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रिहाई मंच का आरोप, मुस्लिम बिचौलियों को नियुक्ति दे मुंह बंद कर रही सपा सरकार

By TCN News,

लखनऊ: हाशिमपुरा जनसंहार मामले में आए फैसले पर अपील करने के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के वायदे पर सवाल उठाते हुए रिहाई मंच ने कहा कि, ‘निष्पक्ष विवेचना तो दूर, इस मामले में जिस तरह से विवेचना के दौरान सबूतों को मिटाया गया है, उसको आधार बनाकर आगे अपील करना दोषियों को बचाने की एक और कोशिश है. ठीक यही काम उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव इस मसले पर दो दशकों से करते आए हैं.’ मंच ने अपनी मांग दुहराते हुए कहा कि, ‘सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में हाशिमपुरा जनसंहार की सीबीआई से अग्रिम विवेचना कराई जाए.’



(Credit: IE)

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा, ‘फैसले के दिन अखिलेश यादव अपने पिता के नाम पर बने एक संस्थान के उद्घाटन के लिए मेरठ में थे. मेरठ में मौजूद होने के बावजूद उनका हाशिमपुरा नहीं जाना सरकार की संवेदनहीनता और बेशर्मी को दर्शाता है.’ मुद्दे को सारगर्भित करते हुए शुऐब ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को यह समझना चाहिए कि वे थोक के भाव में मुस्लिम समुदाय से जुड़े बिचौलिए नेताओं को पदों की रेवड़ियाँ बांटकर हाशिमपुरा-मलियाना के इंसाफ के सवाल को दबा नहीं पाएंगे.’

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक हिंसा के कलंक को मिटाने के लिए सरकार ने जिस तरह पीड़ितों के मलकपुर और खुरगन के राहत शिविरों में रह रहे 120 से ज़्यादा परिवारों के घरों और मस्जिद पर बुल्डोजर चलवाया, उससे मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों की आपराधिक चुप्पी साबित करती है कि वे इस सरकार में बिचौलिए की भूमिका में काम कर रहे हैं.

बातचीत को थोड़ा और व्यापक बनाते हुए रिहाई मंच के नेता शाहनवाज आलम ने कहा कि तेलंगाना में हुई कथित मुठभेड़ को जिस तरीके से लखनऊ एटीएम लूटकांड से जोड़ा जा रहा है, वह मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का प्रयोग है जिसे यूपी में दोहराने की कोशिश की जा रही है. एटीएम लूटकांड के बाद सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बदमाशों के पोस्टर लगाए गए और फरार कथित बदमाश टिंकू और अभिषेक को पहले संलिप्त बताते हुए टिंकू पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया.

शाहनवाज़ ने आगे कहा कि पुलिस की नाकामी को छिपाने के लिए जिस तरीके से खुफिया एजेंसियां सिमी से जोड़कर आतंक का हौव्वा बनाने की कोशिश कर रही हैं, ठीक ऐसा ही मध्य प्रदेश में मणप्पुरम गोल्ड डकैती कांड के बाद भी किया गया. इस कांड में पहले डकैतों के नाम कुछ और थे पर खुफिया एजेंसियों ने बाद में उसे सिमी से जोड़ दिया.

उन्होंने कहा कि 28 साल में हाशिमपुरा जनसंहार में शामिल सेना और पीएसी के जवानों की स्पष्ट तस्वीरों के बावजूद कई बार सत्ता में रही सपा सरकार उन्हें नहीं पहचान पाई लेकिन अब सिर्फ मनगढ़ंत कहानियों के आधार पर अगर आईबी के इशारे पर मुस्लिम समुदाय को आतंकवाद के नाम पर उत्पीड़न करने की कोई कोशिश होगी तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.