Home Lead Story जहां बिजली के खंभे नहीं हैं, वहां कितने घंटे बिजली?

जहां बिजली के खंभे नहीं हैं, वहां कितने घंटे बिजली?

सिराज माही, TwoCircles.net

बहराईच (उत्तर प्रदेश) : आज भारत जहां दुनिया के हर क्षेत्र में विकास कर रहा है, वहीं उसके बहुत से गांव बुनियादी ज़रूरतों से महरूम हैं. यूपी के कई गांवों में बिजली के खंभे तो पहुंच गए हैं, लेकिन लोगों को बिजली का दीदार आज तक नहीं हो सका है और कई गांवों में तो बिजली के खंभे भी सरकार अभी नहीं पहुंचा सकी है.

उत्तर प्रदेश के बहराईच ज़िले के जरवल क़स्बे के अन्तर्गत आने वाले गांव ‘बरुहा’ भी उन्हीं गांवों में से एक है, जहां इस आधुनिक ज़माने में भी बिजली नहीं पहुंच पाई है. जबकि यहां के युवा स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करते हैं.

ग़ौरतलब है बहराईच ज़िला गोरखपुर के पास पड़ता है, जहां से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ सांसद रहे हैं. बरुहा गांव जरवल क़स्बा से मात्र एक किलोमीटर दूर है. जरवल क़स्बा में 24 घंटे में कभी 12 घंटे तो कभी 8 घंटे बिजली आती है. यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस निर्देश का भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि, सभी ज़िला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसील स्तर पर 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली मुहैया कराने के प्रबंध किया जाए.

बरुहा के पास दूसरा गांव है माशूक़ नगर. इस गांव की दूरी बरुहा से महज़ 800 मीटर है. यहां गांव वालों का कहना है कि अगर प्रशासन यहां दोनों गांव के बीच सिर्फ़ एक खंभा लगवा दे तो बरुहा में बिजली आ जाएगी. लेकिन इसे प्रशासन की लापरवाही ही कहेंगे कि यहां तक बिजली नहीं पहुंच पाई है.

बरुहा निवासी अनवर खान का कहना है कि ऐसा नहीं है कि इस गांव ने देश को कुछ दिया नहीं है. बल्कि इस गांव ने देश को आबिद अली के रूप में एक जवान बेटा दिया है. 

बताते चलें कि जब चीनी सेना ने भारत से सीमा विवाद के चलते अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये, उसी हमले में इस गांव से ताल्लुक़ रखने वाले आबिद अली शहीद हुए थे.

सेना के जवान आबिद के फूफी के लड़के मोहम्मद वफ़ी बताते हैं कि, आबिद अली अपने पिता के इकलौता औलाद थे. वह आगे बताते हैं कि उस समय फ़ोन का ज़माना नहीं थी, इसलिए हम लोगों को आबिद अली के शहीद होने के बारे बहुत बाद में पता चला था. उनकी लाश भी नहीं मिल पाई थी. उनकी जगह पर सरकार ने किसी को नौकरी देने का वादा तो किया लेकिन भ्रष्टाचार के चलते किसी को कुछ नहीं मिला. हां उनकी पत्नी मुसब्बन खान को ज़रूर पेंशन के रूप में कुछ पैसा मिलता रहा है.

अनवर खान का कहना है कि हमने कई बार गांव के प्रधान लालू से मुलाक़ात कर गांव की समस्या के बारे में बताया, लेकिन उनके कान पर जूं नहीं रेंगी. वह वादे पर वादे करते रहें.

जरवल क़स्बा में रहने वाले मोहम्मद काशिफ़ बताते हैं कि, गांव में कई बुज़ुर्गों को हमने यह कहते हुए सुना है कि गांव में अगर बिजली आएगी तो आग लग जाएगी. कहीं चिंगारी वग़ैरह गिर गई तो सब जल कर राख हो जाएगा, इसलिए कई बार गांव वाले भी बिजली की मांग नहीं करते हैं.

अनवर और उनके साथियों की जब गांव में बिजली लाने की मांग पूरी नहीं हुई, जब वह अपनी कोशिश कर थक गए तो वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ से सवाल करते हैं कि योगी जी ने अपनी दूसरी कैबिनेट बैठक में कहा था कि जिला मुख्यालयों को 24 घंटे बिजली देंगे, तहसील स्तर पर 20 घंटे बिजली देंगे, गांवों में 18 घंटे बिजली देंगे, लेकिन हम पूछते हैं कि योगी जी जिस गांव खंभे ही नहीं हैं उनको आप कितने घंटे बिजली देंगे? उनके लिए आपके पास क्या योजना है?