By TCN News,
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोके जाने के बावजूद भारी पुलिस बल से झड़प के बाद रिहाई मंच ने ‘हाशिमपुरा जनसंहार’ पर सरकार विरोधी सम्मेलन लखनऊ में अमीनाबाद की सड़क पर किया. रिहाई मंच ने कहा, ‘इंसाफ किसी की अनुमति का मोहताज़ नहीं होता और हम इस प्रदेश सरकार के खिलाफ़ यह सम्मेलन कर सरकार को आगाह कर रहे हैं कि इन्साफ की आवाज़ अब सरे-आम बुलंद होगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद के मामलों के साथ-साथ तारिक कासमी मामले में नाइंसाफी की है.’ पुलिस बल द्वारा सम्मेलन के दौरान हुई झड़प के बाद रिहाई मंच ने कहा, ‘हम इंसाफ के सवाल पर मुकदमा झेलने को तैयार हैं.’ लेकिन बाद में प्रशासन पीछे हटा और मजिस्ट्रेट ने खुद आकर रिहाई मंच का मुख्यमंत्री को संबोधित मांगपत्र लिया.
इस सम्मेलन में साल 1980 में ईद के दिन मुरादाबाद की ईदगाह में 284 लोगों के कत्ले-आम की घटना के पीड़ित लोग व हकीम तारिक कासमी के परिजन मोहम्मद असलम भी सम्मेलन में शामिल हुए.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा, ‘सपा सरकार द्वारा हमें रोकने की कोशिशों के बाद भी आज हाशिमपुरा जनसंहार पर सड़क पर सम्मेलन कर हमने जनांदोलनों की प्रतिरोध की संस्कृति को बरकरार रखते हुए देश के लोकतंत्र की मजबूती की ओर कदम बढ़ाया है.’ उन्होंने कहा, ‘जिस तरीके से आज इतने सालों बाद हाशिमपुरा, मलियाना और मुरादाबाद के न्याय-वंचित लोगों को सपा सरकार ने रोकने की कोशिश की है, उससे साफ हो जाता है कि अखिलेश सरकार इंसाफ तो नहीं देना चाहती बल्कि हत्यारों को बचाने का हर संभव प्रयास भी कर रही है.’ उन्होंने कहा कि हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद से लेकर तारिक कासमी के साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ रिहाई मंच प्रदेशव्यापी इंसाफ यात्रा करेगा.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा, ‘रिहाई मंच के इस सम्मेलन को रोककर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि वह संघ परिवार के एजेंण्डे पर काम कर रही है. वह किसी भी कीमत पर सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों के सवाल नहीं पैदा होने देना चाहती है.’ वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने कहा, ‘यहां मौजूद लोगों ने साबित कर दिया है कि जम्हूरियत और इंसाफ को बचाने के लिए लोग सड़क पर उतरने को तैयार हैं. यह सरकार के लिए चेतावनी है कि अगर उसने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद और तारिक कासमी को इंसाफ नहीं दिया तो यह जन-सैलाब बढ़ता ही जाएगा.’ सम्मेलन में बाधा पहुंचाने वाले पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा, ‘सरकार इस भ्रम में न रहे कि वह इंसाफ के इस अभियान को पुलिस-पीएसी लगाकर रोक देगी.’ झारखंड से आए मानवाधिकार नेता मुन्ना झा ने कहा, ‘रिहाई मंच मुल्क में नाइंसाफियों के खिलाफ एक आज़ाद खयाल लोकतंत्र स्थापित करने की मुहिम है.’ उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह रिहाई मंच को मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पीडि़तों की जनसुनवाई से रोका गया था, उस वक्त भी मंच ने सरकार के मंसूबे को ध्वस्त किया था और आज भी किया है.
जनसम्मेलन में मुरादाबाद कत्लेआम के पीड़ित मुफ्ती मोहम्मद रईस अशरफ ने कहा कि 35 साल बीत जाने के बाद भी इस घटना की जांच के लिए गठित डीके सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने जारी नहीं किया है. इससे साफ हो जाता है कि सरकार इस मामले में इंसाफ नहीं करना चाहती और इस सवाल पर कोई भी बात नहीं होने देना चाहती है. कानपुर से आए एखलाक चिश्ती और मो. यूसूफ ने कहा कि सपा सरकार ने कानपुर दंगों की जांच के लिए गठित माथुर आयोग की रिपोर्ट को बचाकर रखा हुआ है.
रिहाई मंच से जुड़े सम्बोधकों-वक्ताओं के अलावा जनसम्मेलन मे प्रमुख रुप से शकील कुरैशी, रफीक सुल्तान, अब्दुल हलीम सिद्दीकी, भगवान स्वरुप कटियार, सुमन गुप्ता, कौशल किशोर, अजय शर्मा, तारिक शफीक, इनायतउल्लाह खान, जैद अहमद फारुकी, सैफ बाबर, जियाउद्दीन, रवि चौधरी, शाह आलम, एहसानुल हक मलिक, इरफान सिद्दीकी, आदियोग, धर्मेन्द्र कुमार, मुरादाबाद से आए सलीम बेग, हाफिज शाहिद, मौलाना इमदाद हुसैन, मौलाना मो. शफीक, फैजान मुसन्ना शामिल हुए.