दिल्ली में मानसून : पेड़ों से जान का ख़तरा

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

दिल्ली: दिल्ली में मानसून का आना जहां अच्छी ख़बर है, वही यह बुरी ख़बर भी है. बुरी ख़बर इस लिहाज़ से कि मानसून में पेड़ों के गिरने और लोगों की मौत का सिलसिला शुरू होने की आशंका एक बार फिर से बढ़ने लगी है. देश की राजधानी में पिछले मानसून में पेड़ गिरने से होने वाली मौतों का एक सिलसिला-सा है. कुछ सालों के आंकड़े इस इस बात की गवाही देते हैं.


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पिछले साल आज ही के दिन यानी 11 जुलाई, 2015 को दिल्ली में कुछ घंटों की बारिश और कुछ मिनटों की आंधी में दो लोगों की लाशों से दिल्ली की सड़क लाल हो गई थी. मृतकों में से एक ज़ाकिर हुसैन थे, जो बेटे का दाखिला एक इंजीनियरिंग कॉलेज में कराकर ईद का जश्न मनाने की नीयत से अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ने को ऑटो से स्टेशन जा रहे थे. रास्ते में अचानक ज़ाकिर हुसैन मार्ग पर एक पेड़ ऑटो पर गिरा और सबकुछ ख़त्म हो गया. वहीं दूसरी घटना दिल्ली के ही रोहिणी सेक्टर-13 की थी, जहां रमेश नाम के एक बुजुर्ग बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे छिपे हुए थे. अचानक वह पेड़ गिरा और रमेश की वहीँ मौत हो गयी. इसी दिन पेड़ गिरने की वजह से 6 लोग और भी घायल हुए थे.

इस मामले में और तहक़ीकात करने पर दिल्ली के उत्तरी जिले सिविल लाईन के अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस कार्यालय से आरटीआई से मिले महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि 30 मई, 2014 को थाना कोतवाली की चौकी लाल क़िला में डी.डी. संख्या 49/64PP में दर्ज एक आदमी की पेड़ गिरने से मौत की शिकायत दर्ज की गई थी, जिस पर पुलिस ने 174 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की. वहीं दक्षिण-पश्चिम जिले में भी पेड़ के गिरने से एक व्यक्ति के मौत का मामला दर्ज किया गया है.

दिल्ली के पश्चिमी जिले के थाने राजौरी गार्डेन से मिली जानकारी के मुताबिक़ पिछले तीन सालों में सिर्फ़ दिल्ली के पंजाबी बाग इलाक़े में ही पेड़ के गिरने से तीन लोगों की हुई. दिल्ली के मध्य जिले के दरियागंज अतिरिक्त उपायुक्त पुलिस कार्यालय से मिली रिपोर्ट भी बताती है कि पिछले पांच सालों में 2 लोगों की मौत पेड़ गिरने के कारण हुई है.

दिल्ली-35 के रामपुरा के सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र में पेड़ गिरने की वजह से 17 साल के एक बच्चे की मौत हुई, बच्चे के पिता को मुआवज़े के तौर पर एक लाख रूपये दिए गए.

पेड़ गिरने से होने वाली इन मौतों की संख्या भले ही बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन इन दर्दनाक मौतों के पीछे की कहानी काफी गंभीर है. इन घटनाओं में अधिकतर यह भी देखा गया है कि इस तरह के मामलों के रिकॉर्ड दिल्ली सरकार या पुलिस के पास भी नहीं है.
आरटीआई से मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि पिछले पांच सालों में हज़ारों से अधिक पेड़ खासतौर पर मानसून के मौसम में बारिश व आंधी में गिरे हैं.

चाणक्यपुरी के सब-डिवीज़नल मजिस्ट्रेट ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक़ इस क्षेत्र में पिछले तीन सालों में 20 पेड़ गिरे हैं. दिल्ली विकास प्राधिकरण, (उद्यान खण्ड -5) रोहिणी दफ़्तर से मिली जानकारी बताती है कि पिछले पांच सालों में कुल 144 पेड़ गिरे हैं.

दिल्ली विकास प्राधिकरण, (उद्यान खण्ड -3) जनकपुरी दफ़्तर से मिली जानकारी के मुताबिक़ पिछले पांच सालों में कुल 114 पेड़ गिरे हैं. वहीं जनकपुरी के उद्यान खण्ड-8 में 19 पेड़ गिरे हैं.

दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के हॉर्टीकल्चर विभाग के द्वारका ज़ोन से मिली जानकारी के मुताबिक़ पिछले पांच सालों में 119 पेड़ गिरे हैं. वहीं लोक निर्माण विभाग के हॉर्टीकल्चर विभाग के एम-114 ज़ोन में पिछले पांच सालों में 90 पेड़ गिरे हैं. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के उद्यान विभाग शाहदरा (उत्तरी) क्षेत्र में भी 82 पेड़ गिरे हैं.

एनडीएमसी के हॉर्टीकल्चर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले पांच सालों में 51 पेड़ गिरे हैं. एनडीएमसी के ही लोधी गार्डन अनुभाग में पिछले पांच सालों में 35 पेड़ गिरे हैं. जोर बाग अनुभाग में पेड़ गिरने की यह संख्या 69 है. ताल कटोरा अनुभाग में यह संख्या 47 है. नेहरू पार्क अनुभाग में यह संख्या 87 है. इसके अलावा ज़्यादातर सरकारी दफ़्तरों ने इस संबंध में जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा.

हैरानी की बात यह है कि इन सरकारी आंकड़ों के बावजूद सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है. सरकार के रुख से ऐसा लग रहा है कि सरकार इस सन्दर्भ में कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं करना चाहती, जिससे पेड़ों के गिरने के सिलसिले पर रोक लगाई जा सके. या इनके गिरने से होने वाले नुकसान को बचाया जा सके. हद तो यह है कि दिल्ली में होने वाली हर दुर्घटनाओं में मुआवज़ा दिया जाता है, लेकिन पेड़ गिरने से हुई मौत के शिकार हुए लोगों को मुआवज़ा देने का या उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाने का कोई प्रावधान सरकार के पास नहीं है. ऐसे में मानसून के महीने में यक़ीनन लोग भगवान भरोसे हैं.

दिल्ली में विभिन्न घटनाओं में मिलने वाली मुआवज़ा का ब्यौरा:

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