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‘तेजस्वी यादव में सीएम बनने की क़ाबलियत’ : वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दिक़ी

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना: बिहार के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने एक ख़ास बातचीत में लालूप्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए क़ाबिल ठहराते हुए कहा कि जब जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बन सकते हैं, तो दूसरा क्यों नहीं बन सकता. हालांकि इस बातचीत में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य के गर्भ में झांककर नहीं देखा जा सकता है.


TwoCircles.net के साथ एक ख़ास बातचीत में अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने यह बातें कहीं. अब्दुल बारी सिद्दीक़ी बिहार के क़द्दावर नेता हैं. बिहार में नयी सरकार के गठन के पहले यह चर्चा थी कि अब्दुल बारी सिद्दीक़ी को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके पहले भी जब रामविलास पासवान ने बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी, तब भी अब्दुलबारी सिद्दीक़ी का नाम ही चर्चा में था.

सियासत में संकेत बहुत मायने रखते हैं. इस जदयू-राजद के गठबंधन में राजद का पलड़ा ज़्यादा भारी है. ऐसे में यह बयान शायद बहुत कुछ कहती है. कुछेक दिनों पहले सरकारी योजनाओं के विज्ञापन में तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री की तस्वीर नहीं दी थी और खुद की तस्वीर के साथ विज्ञापन प्रकाशित किया था, जिस पर राजद और जदयू ने कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया. हो सकता है कि ये समीकरण बिहार में आगे आने वाली राजनीति की एक नई तस्वीर गढ़ सकते हैं.

6 महीने का लेखा-जोखा

6 महीने पूरे होने पर सरकार के काम का हिसाब पूछने पर अब्दुल बारी सिद्दीक़ी बताते हैं, ‘चुनाव के दौरान जिन बातों का वादा किया गया था, उन्हें 5 महीने में काफी हद तक पूरा किया गया है. महिलाओं को हर तरह की नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया. पूर्ण शराबबंदी की बात की थी, वो पूरा हो गया. गुड गवर्नेंस का जो वादा था, उसके लिए सरकार जी-जान से काम कर रही है.’


शराबबंदी से राजस्व को होने वाले नुक़सान के बारे में पूछने पर सिद्दीक़ी बताते हैं, ‘राजस्व के लिए हम अपने सूबे की आवाम को ज़हर तो नहीं पिला सकते ना? अगर हमारे चार हज़ार करोड़ रुपयों का नुक़सान हो रहा है तो जनता के भलाई के लिए हम ये नुक़सान उठाने को तैयार हैं. चार हज़ार करोड़ का नुक़सान उठाकर हम घर-गांव को बर्बाद होने से तो बचा रहे हैं.’



केंद्र पर निशाना साधते हुए वे कहते हैं, ‘इससे ज़्यादा नुक़सान तो केन्द्र सरकार के फंडिंग पैटर्न बदलने से हो रहा है. 66 केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के फंडिंग पैटर्न बदल गए हैं.’

केन्द्र सरकार द्वारा स्पेशल पैकेज दिए जाने के सवाल पर सिद्दीक़ी बताते हैं कि –‘हमें अभी भी उम्मीद है कि पीएम मोदी झूठ नहीं बोलेंगे. लेकिन सच तो यह है कि अब तक वो पैकेज नहीं मिला, जिसका वादा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में आकर किया था.’


अल्पसंख्यक विभाग का बजट कम क्यों?

बिहार के वर्तमान बजट में अल्पसंख्यक विभाग का बजट पहले के मुकाबिले घटा दिया गया है. इस संबंध में अब्दुल बारी सिद्दीक़ी का कहना है, ‘हो सकता है कि थोड़ी कमी की गई हो. लेकिन हम दूसरी योजनाओं में और दूसरे विभागों के कामों में अल्पसंख्यकों का ख़ास ध्यान रखने वाले हैं. सात अल्पसंख्यकबहुल ज़िलों में स्कूल-कॉलेज खोलना, इंजीनियरिंग कॉलेज खोलना, आईटीआई खोलना, पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलने जैसे कामों पर सरकार की विशेष तवज्जो रहेगी. अल्पसंख्यक इलाक़ो में कौशल विकास केन्द्र खोला जाएगा.’


स्पष्ट रहे कि इस साल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट सिर्फ़ 294 करोड़ है, जबकि साल 2015-16 में यह बजट 299.38 करोड़ का बजट रखा गया था. पूरी बातचीत ऊपर दिए गए इन वीडियो में देखी जा सकती है.