“3 साल पहले मैंने अपना शौहर खो दिया था अब सहारा खो दिया ” फातिमा (समीर की अम्मी )

शामली में मॉब लिचिंग, कोहनी लग गई तो पीट-पीट कर मार डाला

बनत के प्रेमनगर से ग्राऊंड रिपोर्ट। आसमोहम्मद कैफ


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24 साल के समीर अहमद का परिवार उसकी नौकरी पक्की होने की खुशी एक दिन भी नही देख पाया। स्थानीय टाटा सर्विस सेंटर में लगी नौकरी में जरूरी आधार कार्ड बनवाने पहुंचे समीर अहमद की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि समीर अहमद की कोहनी आधार कार्ड अपडेट कराने वाली भीड़ में उसी के पड़ोस के एक लड़के से छू गई थी। समीर की मां कहती है कि यही उसका सबसे बड़ा अपराध था,जिसके बाद समीर अहमद की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। समीर के ताऊ खालिद की माने तो उसके साथ मारपीट करने वाले 8 – 10 लड़कों ने उसे सर के बल पर पटका जिससे उसकी मौत हो गई। खालिद बताते हैं कि इनमे से कुछ अतिवादी हिन्दू संगठनों के नेताओं के परिचित है।

वारदात 9 सितंबर की शाम करीब 6 बजे की है और हमने समीर अहमद के घर जाकर हालात और वारदात को समझने की कोशिश की है। यह घटना बनत में हुई है। बनत शामली जनपद के एक कस्बा है और यह जिला मुख्यालय से बामुश्किल 5 किमी की दूरी पर है। बनत एक मुस्लिम बहुल कस्बा है और शामली जनपद के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम आबादी वाले कस्बे जलालाबाद और कैराना में से है। वैसे तो बनत एक साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे वाला कस्बा है मगर 2018 में स्थानीय नगर पंचायत चुनाव में यहां के एक प्रत्याशी वजाहत अली खान को कथित तौर पर गलत तरीके से हराये जाने के बाद दोनों समुदाय में कुछ तल्खी दिखाई देती है और ऐसी तल्खी यहां 2013 के दंगे के दौरान भी दिखाई दी थी।

10 हजार की आबादी वाले इस कस्बे में सभी आरोपियों का घर है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि एक छोटा कस्बा होने के नाते यह सभी आपस मे एक दूसरे को जानते भी थे। स्थानीय पुलिस इसी आधार पर यह कह रही है कि इनमें पुरानी रंजिश हो सकती है मगर मृतक समीर की अम्मी फातिमा कहती है कि 2 साल पहले उनके शौहर राहिल के इंतकाल के बाद परिवार के सबसे बड़े बेटे होने के नाते समीर अहमद ने मोटर मेकेनिक के तौर पर काम करना शुरू किया था और वो उसका एकमात्र लक्ष्य अपनी बहन और भाई और बहन को पढ़ाना था वो अपनी जिम्मेदारी को समझता था और उसकी किसी से कोई रंजिश नही थी। उसकी तो यहां की एक मोटर कम्पनी (टाटा) में मैकेनिक की नौकरी लगी थी जिसमे वो कागज की तैयारी में लगा था। आधार कार्ड में कोई कमी थी जिसे ठीक कराने के लिए वो पास के एक जनसेवा केंद्र में गया था। जहां उसकी हत्या कर दी गई। ऐसा क्यों किया गया ! मैं कैसे कह सकती हूं ! 2 साल पहले मैंने अपना शौहर खो दिया था,अब सहारा खो दिया !

समीर के ताऊ खालिद बताते हैं कि आरोपियों के बड़े लोगों से संपर्क है..pic mohd waseem

बनत के मोहल्ले प्रेमनगर में रहने वाली फातिमा के जेठ खालिद हमसे कहते हैं कि सर आप तो बस इस हमलावरों को गिरफ्तार करवा दीजिए।( बनत के थाने आदर्श मंडी के कोतवाल सुनील नेगी बताते हैं कि दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और शेष के लिए लगातार प्रयास किए जा रहा है )। खालिद बताते हैं कि कुल आठ युवकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया और यह सभी बनत के ही रहने वाले हैं। वो यह नही कह सकते है कि समीर अहमद को उसके धर्म की वजह से मार डाला गया,मगर वो यह जरूर कह रहे हैं कि सभी आरोपी एक विशेष विचारधारा के है और उनकी गुंडागर्दी की छवि है। आदर्श मंडी में दर्ज एफआईआर के मुताबिक वतनराज पुत्र सौपाल, वरदान पुत्र मिंटू, अक्षय पुत्र कुल्लू, राज पुत्र राजेश, आशीष पुत्र हरीश चंद्र ,लक्की पुत्र गब्बर, आयुष राणा पुत्र निर्देश राणा और भोंदा पुत्र भारत ने रंजिशन समीर अहमद की हत्या की है। ऐसा बस स्टैंड पर बस से उतरते समय हुआ है हालांकि कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि झगड़ा आधार कार्ड बनवाने के दौरान कोहनी लगने से हुआ।

बनत के प्रेमनगर में समीर अहमद के घर पर सन्नाटा है।
Pic – mohd waseem

आदर्श मंडी कोतवाल सुनील नेगी के मुताबिक मोहल्ला आजादनगर निवासी वतनराज और वरदान चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया है और शेष की गिरफ्तारी के प्रयास जारी है। समीर के ताऊ खालिद जोर देकर कहते हैं कि सभी की जल्द से गिरफ्तारी होनी चाहिए। समीर की 11 वी पढ़ने वाली बहन इरम बताती है कि पापा की मौत के बाद उसकी पढ़ाई छूट गई थी मगर समीर ने उसे कहा कि जब तक उसका जिंदा ‘तू ‘ पढ़,अब मेरा भाई भी नही रहा। उसे मारने वाले गांव के गुंडे है। उन्हें सब जानते हैं सब उनसे डरते हैं। समीर के छोटे भाई आसिफ ने भी अभी 10 की परीक्षा पास की है,जबकि एक और भाई रिहान कक्षा 6 में पढ़ता है। इरम बताती है कि यह सब मेरे भाई के दम पर पढ़ रहे थे अब कोई नही पढ़ेगा।

समीर …

समीर का दोस्त रिजवान बताता है कि समीर वैसे तो आम लड़कों की तरह था मगर 3 साल पहले उसके अब्बू के इंतेक़ाल के बाद उसमें काफी बदलाव आ गया था और वो हमारे साथ कम ही रहता था वो झिंझाना (पास का ही एक कस्बा) में गाड़ियों को ठीक करने का काम कर रहा था। अब उसकी किसी कंपनी में नौकरी लगी थी। उसके घर पर कहर का आलम है। उनका सब कुछ खत्म हो गया।

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