Home India News यूपी चुनाव : किस खौफ में जी रहे हैं अमित शाह?

यूपी चुनाव : किस खौफ में जी रहे हैं अमित शाह?

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का बिगुल फूंक दिया गया है. इसी के साथ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ताकत झोंक दी है. इसी सिलसिले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लगातार रैलियां कर रहे हैं.

शनिवार को उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में भी रैलियां कीं. इन रैलियों में अमित शाह ने हुंकार तो ज़रूर भरी लेकिन अमित शाह के भाषण से उनकी घबराहट का साफ़ अंदाज़ लग सकता है.

शनिवार को बनारस के जगतपुर क्षेत्र में आयोजित रैली में अमित शाह ने प्रदेश के सभी दलों पर हल्ला तो बोला ही साथ में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर भी हल्ला बोल दिया. उन्होंने यह दावा किया कि नीतिश कुमार की पार्टी यूपी में एक भी सीट नहीं जीत पाएगी.

कुछेक महीनों पहले जद(यू) सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने बनारस में एक रैली की थी, जिसमें उनके साथ कांग्रेस के कई नेताओं ने भी हिस्सा लिया था. इसके बाद से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से इतर एक और सोशलिस्ट ध्रुव बनता देखा जा रहा है, जिसका भविष्य अभी स्पष्ट नहीं है. इसके बाद भी नीतिश कुमार ने उत्तर प्रदेश में कई रैलियों और जनसभाओं को अंजाम दिया है. इन रैलियों में उन्होंने बिहार चुनाव के एजेंडे को दोहराना शुरू किया है. ज्ञात हो कि इन्हीं एजेंडों के प्रभाव में बिहार में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था.

बनारस की रैली में अमित शाह ने कहा कि सुना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी यहां आते रहते हैं. इसके बाद उन्होंने बिहार सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में दिनोंदिन गुंडई बढ़ती जा रही है, उनसे बिहार तो सम्हल नहीं रहा है, वे उत्तर प्रदेश क्या सम्हालेंगे.

इसके साथ ही उन्होंने परम्परागत रूप से कांग्रेस और सपा पर भी हमले किए लेकिन नीतिश कुमार पर किए गए उनके हमलों से यह ज़ाहिर हो रहा है कि नीतिश कुमार की यूपी में आगत से भाजपा ज़रूर चिंतित हुई है. यह ज़ाहिर है कि बिहार में हाल में हुई आपराधिक कार्रवाइयों को भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव का मुद्दा बनाने की फ़िराक में है लेकिन अभी तक नीतिश कुमार ने शराबबंदी जैसे चालू और फौरी पत्ते ही चुनाव में खोले हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमित शाह का ‘नीतिशफोबिया’ कितना भयावह है?