डेल्टा मेघवाल : सारे सरकारी आश्वासन झूठे निकले

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में बलात्कार व उसके बाद हत्या की कोई घटना होती है तो हमारी संवेदना सड़क पर होती है. क़ातिलों को सज़ा-ए-मौत देने से कम सज़ा पर बात ही नहीं होती. लेकिन यही घटना राजधानी दिल्ली से दूर हो और पीड़ित अगर दलित हो तो हमारी संवेदनाएं भी राजनीतिक हो जाती हैं. यही वजह है कि प्रतिभावान दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल के साथ बलात्कार, फिर उसकी हत्या का मामला सुर्खियों में तो रहा लेकिन उसके परिवार को आज एक साल बाद भी इंसाफ़ नहीं मिल सका है.


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डेल्टा के पिता महेन्द्र राम मेघवाल अब बिल्कुल टूट चुके हैं. उनका स्पष्ट तौर पर कहना है, ‘सारे सरकारी आश्वासन झूठे निकलें.’

वो आगे कहते हैं, ‘कहने को देश में लोकतंत्र है, लेकिन सच तो यह है कि जब तक राज्य या सत्ता कुछ नहीं करना चाहे, जनता कुछ नहीं कर सकती. न्याय व्यवस्था भी सत्ता के ही हाथ में है. इस एक साल में मुझे कहीं से कोई न्याय नहीं मिला.’

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TwoCircles.net के साथ बातचीत में महेन्द्र राम बताते हैं, ‘न कमज़ोर समाज को न्याय मिला है, न मिलने की उम्मीद है. फिर भी मैं अपना संघर्ष जारी रखूंगा ताकि जो कुछ मेरी बेटी डेल्टा के साथ हुआ वो किसी और की बच्ची के साथ न हो.’

डेल्टा की मां लहरी देवी (40) भी उदास हैं. उन्होंने पिछले दो दिनों से खाना नहीं खाया है. उन्हें इस बात का यक़ीन ही नहीं हो रहा है कि उनकी बेटी डेल्टा अब इस दुनिया में नहीं है. दिल व दिमाग़ में अभी भी डेल्टा  बसी हुई है. छोटी बहन कुमारी नाखू (15) 11वीं क्लास में कृषि विज्ञान की छात्रा थी, मगर अपनी बहन की मौत के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी हैं. बड़े भाई प्रभू लाल (22) भी पढ़ाई में टॉपर रहे हैं. बीकानेर के वेटेनरी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थें. लेकिन बहन डेल्टा की मौत के बाद वापस कॉलेज नहीं गए. यही हाल छोटे भाई अशोक का भी है. अशोक कम्पीटिशन की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इन्होंने भी अब तैयारी छोड़ दी है. घर में कमाने वाले सिर्फ़ महेन्द्र राम हैं. वो एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं. उनका कहना है, ‘मैं चाहकर भी नौकरी छोड़ नहीं सकता. अगर मैं नौकरी छोड़ दूं तो घर में दो जून की रोटी कहां से आएगी.’

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इस मामले में डेल्टा मेघवाल की तरफ़ से मुक़दमा लड़ रहे वकील बजरंग चिम्पा बताते हैं, ‘अब तक इस मामले में एक दर्जन बार सुनवाई हो चुकी है. मुख्य आरोपी के अलावा बाक़ी सारे लोग ज़मानत पर रिहा हो चुके हैं. अगली सुनवाई कल यानी 30 मार्च को होनी है.’

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देश में इंसाफ़ पाना कितना मुश्किल है, इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि एक दलित की बेटी के साथ दुष्कर्म होता है और फिर उसे मार दिया जाता है. उसको इंसाफ़ दिलाने के नाम पर देश के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी उसके घर पहुंचते हैं. सूबे की सीएम वसुंधरा राजे इंसाफ़ दिलाने का वादा करती हैं. सीबीआई जांच करवाने का आश्वासन देती हैं. लेकिन आज एक साल गुज़र गए. न तो डेल्टा को इंसाफ़ मिला और न ही आज तक इसकी कोई जांच हुई. आज भी डेल्टा के घर वाले इंसाफ़ के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मायूस हैं. जबकि केन्द्र व राज्य दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है. पीएम मोदी बार-बार बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का नाम लेते हैं, लेकिन इसी अम्बेडकर की बेटी के इंसाफ़ के लिए आज तक कोई पहल न कर सकें.

डेल्टा के पिता महेन्द्र राम मेघवाल TwoCircles.net के साथ बातचीत में सबसे आख़िर में कहते हैं, ‘देश के हर नागिरक से मैं आज के दिन यही अपील करूंगा कि मेरी न्याय की लड़ाई में मेरा साथ दें. जो भी दोषी है, उसे सज़ा मिले. ताकि हर ग़रीब, मज़दूर, दलित, आदिवासी व अल्पसंख्यक की बेटी सलामत रहे. इंसानियत सलामत रहे. इंसानियत सलामत रहेगी तो ही हम सभी इस मुल्क में गर्व से एक साथ रह सकेंगे.’

   

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