हà¥?सैन की कीमत: पेंटिंग की नहीं, जान कीÂ
नासिरूदà¥?दीन हैदर खॉंÂ
(�क)
याद दिलाना जरूरी है कि जब मà¥?सलिम कटà¥?टरपंथियों ने विवादासà¥?â€?पद लेखक सलमान रशà¥?â€?दी के खिलाफ मौत का फतवा दिया था, तो बार-बार यह कहा जा रहा था कि मà¥?सलमानों में जरा à¤à¥€ सहिषà¥?â€?णà¥?ता नहीं है। इसà¥?â€?लाम कटà¥?टरता सिखाता है। हिनà¥?â€?दू à¤?से नहीं होते। हिनà¥?â€?दू à¤?सा नहीं करते। सहिषà¥?â€?णà¥?ता तो उनके खून में है। यह आम हिनà¥?â€?दू जन नहीं बलà¥?कि उनके पà¥?रतिनिधि होने का दावा करने वाले हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?व (हिनà¥?â€?दू मजहब और हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?व में हम फरà¥?क करते हैं) के अलमबरदार कह रहे थे।
लेकिन दà¥?निया à¤à¤° में सहिषà¥?â€?णà¥?ता का दावा करने वाले यही हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?व वाले हà¥?सैन के पीछे हैं। आपको हरिदà¥?वार की अदालत के बारे में पता है। पता इसलिà¤? कि इसमें मà¥?मà¥?â€?बई पà¥?लिस शामिल हो गयी और उसने कारà¥?रवाई करते हà¥?à¤? कà¥?रà¥?की की नोटिस चसà¥?â€?पा कर दी। लेकिन ब2हà¥?त कà¥?छ à¤?सा है, जो मेटà¥?रो की खबर नहीं पाया।
(दो)
पिछले साल फरवरी-मारà¥?च में पैगमà¥?â€?बर हजरत मà¥?हमà¥?मद का कारà¥?टून बनाने वाले डेनमारà¥?क के à¤?क कारà¥?टूनिसà¥?â€?ट के खिलाफ इस देश में काफी हंगामा बरपा था। सेकà¥?â€?यूलर कही जाने वाली उतà¥?â€?तर पà¥?रदेश सरकार के à¤?क मंतà¥?री ने तो कारà¥?टूनिसà¥?â€?ट की हतà¥?â€?या पर इनाम का à¤à¥€ à¤?लान कर दिया। मà¥?सलमानों पर तो कटà¥?टर होने का इलà¥?â€?जाम था ही à¤à¤²à¤¾ हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?व के अलमबरदार कहां पीछे रहते। इन अलमबरदारों को लगाâ€? कि डेनमारà¥?क में बैठे कारà¥?टूनिसà¥?â€?ट के नाम पर हिनà¥?â€?दà¥?सà¥?â€?तान में à¤?सी गोलबंदी। उनà¥?â€?हें à¤à¥€ कà¥?छ करना चाहिà¤?।… उनà¥?â€?हें हà¥?सैन मिले। चितà¥?रकार हà¥?सैन, जिसने हिनà¥?â€?दू-देवी देवताओं की à¤?सी तसà¥?â€?वीर बनायी जो ‘उनà¥?â€?हें’ पचà¥?â€?चीस तीस साल बाद समà¤? में आयी। ‘उनà¥?â€?हें’ पता चला कि अरे यह तो नंगी हैं। अब देखिये सहिषà¥?â€?णà¥? हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?वादियों ने कà¥?â€?या किया। देश के छोटे-छोटे इलाक़ों से लेकर बड़े शहरों तक हà¥?सैन विरोध शà¥?रू हà¥?आ। हिनà¥?â€?दà¥?तà¥?â€?वादियों का साथ कà¥?छ मà¥?सलिम नामधारी संगठनों ने à¤à¥€ दिया। दोसà¥?â€?ती होती à¤à¥€ कà¥?â€?यों न, बात तो दोनों à¤?क ही कर रहे थे। खैर। यह सब उस वकà¥?â€?त हो रहा था, हिनà¥?â€?दू जन जागृति समिति औरे विहिप के हंगामे के बाद लगà¤à¤— दो हफà¥?ते पहले ही यानी फरवरी 2006 में हà¥?सैन अपने à¤?क चितà¥?र के लिà¤? माफी मांग चà¥?के थे।
(तीन)
उतà¥?â€?तर पà¥?रदेश के मà¥?जफà¥?फरनगर, बिजनौर, खà¥?रà¥?जा, लखनऊ, जौनपà¥?र, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤², इंदौर, राजकोट, दिलà¥?â€?ली … में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता पारà¥?टी, बजरंग दल, विशà¥?â€?व हिनà¥?â€?दू परिषद, हिनà¥?â€?दू कà¥?रांति दल, शिवसेना, कृषà¥?â€?ण सेना, शà¥?रीराम सेना, जाट महासà¤à¤¾, हिनà¥?â€?दू परà¥?सनल लॉ बोरà¥?ड, हिनà¥?â€?दू जन जागृति समिति में हिनà¥?â€?दू रकà¥?षक साबित करने की होड़ लग गयी। यही नहीं कांगà¥?रेस के à¤?क मà¥?सलिम (राषà¥?â€?टà¥?रवादी) नेता à¤à¥€ इस होड़ में उतर आये। पर यह कर कà¥?â€?या रहे थे, इसकी चंद बानगी-
– लखनऊ में हिनà¥?â€?दू परà¥?सनल लॉ बोरà¥?ड ने हà¥?सैन की मौत पर 51 लाख देने का à¤?लान किया।
– इंदौर में कांगà¥?रेस के à¤?क नेता हà¥?सैन का हाथ काटने पर 11 लाख का इनाम देने की घोषणा की।
-बिजनौर में हिनà¥?â€?दूवादी संगठनों ने पà¥?रदरà¥?शन किया। पà¥?रदरà¥?शन में जाट महासà¤à¤¾ के जिला अधà¥?â€?यकà¥?ष ने कहा ‘हिनà¥?â€?दू कमजोर नहीं है’ और à¤?लान किया कि, हà¥?सैन की हतà¥?â€?या करो और 50 बीघा जमीन ले लो।
– इसी पà¥?रदरà¥?शन में à¤?क वà¥?â€?यापारी नेता ने ‘â€?हà¥?सैन के हतà¥?â€?यारे’ को à¤?क लाख देने की घोषणा कर डाली।
– खà¥?रà¥?जा, बà¥?लंदशहर के à¤?क वà¥?â€?यापारी और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता पारà¥?टी के नगर अधà¥?â€?यकà¥?ष à¤à¥€ पीछे कहां रहने वाले थे। उनà¥?â€?होंने कहा, हà¥?सैन का सर कलम करो और मेरी चालीस लाख की फैकà¥?â€?टà¥?री तोहफ़े में ले जाओ। यही नहीं अगर मारने वाला पकड़ा गया तो उसकी मà¥?क़दमे का खरà¥?चा उठाने का वादा à¤à¥€ साथ में।
– तो à¤?क साहब संघ से जà¥?ड़े अख़बार आरà¥?गनाइजर में ललकारते हैं, हà¥?सैन को डरने की जरूरत नहीं है कà¥?â€?योंकि ‘आधà¥?निक हिनà¥?â€?दà¥?सà¥?â€?थान में à¤?क और हिनà¥?â€?दू चूहे हैं और दूसरी और हिनà¥?â€?दू ज़नख़े… à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥?मनिरपेकà¥?षता के इंजेकà¥?â€?शन ने इनà¥?â€?हें बिना रीढ़ की हडà¥?डी के बना दिया है।
– मà¥?जफà¥?फरनगर में तो हिनà¥?â€?दू संगठनों की संयà¥?कà¥?â€?त संघरà¥?ष समिति ने बाजाफà¥?ता बंद कराया। डंडे और तलवार लहराये। दूसरी तरफ à¤à¥€ ‘सूरमा’ मैदान में आ गये। पतà¥?â€?थरबाजी हà¥?ई। à¤?क दरà¥?जन लोग घायल हà¥?à¤?।
(à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ मीडिया के विशेषण से नवाजे जाने वाले हिनà¥?â€?दी अखबारों की कतरनें इनकी गवाह हैं।)
(चार)
यह सब हो रहा था, और संविधान की रकà¥?षा के नाम पर बनी सरकारें तमाशबीन बनी थीं। कहीं कोई कारà¥?रवाई, उन लोगों के खिलाफ नहीं हà¥?ई। इसमें वह मंतà¥?री à¤à¥€ शामिल हैं, जिनà¥?â€?हें कारà¥?टूनिसà¥?â€?ट का सर चाहिà¤? था। सवाल उस वकà¥?â€?त à¤à¥€ था और आज à¤à¥€ है। कहां था सà¤à¥?â€?य नागरिक समाज। आपने कहीं कोई विरोध की पà¥?रजोर आवाज इन सबके खिलाफ सà¥?नी। हां, लखनऊ के चंद बà¥?à¥?दà¥?धिजीवियों ने चिंता जरूर जाहिर की थी। लेकिन जब सडà¥?क पर सब मामले निपटाये जा रहे हों और खà¥?लेआम किसी की हतà¥?â€?या की ‘सà¥?पारी’ दी जा रही हो तो सिरà¥?फ चिंता से काम नहीं चलता। बयान देने à¤à¤° से काम नहीं चलता।
इन सवालों के साथ अपनी बात का यही अंत करता हू�-
1. क��या �क आजाद, धर�मनिरपेक�ष, संविधान के तहत काम करने वाले देश में किसी को किसी की हत��या की स�पारी देने की इजाजत है।
2. कà¥?â€?या किसी को सिरà¥?फ इसलिà¤? मार देना चाहिà¤? कि उसने जो किया, उससे किसी की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को ठेस पहà¥?ंच रही है।
3. यह हक सबको फिर कà¥?â€?यों न मिले कि जिसकी जिससे à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤?ं आहत हो रही हों, वो उनà¥?â€?हें मार डाले या सà¥?पारी दे दे।
4. इन संगठनों को फिर उन गà¥?फा चितà¥?रों, मंदिरों, किताबों, गà¥?रंथों के बारे में à¤à¥€ अपनी राय जाहिर कर देनी चाहिà¤?, जहां हमें नगà¥?â€?न, कामà¥?क, यौन समà¥?â€?बंधों के बड़े मनमोहक और कावà¥?â€?यातà¥?â€?मक विवरण मिलते हैं।
5. जैसा कि सीà¤?नà¤?न-आईबीà¤?न की à¤?ंकर ने सवाल किया, कà¥?â€?या हà¥?सैन के खिलाफ हमले और उनके मà¥?सलमान होने में à¤à¥€ कोई रिशà¥?â€?ता है।