मुरादनगर : यहां से किस नेता की होगी मुराद पूरी?

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

मुरादनगर/गाज़ियाबाद : आज से क़रीब चार सौ साल पहले मुराद गाज़ी ने इस मुरादनगर को बसाया था. मुराद गाज़ी मुग़लिया सल्तनत में सेनापति थे. उनका एक लंबा इतिहास है. ठीक वैसे ही मुरादनगर में कांग्रेस का भी एक इतिहास है. इस बार फिर कांग्रेस अपना इतिहास दोहराने के कगार पर नज़र आ रही है.


Support TwoCircles

गाज़ियाबाद की विधानसभा सीट मुरादनगर में बुधवार को राहुल गांधी ने एक जनसभा को संबोधित किया. राहुल को देखने के लिए यहां के लोगों का पागलपन देखने लायक था. जैसे ही राहुल अपनी सभा ख़त्म करके अपनी गाड़ी से निकले, लोग बैरिकेड तोड़ कर उनकी गाड़ी के पीछे भागने लगे. पुलिस ने उन्हें रोकने की लाख कोशिश की, लेकिन लोग नहीं रूके.

TwoCircles.net ने मुरादनगर विधानसभा सीट का दौरा किया. हमने लोगों के मन को टटोलने की कोशिश की कि आख़िर यहां के लोगों का वोट इस बार किसे जाएगा?

चुंगी नम्बर तीन हकीमपुरा इलाक़े में रहने वाले मोहम्मद ईनाम स्पष्ट तौर कहते हैं, ‘हम तो वोट कांग्रेस के प्रत्याशी को ही देंगे. और मैं ही क्या मेरा पूरा मुहल्ला देगा.’ ‘क्यों’ पर उनका जवाब था, ‘मैं कबाड़ का काम करता हूं. मोदी राज में हमारा काम अब बंद पड़ा है. जबकि कांग्रेस राज में ऐसा नहीं होता था.’ काम बंद होने के लिए मोदी राज ज़िम्मेदार कैसे है? इस सवाल पर उनका जवाब था, ‘कांग्रेस राज में कबाड़ का रेट कभी भी इतना ऊपर नीचे नहीं हुआ. लेकिन इस राज में तो हमारा ही कबाड़ा निकल गया है. मुझे लाखों का नुक़सान हो गया.’ ईनाम ने अब कबाड़ का काम बंद करके घर के अंदर ही किराने की दुकान खोल ली है.

पर ये तो यूपी का चुनाव है? इस पर वो तुरंत बोलते हैं, ‘हमें पता है कि राहुल यहां के सीएम नहीं बनेंगे, पर राहुल का दोस्त अखिलेश तो सीएम बनेगा ना’ फिर वो चुटकी लेते हुए कहते हैं, ‘यहां तो भक्तों ने अफ़वाह उड़ा दी है कि मोदी यूपी में सीएम बनेंगे. बताईये इन बेवकूफ़ों को कौन समझाए.’

इसी इलाक़े में रहने वाली 45 साल की संजीदा बताती हैं, ‘अभी मेरे दिल में किसी का नाम नहीं, जहां सब कहेंगे वहीं दे देंगे. वैसे मुहल्ले में पंजे का बोलबाला है. सब उसी को वोट देने के लिए कह रहे हैं.’

लेकिन शाहपुर बमहेटा गांव में रहने वाले 53 साल के मूलचंद मित्तल का कहना है, ‘यहां तो भाजपा की लहर है. हम लोग कमल को ही वोट देंगे.’

हालांकि वो यह भी कहते हैं, ‘पिछला विधायक वहाब चौधरी तो कभी हमारे क्षेत्र में झांकने तक नहीं आया. यही कहानी जनरल वीके सिंह की है. हमने जिताकर सांसद बना दिया लेकिन उसके बाद आज तक कहीं वो नज़र नहीं आए. यहां जो भी विकास हो रहा है, वो बेचारे यहां के पार्षद ही अपनी निधि से करवा रहे हैं.’

बृज विहार इलाक़े में रहने वाले 38 साल के लियाक़त मल्लिक का कहना है, ‘हम लोगों ने पिछली बार बसपा को वोट दिया, लेकिन इस बार मायावती ने वहाब चौधरी को मोदी नगर भेज दिया, तो ऐसे में अब हम बसपा को वोट क्यों दें. हम सबका वोट तो अब सपा-कांग्रेस गठबंधन को जाएगा. और वैसे भी क्या भरोसा मायावती जीतने के बाद भाजपा के साथ मिल जाएं.’ ऐसी ही बातें शौकत अली और इरशाद अंसारी की भी हैं.

हालांकि 33 साल के टीटू जाटव का कहना है, ‘हम तो वोट बसपा को ही देंगे. वैसे भी अखिलेश ने हमें दिया क्या है. वहीं मोदी ने भी हमसे सिर्फ़ झूठे वायदे ही किए हैं. 15 लाख की बात तो दूर हमारे अकाउंट में 15 रूपये भी नहीं आए. दोनों ही सरकारों ने युवाओं को रोज़गार देने का वादा किया था, लेकिन मैं आज तक बेरोज़गार हूं. सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है.’

बताते चलें कि मुरादनगर ज़िला गाज़ियाबाद में आता है. मुरादनगर विधानसभा सीट से इस बार 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने सुरेन्द्र प्रकाश गोयल, भाजपा ने अजीत पाल त्यागी, बसपा ने सूधन कुमार, रालोद ने अजय पाल सिंह, लोकतांत्रिक मानवतावादी पार्टी रामाश्रय प्रसाद, नेशनल यूथ पार्टी ने रोहताश सिंह चौहान तो स्वतंत्र जनतंत्र पार्टी ने संजीव कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है. इसके अलावा अरूणेश कुमार तेवटिया, ताज मुहम्मद, नत्थू सिंह चौधरी, मूलचंद, रवि दत्त और दिशांत त्यागी बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि मुरादनगर विधानसभा से 2012 में यहां बसपा के वहाब चौधरी की जीत हुई थी. उन्हें कुल 57,103 वोट मिले थे. वहीं इस बार के भाजपा प्रत्याशी अजीत पाल त्यागी के पिता राजपाल त्यागी को 53,481 वोट हासिल हुए थे. तब इनके पिता सपा में थे. हालांकि इससे पूर्व राजपाल त्यागी न सिर्फ़ विधायक बने बल्कि यूपी के ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे. मुरादनगर के आम लोगों की मानें तो इस बार भी लड़ाई कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों के बीच है.

हालांकि लोगों का यह भी मानना है कि निर्दलीय उम्मीदवार दिशांत त्यागी कईयों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. दरअसल, दिशांत त्यागी शिवपाल के क़रीबी थे, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन की वजह से यह सीट कांग्रेस को चली गयी. बताते चलें कि मुरादनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस चार बार जीत हासिल कर चुकी है, वहीं एक बार ये सीट बसपा व सपा के खाते में गई है. यहां मतदान 11 फरवरी को है.

 

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE