By TwoCircles.Net Staff reporter,
हैदराबाद: भाजपा के सत्ता में आने के बाद घर्म-परिवर्तन और ‘घर-वापसी’ की घटनाओं में जो बढ़ोतरी हो रही है, उसे रोकने में कोई भी ‘विकास’ होता नहीं दिख रहा है. एक तरफ़ जहां सरकार संसद के दोनों सदनों में बुरी तरह घिरी हुई है, वहीं भाजपा के सहयोगी कट्टरपंथी दल किसी भी किस्म के गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बयान देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं.
अशोक सिंघल, भागवत, आदित्यनाथ के बाद विश्व हिन्दू परिषद् महासचिव प्रवीण तोगड़िया ने भी धर्मांतरण पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. विहिप के महासचिव प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि रोक धर्मांतरण पर लगानी चाहिए, ‘घर-वापसी’ पर नहीं.
प्रवीण तोगड़िया (Courtesy: livemint.com)
विहिप के केन्द्रीय बोर्ड की बैठक के बाबत प्रवीण तोगड़िया ने कहा, ‘हिंदुत्व जीवन जीने का एक तरीका है और इस तरीके को अपनाने वालों को गले लगाने के लिए तैयार हैं.’
इसके बाद वापिस विकास का राग अलापते हुए प्रवीण तोगड़िया ने ‘घर-वापसी’ को विकास में सहायक करार दे दिया. उनके मुताबिक़ विहिप के न्यासी बोर्ड ने कहा है कि धर्मांतरण व्यक्ति को राष्ट्रीय धारा से अलग कर देता है, जबकि ‘घर-वापसी’ उसे वापिस धारा में लाता है.
विहिप नेता ने दावा किया कि गैर-भाजपा सरकारों की ओर से गठित तीन आयोगों ने कहा है कि धर्मांतरण से घृणा फैलती है और यहां तक कि महात्मा गांधी ने भी ईसाई बनाए जाने के खिलाफ़ अपनी राय रखी थी.
देखने की बात है कि जहां एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में कोई भी बयान नहीं देते हैं, अमित शाह यह कहकर सवाल टाल जाते हैं कि मामला अदालत में है और विपक्ष पर आरोप लगाए जाते हैं कि विकास के मुद्दे से ध्यान भटकाने के प्रयास हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा अपने बौद्धिक और सामाजिक सहयोगी संस्थाओं पर कोई रोक लगा पाने में कैसे नाक़ाम है.
यह बात भी ध्यान देने की है कि भाजपा उर सहयोगी दलोंने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या वे घर-वापसी और धर्मांतरण को एक कटघरे में रखते हैं या नहीं?
वैंकेया नायडू ने सदन में यह कह दिया है कि उन्हें अपने संघी होने पर गर्व है और अरुण जेटली ने यह कहा कि अब लगता है विपक्ष तय करेगा कि सदन की कार्यवाही कैसे होगी. नवजात सरकार धर्म-सम्बन्धी मामलों से घिरती नज़र आ रही है. सरकार से लगातार अपेक्षा की जा रही है कि वह इन हिंदूवादी तत्वों के खिलाफ़ सख्ती से खादी होगी लेकिन अभी का वक्त देखकर लगता है कि दिल्ली दूर है.
Related: