‘अब मज़लूम अगर मुसलमान हैं तो मैं क्यों भेदभाव करूं?’

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

बिजनौर : बिजनौर जनपद के वीरा राजघराने की बहू व ज़िला पंचायत अध्यक्ष व क़द्दावर विधायक रही रुचिवीरा बिजनौर के चर्चित ‘पेदा कांड’ में पीड़ितों की पैरवी को लेकर देश भर में सुर्खियां बटोर चुकी हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी से जुड़ी ये रुचिवीरा आज भी पेदा के मज़लूमों को इंसाफ़ दिलाने के लिए लड़ रही हैं.


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2016 में जब पेदा कांड हुआ था, तब रुचिवीरा ही यहां विद्यायक थी और उन्होंने मज़लूमों पर गोलियां बरसाकर मौत की नींद सुलाने वाले दबंगों के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी, जिससे वो साम्प्रदयिक ताक़तों की आंख में आज भी खटक रही है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में वो सबसे क़द्दावर महिला राजनेता हैं. फिलहाल उनके पति उदयनवीरा बिजनौर ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं. हाल ही में मुसलमानों के पलायन को लेकर बिजनौर का पेदा गांव फिर से चर्चा में है. Twocircles.net ने पलायन के इस मुद्दे पर उनसे बातचीत की, जिसमें न सिर्फ़ उन्होंने कई गंभीर सवाल खड़े किए. 

पेदा कांड क्या था? हम आपसे सुनना चाहते हैं.

गांव के फ़ुरक़ान की लड़की यास्मीन अपने भाई के साथ बिजनौर स्कूल जा रही थी. सामने के गांव के कुछ लड़कों ने उस पर कमेन्ट किया. लड़की के भाई ने विरोध किया तो मारपीट हुई, जिसकी सूचना पुलिस को दे दी गई. पुलिस आ गई. उसके बाद एक बाहरी समूह ने पेदा गांव में घुसकर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर एक विकलांग, 80 साल के एक बुजुर्ग और 2 बच्ची समेत 18 लोगों को गोली मार दी, जिसमें 3 मौक़े पर मर गए. क्या आप इससे बड़े जुर्म की कल्पना कर सकते हैं? मैं विद्यायक थी. मज़लूमों के साथ खड़ा होना मेरा फ़र्ज़ था. मैंने यही किया. अब 28 लोग जेल में हैं. इनको सज़ा दिलवाने तक मैं लड़ूंगी.

पुलिस पेदा कांड के पीड़ितों और गवाहों को धमका रही है और आपसी फैसला कर लेने का दबाव बना रही है.

फ़रवरी में यहां विशाल नाम के एक युवक का मर्डर हुआ, जिसकी सच्चाई जल्दी ही सामने आ जाएगी. उस विशाल के मर्डर को राजनैतिक कारणों से पेदा गांव वाली घटना से जोड़ दिया गया.  उसमें पेदा कांड के पीड़ित व गवाहों के नाम षड्यंत्र करके मुक़दमें में लिखवा दिए गए, ताकि फ़ैसला का दबाव बनवाया जा सके.

यह किसकी साज़िश हो सकती है?

यहां एक मौसम चौधरी हैं. विशाल की हत्या अवैध संबंध में हुई. यह बात सारा बिजनौर जानता है. मौसम चौधरी का नाम मुक़दमे में नहीं था, मगर उनको वीडियो के आधार पर पुलिस ने खुद मुल्जिम बनाया. वो जेल में है और उनकी पत्नी अब विधायक बन गई. विशाल मर्डर का मौसम चौधरी व उसके साथियों को बचाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. सीबीसीआईडी ने ग़लत विवेचना की है. सब खेल हो रहा है. डर कर पीड़ित पलायन कर रहे हैं.

उनकी पत्नी सूचि चौधरी ने आपको हरा दिया…

इससे आप अंदाज़ा लगाईए कि समाज किस ओर जा रहा है. एक तरफ़ मारने वाला था और एक तरफ़ बचाने वाला. एक तरफ़ ज़ालिम थे और दूसरी तरफ़ मज़लूम. मैंने मज़लूमों की मदद की.

मगर आपकी मज़लूमों की मदद को मुसलमानों की मदद समझ लिया गया

मैंने मज़लूमो की मदद की. उन्हें हौसला दिया. सुरक्षा दी. मुआवज़ा ज्यादा दिलाने का प्रयास किया. क़ब्रिस्तान में दफ़न तक खुद मौजूद रही. हमलावरों की गिरफ़्तारी कराई. अब मज़लूम मुसलमान थे तो क्यों भेदभाव करती? मज़लूम सिर्फ़ मजलूम होता है हिन्दू या मुसलमान नहीं.

मगर यहां तो ध्रुवीकरण हो गया और हिन्दू आपके ख़िलाफ़ एकजुट हो गए

हा! हो गया. यही वो चाहते थे. नफ़रत का बोलबाला है. अब मुझे शादियों में से न्यौते तक आने कम हो गए हैं, जबकि मुसलमानों के यहां से ज्यादा आने लगे हैं.

मतलब वो आपको हिन्दू नहीं मान रहे?

हाँ शायद! लेकिन मैं हिन्दू हूँ. शालीन. दयावान. अत्याचार विरोधी. अहिंसक… शायद उनको मेरा हिंदुत्व समझ नहीं आता. उनको मज़लूमों की जान लेने में अपना हिंदुत्व दिखता है.

आपको क्या लगता है कि भाजपा की सरकार आने के बाद यूपी के हालात और भी ख़राब हो गए हैं?

हां बिलकुल! पहलू खान. झारखंड और नोएडा, सहारनपुर में आप देख रहे हैं कि वहां क्या हो रहा है. यह जुर्म किसका दिल नहीं दहला रहा. सरकार नाकामयाबी की ओर है.

तो साम्प्रदायिक शक्तियां कमज़ोर कैसे होंगी?

सब गैर भाजपाई दलों को एकजुट होना पड़ेगा. धर्मनिरपेक्ष दल इकट्ठे होकर देशभर में नफ़रत की राजनीति को मात दे देंगे.

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