Home Indian Muslim सिमी-जेलब्रेक-एनकाउन्टर मामले में इन प्रश्नों का जवाब अभी तक नहीं मिला है

सिमी-जेलब्रेक-एनकाउन्टर मामले में इन प्रश्नों का जवाब अभी तक नहीं मिला है

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

भोपाल: कल आधी रात प्रतिबंधित संगठन सिमी(स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के कथित रूप से जुड़े आठ युवक भोपाल के केन्द्रीय कारागार से भाग निकले. प्रशासन द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार जेल की चारदीवारी को फांदने के लिए इन कैदियों ने चादरों का इस्तेमाल किया और साथ ही साथ जाते-जाते हेड कॉन्स्टेबल की ह्त्या भी कर दी.

इन कैदियों को भागे कुछ देर ही हुई थी. कि यह खबर आने लगी कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इन सभी कैदियों को मुठभेड़ में मार गिराया है. भोपाल के आईजी योगेश चौधरी के मुताबिक जेल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ईंटखेड़ी गांव में इन आठों ‘आतंकियों’ को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया.

पुलिस के मुताबिक मारे गए इन कैदियों के पास भी हथियार मौजूद थे, जिनकी वजह से यह एनकाउंटर लगभग एक घंटे तक चला. कैदियों और पुलिस के बीच क्रॉस-फायरिंग में पुलिस के दो जवान भी घायल हुए हैं.

कथित रूप से सिमी से जुड़े हुए जो कैदी फरार हुए हैं, उनके नाम हैं : अमज़द, ज़ाकिर हुसैन सादिक़, मुहम्मद सालिक, मुजीब शेख, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अक़ील और मजीद.

घटना के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य पुलिस की पीठ थपथपाई है, लेकिन साथ ही साथ उन्होंने एनआईए द्वारा जेल से भागने की घटना की जांच की मांग की है.

इन सबके बावजूद कुछ मौलिक प्रश्न हैं, जिनके जवाब के बिना जेल ब्रेक से लेकर एनकाउंटर तक के पूरे मामले पर सही रोशनी नहीं पड़ सकती है. इन प्रश्नों के साथ यह बात भी ध्यान में रखी जानी चाहिए कि भोपाल स्थित यह जेल पूरे मध्य प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है. भोपाल सेन्ट्रल जेल की अचूक सुरक्षा को देखते हुए कुछ सालों पहले मध्य प्रदेश में पकड़े गए सभी सिमी कार्यकर्ताओं को इसी जेल में स्थानांतरित किया गया था.

1. ईंटखेड़ी, जिस गांव में पुलिस और इन आठ कैदियों के बीच हथियारबंद मुठभेड़ हुई, भोपाल सेन्ट्रल जेल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. रात दो बजे जेल तोड़कर भागे कैदी लगभग आठ घंटे बाद इस गाँव में मारे जाते हैं. जेल तोड़कर भागे कैदी आठ घंटों में सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी(असल दूरी इससे कम भी हो सकती है) पैदल तय कर पाए? क्या आठ घंटों के दरम्यान क्या वे और ज़्यादा दूर नहीं जा सकते थे?

2. जेल से भोपाल रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. क्या आठ घंटों में ईंटखेड़ी गांव जाने के बजाय रेलवे स्टेशन जाने की कोशिश नहीं की जा सकती थी? या जेल से ज़्यादा नजदीक मौजूद भोपाल शहर में दाखिल नहीं हुआ जा सकता था?

3. आम तौर पर झुण्ड में फरार हुए कैदियों के मामले में देखा जाता है कि फरार होने के बाद से सभी कैदी एक दूसरे से अलग हो जाते हैं. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. सभी कैदी एक साथ भागे और आखिर तक एक साथ बने रहे. इस मामले में ऐसा लगता है कि इन कथित आतंकियों का ऐसा करना बेशक गैर-पेशेवराना है.

4. आईजी योगेश चौधरी ने दावा किया कि इन कैदियों के पास से हथियार बरामद किए गए. अब पुलिस इस बात की जांच करेगी कि इन कैदियों तक हथियार कैसे पहुंचे. लेकिन बात उठती है कि हथियार जैसी चीज़ का इंतजाम कर लेने में सक्षम कैदी क्या भागने के लिए किसी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर सके?

5. प्रश्न तो यह भी उठता है कि जेल से भागने के तुरंत बाद कैदियों को हथियार की ज़रुरत क्यों पड़ी? फौरी तौर पर वे किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचना चाहते, लेकिन पुलिस की थ्योरी का भरोसा करें तो मालूम होता है कि कैदी जेल से भागने के बाद ही किसी आतंकी घटना की तैयारी में जुट गए थे.

6. हथियारों के सम्बन्ध में एक और रोचक बात सामने आती है. इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री और आईजी के बयानों में अंतर पसरा हुआ है. गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर अपने बयान में किसी हथियार की मौजूदगी से इनकार कर देते हैं लेकिन वहीँ आईजी योगेश चौधरी के मुताबिक कैदी हथियारों से लैस थे.

7. अब वापिस कैदियों के भागने पर आएं तो मध्य प्रदेश की सबसे अधिक सुरक्षित और चाक-चौबंद जेल से कैदी सिर्फ चादरों के सहारे भागने में कैसे कामयाब रहे? पुलिस का कहना है कि उन्होंने रास्ते में एक हेड कॉन्स्टेबल का गला रेत दिया. तो क्या इतनी बड़े केन्द्रीय कारागार में उनके रास्ते सिर्फ एक हेड कॉन्स्टेबल पड़ा? कोई संतरी या कोई भी हवालदार नहीं?

8. जिस हथियार से कैदियों ने हेड कॉन्स्टेबल का गला रेता उसे चम्मच का बना बताया जा रहा है. क्या चम्मच इतना धारदार हो सकता है कि उससे किसी का गला रेता जा सके? क्योंकि इतना तो साफ़ है कि भारतीय जेलों में खाना खाने के लिए चाकू और कांटे नहीं दिए जाते हैं. न ही कोई अन्य धारदार बर्तन या सामान.

9. इस मामले में प्रशासन की ओर से न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है, और न ही कोई विज्ञप्ति. देर दोपहर तक मीडिया को जेल के बाहर ही रोक दिया गया था. प्रशासनिक अधिकारी अधिकतर वक़्त प्रश्नों का सामना करने से बचते रहे. ऐसे में ‘ऐसा क्यों’ का सवाल उठना लाजिम है.

10. यह एनकाउंटर कितने बजे हुआ, इसका जवाब पुलिस ने अभी तक नहीं दिया है. स्थानीय सूत्रों की मानें तो दिन में क़रीब दस से साढ़े दस के बीच यह खबर आई कि एनकाउंटर हो गया है, लेकिन समय की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मुहैया करायी गयी है.

11. इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिस अधिकारी कुछ लाशों पर गोलियां चला रहे हैं और उनकी कमर में हथियार खोंस रहे हैं. माना जा रहा है कि यह वीडियो उसी एनकाउंटर का है, लेकिन अभी तक आधिकारिक रूप से इस वीडियो का कोई खंडन नहीं किया गया है.