यूपी चुनाव में ओवैसी का ‘ट्रिपल तलाक़’ फार्मूला

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

लखनऊ : तीसरे चरण के मतदान के मद्देनज़र ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) के सरबराह असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव प्रचार अभियान में अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है. उन्होंने गुरूवार को हरदोई, बाराबंकी के बाद अपनी तीसरी सभा लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में समनान गार्डेन में की. यहां अपने संबोधन में आज सीएम अखिलेश को पीएम मोदी का छोटा भाई बताते हुए जमकर प्रहार किया. 


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अपने संबोधन में अपने वोटरों को सुझाव दिया कि 19 तारीख़ को वो ‘ट्रिपल तलाक़’ फार्मूला अपनाए. उन्होंने कहा, ‘अब मोदी जी तीन तलाक़ के पीछे पड़ गए. उनकी मोहतरमा कहां हैं. आप से मैं आखिर में कह रहा हूं कि जब पोलिंग करने जाओ तो पहला तलाक़ समाजवादी पार्टी को, दूसरा तलाक़ मोदी को और तीसरा तलाक़ बसपा को. ये तलाक़… तलाक़… तलाक़… करके आपको दूल्हा बनकर आगे बढ़ना है और अपनी पार्टी को कामयाब करना है.’

ओवैसी आज अपने भाषण में युवाओं को अखिलेश की सच्चाई जानने के लिए मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बलात्कार पीड़ितों को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशमनल की आई हालिया रिपोर्ट को पढ़ने और उसे सोशल मीडिया पर वायरल करने की भी सलाह दी. इतना ही रिपोर्ट में दर्ज कई पीड़िताओं की दर्दनाक कहानियों से भी इस सभा में मौजूद लोगों को रूबरू कराया. 

ओवैसी के निशाने पर खासतौर पर अखिलेश यादव रहें. उन्होंने बताया कि इस बार यूपी चुनाव में अखिलेश के 22 रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं. खासतौर अपर्णा यादव पर चुटकी ली और बताया कि कैसे सेकुलर अपर्णा मोदी के साथ सेल्फी लेने के लिए बेक़रार थी. आगे अखिलेश के घर शादी में पीएम मोदी के साथ ‘वन मोर सेल्फी’ पर भी चुटकी लिया.

निशाने पर पीएम मोदी भी रहे. ओवैसी ने पीएम मोदी को अखिलेश का बड़ा भाई बताया. उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी ने कहा था कि देश के बेरोज़गार नौजवानों को हर साल एक करोड़ नौकरियां दुंगा, लेकिन केन्द्र सरकार लेबर डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट बताती है कि 2016 में सिर्फ़ डेढ़ लाख नौजवानों को ही नौकरी मिली और उससे अधिक लोग बेरोज़गार हुए. अच्छे दिन नहीं आएं. 15 लाख नहीं आएं. मुल्क से दहशतगर्दी का ख़ात्मा नहीं हुआ.’

ओवैसी ने मोदी के पाकिस्तान जाने पर भी चुटकी ली. उन्होंने कहा कि, ‘मोदी जी ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री बनुंगा तो पाकिस्तान की बिरयानी नहीं खाउंगा, मगर अफ़गानिस्तान जाते-जाते जब मालूम हुआ कि नवाज़ शरीफ़ के घर में लाहौरी कबाब बन रही है तो मोदी जी वहां पहुंच गए. और जिस तरह एयरपोर्ट पर नवाज़ शरीफ़ और मोदी हाथ थामें चल रहे थे, ऐसा लग रहा था कि किसी मेले में दो भाई गुम होने के बाद फिर से मिले हैं.’ 

हालांकि इस पूरे भाषण में मायावती इनके हमले से बची नज़र आईं. बल्कि ओवैसी ने दलितों वोटों को अपने पक्ष करने के हथकंडे भी अपनाएं और कहा कि, ‘जिस तरह से कांशीराम ने मज़लूम भाईयों को इज़्ज़त दिलाई, असदुद्दीन ओवैसी जब तक ज़िन्दा है, ज़िन्दगी भर उनके लिए यूपी में काम करेगा और उनके इंसाफ़ के लिए लड़ता रहेगा.’

बताते चलें कि ओवैसी यहां लखनऊ पश्चिम से खड़े अपने उम्मीदवार मो. तौहीद सिद्दीक़ी उर्फ़ नजमी के लिए प्रचार कर रहे थे. 

यहां यह भी बताते चलें कि लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में 22 फ़ीसद मुसलमान वोटर हैं और तमाम पार्टियों की नज़र इन्हीं वोटों पर अधिक है. हालांकि यहां मुसलमानों के बाद 18 फ़ीसद ब्रह्मण और 11 फ़ीसदी कायस्थ वोटर हैं. इस सीट पर 17 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 9 उम्मीदवार मुसलमान हैं. सपा, बसपा, सीपीआई और मजलिस ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि यहां 22 फ़ीसद मुस्लिम वोटर होने के बावजूद यहां से अब तक सिर्फ़ तीन बार ही मुस्लिम विधायक चुना जा सका है. 1974 में कांग्रेस से मो. शकील, 1985 में कांग्रेस के ही ज़फ़र अली नक़वी और 2012 सपा के मो. रेहान चुनाव जीत कर विधायक बने. यहां यह भी बता दें कि इस सीट पर 1967 से अब तक 14 बार चुनाव हो चुके हैं. जिसमें सात बार भाजपा और चार बार कांग्रेस का क़ब्ज़ा रहा है. सपा सिर्फ़ पिछले साल यहां चुनाव जीत सकी थी.  

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