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राजा भईया अंसारी नहीं, इसलिए अखिलेश को उनसे कोई समस्या नहीं है – अफज़ाल अंसारी

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

गाजीपुर: पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके बनारस के अंसारी परिवार के थिंक टैंक कहे जाने वाले अफजाल अंसारी ने TwoCircles.net के साथ कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने अपने परिवार का देश की आजादी में योगदान और छोटे भाई मुख्तार अंसारी की विचारधारा पर बात की. अफजाल एक बेहद परिपक्व राजनेता हैं और लोग उनकी सियासी समझ के लोग कायल हैं. अफजाल अंसारी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी बताए जाते हैं और सपा के टिकट पर ही वो सांसद और विधायक चुने गए थे. मगर उनके दल कौमी एकता दल के विलय को लेकर समाजवादी सुल्तान अखिलेश यादव पक्ष में नहीं थे. अखिलेश यादव मुख्तार को अपने झंडे के नीचे नही लेना चाहते थे. सपा में आए उबाल की एक वजह कौमी एकता दल से समझौते को समझा जा सकता है. पढ़िए बातचीत –

लम्बे राजनीतिक अनुभव के बावजूद आप धोखा खा गए?

अब धोखे को समझ पाना किसी भी साफ सुथरे इंसान के लिए मुश्किल है. अब मुलायम सिंह यादव ने हमें बुला लिया, राज्यसभा की अहमियत बहुत बढ़ गयी. हमसे मदद चाहते थे. उन्होंने कहा कि अगर आप हमारे साथ होते तो बलिया से नीरज शेखर ना हारते. दोनों मिलकर तीन लोकसभा जीत जाते और 44 विधानसभा पर आप लड़े. एक होते तो सब जीतते. मुलायम सिंह से पुराने ताल्लुक हैं. मुलायम सिंह कह रहे थे कि फिरकापरस्त ताक़तों से लड़ना होगा, मुल्क को जरूरत है, हमने रजामंदी दे दी.

आपको कभी नही लगा कि अखिलेश यादव आपसे नाराज़ हैं?

लगा मगर हमने समझा नेता जी(मुलायम सिंह यादव) मैनेज कर लेंगे. जॉइनिंग मे अखिलेश नही पहुंचे थे, वो कुछ मीडियाकर्मियो के इशारे पर चल रहे थे. हमारी बेइज़्ज़ती हुई, हमसे समर्थन क्यों मांग रहे थे? साम्प्रदयिक सोच वाले मीडिया के लोग हमसे नाराज रहते हैं.

आपसे इतनी नाराजगी क्यों? आपके परिवार का अतीत तो गौरवशाली रहा है?

मेरा घर लूट लिया गया था. बिहार की सीमा से सटी जगहों पर ज़मींदार ज्यादती करते हैं. हमारे दादा फरीदुदीन अंसारी ने अपनी सारी जमीन अपनी मां के फातिहा पर गरीबो में बांट दी. हमारे अब्बा सुभानल्लाह अंसारी भी स्वतंत्रता सेनानी रहे, वो मोहम्मदाबाद के चेयरमैन रहे. सीमा के अंतर्गत आने वाली जमीनों पर गरीबों को बसा लिया. हमारे ननिहाल में एक उमर फारुख साहब हैं. वो 16 साल बनारस के कोतवाल रहे और एक भी साम्प्रदायिक दंगा नही हुआ. उनके एक बेटे उस्मान बलूच रेजिमेंट में थे. सेना भी बंटी और पंजाब बंटा, बंगाल बंटा मगर ब्लूचिस्तान नहीं बंटा. वे पहले अफसर थे जिन्होंने ब्लूचिस्तान रेजिमेंट से इस्तीफा दिया. जिन्ना ने उन्हें पाक सेना प्रमुख पद का ऑफर दिया, मगर हिन्दुस्तान के ब्रिगेडियर का पद चुना. फिर उन्हें कश्मीर कमांडर बनाकर भेज दिया गया. उस्मान ने कहा था कि जब तक कश्मीर नहीं जीत लेंगे, तब तक जमीन पर नहीं जाऊंगा. उन्होंने झंगर जीत लिया, नौशेरा वापस ले लिया, खुद लड़े, पाकिस्तान की सेना उनसे इतनी नफरत करती थी कि उनके सिर पर 50 हजार रुपये का इनाम रख दिया. 3 जुलाई को उनकी टुकड़ों में बंटी लाश को अब्बू चादर में लेकर आए. हर साल हम उन्हें याद करते हैं. पाकिस्तान भी उन्हें कभी नहीं भूल सकता है. उनसे कश्मीर छीनकर हमें वापिस किया, उनके बारे में बात करते हैं तो आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जुल्म के खिलाफ लड़ना हमारे खून में है.

फिर लोग आपके खिलाफ क्यों हैं?

डॉक्टर एम.ए. अंसारी को कौन नहीं जानता. उनके नाम से दिल्ली में सड़कें हैं, मोतीलाल नेहरू उन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त मानते थे. 18 लोग हमारे परिवार में फ्रीडम फाइटर हैं. लेकिन हम मुसलमान हैं इसलिए कुछ लोग खिलाफ हैं. बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी हैं, उन्होंने आज तक कभी किसी को गाली नहीं दी मगर मुक़दमा उनके ऊपर मुकदमा है.

आपके भाई मुख्तार अंसारी हमेशा रडार पर रहते हैं?

मेरे छोटे भाई मुख्तार अंसारी चार बार के विधायक हैं. वो जालिमों के खिलाफ खड़े होते हैं और हम ऐसा करते रहेंगे. हम गरीबो के साथ हैं और रहेंगे.

मगर अखिलेश यादव तो ऐसा नहीं समझते?

अखिलेश यादव को उम्र के साथ अक्ल आ जाएगी. अभी उनमे घमंड है. जिसको खत्म करना होता है, खुदा उस आदमी में अहंकार डाल देता है. 11 को यह अहंकार खत्म हो जायेगा. गाजीपुर से ग़ाज़ियाबाद तक इसका असर जाएगा.

पूर्वांचल में आप कितना असर डाल देंगे?

घर मे 3 टिकट हैं. 66 सीटों पर हम अपना प्रभाव डालेंगे. कुल मिलाकर 10 जिलों पर हमारी नज़र है.

मायावती ने आपका अच्छा बचाव किया?

मायावती जी को टाइम मैगजीन ने आयरन लेडी लिखा था. वो दमदार जवाब देती हैं. वैसे जब तक किसी पर इल्जाम है, वह दोषी नहीं होता है.

मुख्यमंत्री को राजा भैया से तो कोई समस्या नहीं है?

राजा भैया अंसारी नही है, इसलिए उनसे कोई प्रॉब्लम नही है. एक बार मुलायम सिंह ने कहा था कि अखिलेश मुस्लिमों से चिढ़ते हैं. वो भाजपा माइंड के वोटर को अपनी ओर लाना चाहते हैं. अब वो सीधे मुसलमानों से रिश्ता नहीं रखना चाहते.

आपको नहीं लगता कि आपने बसपा छोड़ कर गलती की?

मुख्तार ने अपनी राजनीति बसपा के साथ ही की. इंसान से गलती हो जाती है, हमसे भी हुई, अब बसपा का साथ नही छोड़ेंगे.

आपकी राजनीति का परिवार पर क्या असर है?

हमारे पूरे परिवार को अब मुश्किल झेलने की आदत हो गयी है. हमारा दिल मजबूत है. हमारा कोई झगड़ा जर-जमीन का नहीं है. हम बस गरीबों के लिए लड़ते हैं. तीन बार मुख्तार पर गोलियां चलीं, मगर दुआ साथ है. मुख्तार सिर्फ जालिमों से लड़ा है. हमारे यहां सिर्फ 8 फीसदी मुसलमान हैं और हम गरीबों के साथ खड़े हैं.

क्या आप सिर्फ मुसलमानों की बात करते हैं?

नहीं, गरीबों और बेसहारों की भी. सिर्फ मुसलमानों के साथ नहीं हैं. वहां एक नारा है, ‘कमेरा हिन्दू बनाम लुटेरा’. सिर्फ मुसलमान-मुसलमान करके वहां ग्राम प्रधान नही बन सकता और 35 साल से मैं सदन मे हूं. चार बार से मुख्तार विधायक है और मेरी विधानसभा से अब बड़े भाई हैं. दरअसल भाजपा के पैट में गैस बनती है, नफरत की.