस सिलेंडरों को लेकर चली आ रही लम्बी जद्दोज़हद और परेशानियों के बाद अब ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि भारतीय मध्यवर्गीय उपभोक्ता जल्दी ही सब्सिडी से वंचित हो सकता है. नई दिल्ली में ‘ऊर्जा संगम’ का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात के संकेत दिए हैं. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जो लोग संपन्न हैं, वे सब्सिडी छोड़ दें. ‘जो लोग बाज़ार के दामों के गैस सिलेंडर खरीद सकते हैं, वे अपनी मर्ज़ी से सब्सिडी वाले सिलेंडर खरीदना छोड़ दें’, ऐसा कहा प्रधानमंत्री ने. कुछ दिनों से आधार कार्ड को बैंक खाते और एलपीजी ग्राहक कार्ड से जोड़ने के बाबत पूरे देश में जो उठापटक मची है, इस पूरे पचड़े का अर्थ था कि ग्राहक को गैस सब्सिडी सीधे बैंक के खाते में मिलेगी. सरकार अभी ‘अपनी मर्ज़ी से’ का दावा कर रही है, लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि कोई भी ग्राहक ऐसे फैसले कैसे लेगा. ज़ाहिर है कि सरकार इस फैसले को किसी न किसी रूप में ग्राहकों पर लागू करेगी और इसमें सरकार को ग्राहकों के बैंक खातों से सबसे अधिक मदद मिलेगी.


Azam Khan
(TCN file photo)

2. नई चाल पर केजरीवाल
ऐसा क्यों है कि हर बार सरकार बनने के बाद क्यों उनकी ही सरकार की कुर्सी डोलने लगती है? केजरीवाल की दिल्ली में सैकड़ों मजदूर जंतर-मंतर पर बुरी तरह से पुलिस की लाठियां खा रहे हैं, हाथ-पैर तुडवा रहे हैं. मामला प्रशान्त भूषण और योगेन्द्र यादव का है. पार्टी की कार्यप्रणाली और पार्टी के आतंरिक लोकतंत्र के बाबत योगेन्द्र यादव व प्रशान्त भूषण और और भी नीचे गिरती जा रही है. पार्टी की पीएसी के सभी पदों से हटाये जाने के बावजूद इन दोनों नेताओं ने पार्टी के मुखिया केजरीवाल को बहुत समझाने और बात सुनाने की कोशिश की, लेकिन उस दौरान केजरीवाल अपना इलाज करा रहे थे और आने के बाद भी नहीं सुना. पार्टी की जो भी बैठकें हो रही हैं, उनमें एक मुद्दा तो ज़रूर सामने आ रहा है कि यादव व भूषण को पार्टी से कैसे बाहर किया जाए. प्रेस क्लब में इन दो नेताओं की मीटिंग के बाबत भी अन्य नेताओं ने आरोप लगाए कि जगह की बुकिंग भाजपा ने करवाई थी. केजरीवाल हैं कि सुनने को तैयार नहीं, पार्टी है कि बखिया उधेड़ने से बाज़ नहीं आ रही. ऐसे में लोकतंत्र की वक़ालत करने वाले केजरीवाल का यह रवैया पूर्ववर्ती कांग्रेस सरीखा होता जा रहा है, जहां पार्टी की उठापटक को ऊपर बैठा निजाम कान बंद करके ही निपटाता था. ज़ाहिर है कि योगेन्द्र यादव की मांगें बेवकूफी भरी नहीं हैं, इसलिए आम आदमी पार्टी को ध्यान देना होगा कि यादव व भूषण की विदाई से पार्टी कोई बड़ा नुकसान न उठा बैठे.

3. कौन होगा भाजपा का मुख्यमंत्री प्रत्याशी
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जनता दल के महागठबंधन के बाद राज्य में कांग्रेस व भाजपा की हालत बुरे तरीके से पतली दिख रही है. भाजपा की तैयारी जीतन राम मांझी के साथ मिलकर राज्य में ‘महादलित’ का कार्ड खेलने की है. भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कई चेहरे हैं, लेकिन मामला तब पेचीदा हो जाता है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा को नसीहत दे देता है कि बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए प्रत्याशी की घोषणा चुनाव तक न की जाए. लखनऊ में भाजपा नेताओं और संघ के पदाधिकारियों के बीच हुई एक मीटिंग में संघ के दूसरे नम्बर के पदाधिकारी सुरेश ‘भईया जी’ जोशी ने पार्टी से यह बात कही है. ज़ाहिर है कि दिल्ली चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करने के बाद संघ और भाजपा दोनों फूंक-फूंककर कदम रखना चाहेंगे लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में पार्टी से ज़्यादा नेता के नाम पर वोट पड़ते हैं.

4. आज़म खां का खौफ़
उत्तर प्रदेश के काबीना मंत्री आज़म खां अपनी राजनीति से ज़्यादा अपने खौफ़नाक रवैये के लिए जाने जाते हैं. उनकी भैंस जब चोरी होती है तो पूरा पुलिसिया महकमा भैंस ढूंढने में लग जाता है. वे पार्टी के बाहर तो क्या पार्टी के भीतर भी किसी के खिलाफ़ कुछ भी बोल देते हैं तो कोई कुछ कह नहीं पाता. कक्षा 12 में पढ़ने वाले एक छात्र ने फेसबुक पर आज़म खां के खिलाफ़ टिप्पणी कर दी तो खां साहब ने लड़के को गिरफ़्तार करवा दिया. अब रामपुर की नगर कांग्रेस कमेटी के महासचिव फैसल खान लाला ने लड़के की ज़मानत करवा दी तो काबीना मंत्री के समर्थक कथित रूप से फैसल खान के पीछे पड़ गए. फैसल ने बताया कि उन्होंने उस लड़के की मदद तब की थी जब शहर में कोई भी उसके लिए तैयार नहीं था. फैसल के अनुसार आज़म खां के समर्थक सतून संग इलाके में बने उनके घर के पास समूह बनाकर आते हैं और नारेबाजी तथा गाली-गलौज करते हैं. इसीलिए उन्होंने इस हफ्ते की शुरुआत में राज्यपाल राम नाइक से मुलाकात करके सुरक्षा की गुहार लगायी है.

5. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बवाल
लोकतंत्र की खूबसूरती वहां खत्म हो जाती है, विरोध हिंसा का रूप ले लेता है. विरोध का ऐसा स्वरूप जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आज सुबह पावर प्रोजेक्ट के मामले में देखने को मिला. सदन की कार्रवाई के दौरान पॉवर प्रोजेक्ट की बात उठते ही कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के विधायक वेल में उतर आए. उन्होंने चिल्ला-चिल्लाकर सरकार के खिलाफ़ नारेबाजी करना और विरोध करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गयी कि विधायक हाथापाई पर उतर आए. राज्य शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने विधानसभा में हुई इस घटना पर निराशा ज़ाहिर की है. वजहों से ज़्यादा ज़रूरी यह बात है कि जिस समय सदन में यह सबकुछ हो रहा था, सुनते हैं कि उस वक्त कुछ स्कूली बच्चे भी सदन में मौजूद थे. वे सदन की कार्यप्रणाली देखने वहां आए हुए थे. उनके सामने ऐसी घटना का होना शर्मनाक भी है. मीडिया से बात करते समय कुछ परेशान से बच्चों ने भी अपनी निराशा ज़ाहिर की है.