आस मुहम्मद कैफ, Twocircles.net
नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में इस वैश्विक महामारी के दौरान बेहद शर्मिदंगी पैदा करने वाला मामला आया है। यहां नोयडा और हिमाचल प्रदेश से लौटे क्वारंटीन किए गए तीन लोगों ने भोजन माता के हाथ से खाना खाने से इंकार कर दिया है। यह मसला नैनीताल के ओखलखंडा ब्लॉक के भुमका गांव में सामने आया है। ख़ास बात यह है इस गांव का प्रधान खुद दलित है। उसने इसे स्वाभिमान से जोड़ लिया है और तमाम बड़े अफ़सरों को इसकी शिकायत की है। क्वारनटीन किये गए ये तीनों व्यक्ति ब्राह्मण हैं,उन्हें वैकल्पिक तौर पर कहीं अन्य जगह से खाना उपलब्ध कराया गया। पिछले सप्ताह इसी तरह की एक घटना उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद में भी सामने आई थी जब वहां दो युवको ने भी दलित महिला के हाथ से बना खाना खाने से इंकार कर दिया था।
ग्राम प्रधान का नाम मुकेश चन्द्र बौद्ध है। उसने बताया है कि नाई पट्टी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 5 लोगो को बाहर से आएं होने के कारण क्वारंटीन किया गया है। इनमें से तीन ने भोजन माता का बनाया भोजन लेने से मना कर दिया। बताया जा रहा है कि भोजन माता दलित परिवार से संबंध रखती है। ग्राम प्रधान मुकेश चन्द्र बौद्ध ने पट्टी नई तहसील धारी के राजस्व निरीक्षक से शिकायत की है। राजस्व निरीक्षक रवि पांडे का कहना है कि उनके पास प्रधान की और से शिकायत आई है। मामले की जांच की जा रही है।
प्रधान मुकेश बौद्ध ने बताया कि इनमे दो लोग सवर्ण ब्राह्मण हैं, एक नाबालिग है। प्रधान के मुताबिक उन्हें यह जानकारी भोजन माता ने दी उसने बताया उन्होंने उसके हाथ से पानी भी पीने से मना कर दिया है। इससे उसे मानसिक प्रताड़ना पहुंची है। मैं भी उत्पीड़ित महसूस कर रहा हूँ। यह कोरोना वायरस से ज़्यादा ख़तरनाक है। यह जाति वायरस है।
यही नहीं प्रधान ने इन व्यक्तियों के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज कराने की भी मांग की है। उसका कहना है पूरे गांव के दलित अपमानित महसूस कर रहे हैं। प्रधान के अनुसार क्वारनटिन व्यक्ति को कहीं भी आने-जाने की मनाही है। उसे स्कूल में तैयार भोजन करने के निर्देश हैं। राजस्व निरीक्षक को शिकायती पत्र देकर दोनों पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे पांच में से दो लोगों ने दलित महिला प्रधान के हाथ से बना भोजन खाने से इंकार कर दिया था। दोनों भोजन के लिए घर चले जाते थे। यह मामला भुजौली खुर्द के क्वारंटीन सेंटर का था जहां पर कुल चार लोग रखे गए थे। कोरोना के भय से यहां कोई भोजन बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मानवता दिखाते हुए ग्राम प्रधान लीलावती देवी ने खुद सेंटर पर भोजन बनाने का निर्णय लिया। पांच दिन पहले उन्होंने अपने हाथ से क्वारंटीन सेंटर जाकर वहां मौजूद लोगों के लिए भोजन बनाया। जब भोजन करने के लिए क्वारंटाइन किए गए लोगों से कहा गया तो उनमें से दो लोगों ने यह कहकर खाने से मना कर दिया कि वे दलित महिला के हाथों तैयार भोजन नहीं खाएंगे।
दलित चिंतक दयाचंद भारती के मुताबिक इस महामारी के भंयकर दौर पर जब किसी को भी अपनी जिंदगी का भरोसा नही है और पूरी दुनिया संकट में है तो कुछ लोग अंदर की घृणा को उजागर कर रहे हैं। कम से कम इस समय तो मानवता के नाते उनकी सेवा कर रहे लोगो का सम्मान करना चाहिए था। अब तक देश मे खाने का मज़हब ढूंढ लिया गया था अब जाति भी तलाशी जा रही है। जाति की उच्चता में बहने वाले ऐसे लोगो को अब तो शर्म आनी चाहिए।