Home India Politics मोदी की मुस्लिमों से मुलाक़ात – कुछ सवाल

मोदी की मुस्लिमों से मुलाक़ात – कुछ सवाल

By TwoCircles.Net staff reporter,

नई दिल्ली: दो महीनों के दरम्यान नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों से कल यहां दूसरी दफा मुलाक़ात की है. मंगलवार को हुई दूसरी मुलाक़ात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समुदाय के 30 नेताओं के साथ बातचीत में यह कहा कि वे न तो ऐसी राजनीति में विश्वा्स करते हैं जो साम्प्रमदायिकता के आधार पर लोगों को बांटती है और न ही वे कभी साम्प्रेदायिक भाषा का उपयोग करेंगे.

ज्ञात हो कि इसके पहले मोदी ने मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के साथ मुलाक़ात की थी, जिन पर यह आरोप लगे थे कि वे समुदाय के असल प्रतिनिधि नहीं हैं. मौजूदा मीटिंग का वक़्त भी विचारणीय है क्योंकि ठीक एक दिन पहले यानी सोमवार को यूएनआई को दिए साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर संजीदा हैं. सिर्फ दो दिनों के भीतर नरेंद्र मोदी का उमड़ता हुआ अल्पसंख्यक-प्रेमी व्यक्तित्व ज़ाहिरा तौर पर कुछ और ही कहानी कह रहा है.



साभार – पत्र सूचना कार्यालय

अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम इमाम उमैर अहमद इल्यासी के प्रतिनिधित्व में कौमी मजलिस-ए-शूरा के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद, इस्लामिक काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कारी मोहम्मद मियां मज़हरी, पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय फखरुद्दीन अली अहमद के पुत्र डॉ. परवेज अहमद, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. असगर अली खान, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के पौत्र डॉ. फ़िरोज अहमद बख्तक, ज़ाकिर हुसैन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. असलम परवेज अहमद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्राध्यापक प्रो. काजी उबैद उर-रहमान, पटना के शाही इमाम मौलाना असगर अली, गर्ल्स कॉलेज इंदौर के चेयरमैन प्रो. अब्दुपल हलीम खान, मौलाना क़ल्बेौ रूशैद शिया आलिम-ए-दीन, मरकजी मिल्ली फाउंडेशन के क़ाज़ी-अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अफरोज आलम क़ासमी व अन्य इमाम-ख़तीब-मौलाना शामिल थे.

यह बात भी रोचक है कि पिछली व इस मीटिंग में अल्पसंख्याक मामलों के राज्य मंत्री मुख्ताार अब्बातस नकवी और राष्ट्री य सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल उपस्थित तो थे, लेकिन नज़मा हेपतुल्ला दोनों दफा गैर-मौजूद थीं. इसके साथ ही मुस्लिम नेताओं से हुई मीटिंग में सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की उपस्थिति सरकार के मन में बसे असुरक्षा के दृष्टिकोण को और पुख्ता कर देती है.

अखिल भारतीय इमाम संगठन इमाम इल्यासी ने TwoCircles.Net को बातचीत में बताया कि हमने मोदी जी से मिलने के वक़्त मांगा था. इमाम इल्यासी ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री जी से कहा कि आप मन की बात करते हैं, हम दिल की बात करने आए हैं. वे देश के सभी 125 करोड़ बाशिंदों के प्रधानमंत्री हैं.’

हमने इमाम इल्यासी से पूछा कि क्या प्रतिनिधि मंडल ने भाजपा सांसदों और संघ के नेताओं के साम्प्रदायिक भाषणों और वक्तव्यों के बारे में प्रधानमंत्री से पूछा? इस पर इमाम इल्यासी ने कहा, ‘हमने उनसे कहा कि जब वे विदेश में ‘मेक इन इंडिया’ की बात कर रहे थे, इस वक़्त देश में कई लोग देश के विनाश की भाषा बोल थे. लेकिन इस पर प्रधानमंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया.’

मीटिंग के बारे में फ़िरोज़ बख्त बताते हैं, ‘मीटिंग में प्रतिनिधियों ने एक हाथ में क़ुरान व एक हाथ में कम्प्यूटर के इस्तेमाल की वकालत तो की लेकिन हमने कहा हम यहां सौदेबाजी की बात करने नहीं आए हैं. इस देश के अल्पसंख्यकों को कानून और उनके अधिकार के हिसाब से सब कुछ मिलना चाहिए.’

बकौल फ़िरोज़ बख्त, मोदी ने कहा, ‘बेशक, मुस्लिमों को उनका अधिकार ज़रूर मिलेगा.’ मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा, ‘हम अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्य करेंगे.’

फ़िरोज़ बख्त से भी नेताओं-सांसदों के नफ़रत भरे भाषणों के बारे में हुई बातचीत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मीटिंग में यह मुद्दा उठाया तो गया था. जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनकी अनुमति से नहीं हो रहा है. इसलिए यह न तो उनका पक्ष है न तो उनकी पार्टी का पक्ष है.’

यदि पत्र सूचना कार्यालय की विज्ञप्तियों का रुख करें तो लिखा मिलता है कि, ‘प्रतिनिधिमंडल के सदस्योंर ने पिछले एक वर्ष में प्रधानमंत्री के नेतृत्वल की प्रशंसा की और कहा कि वे प्रगति एवं विकास के लिए प्रधानमंत्री के साथ भागीदारी करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने वोट बैंक की बांटने की राजनीति को नकार दिया है और उनकी रुचि विकास में है.’

इसके साथ विज्ञप्ति में यह बात भी जोड़ी गयी है कि ‘नेताओं ने मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कम्यूत भीटर देने के प्रधानमंत्री के विजन के लिए उनको बधाई दी. उन्होंखने संयुक्तर राष्ट्र् द्वारा अंतर्राष्ट्री य योग दिवस मनाये जाने में देश को मिली सफलता के लिए भी प्रधानमंत्री को बधाई दी.’

जहां एकतरफ मुस्लिम प्रतिनिधियों ने इन सभाओं को लेकर आशाएं ज़ाहिर की हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार को अभी भी अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए इस तरह के प्रयास करने पड़ रहे हैं. ज़ाहिर है कि ऐसे प्रयास तभी किए जाते हैं जब ज़मीनी तौर पर सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ भी करने में नाकाम रही हो. इसके साथ-साथ मोदी से मुलाक़ात करने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों के प्रोफाइल से मालूम हो जाता है कि अधिकतर प्रतिनिधि उन राज्यों से हैं, जहां भाजपा की सरकार है. बड़े फलक को अल्पसंख्यक समुदाय को संबोधित करने के प्रयास अधूरे और नाकाफी हैं. इन तथ्यों के साथ यह बात भी ज़रूरी है कि इन मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की उपस्थिति कितनी ज़रूरी है.

बिहार में कुछ ही महीनों बाद होने वाले चुनावों में भी भाजपा अल्प्संख्य्कों और दलितों के ज्यादा करीब दिखना चाहती है. संभव है कि ऐसी छिटपुट मीटिंगें उस दिशा में भी कोई मदद करने का कार्य करें. प्रधानमंत्री अपने ही नेताओं और सांसदों के नफ़रत भरे भाषणों की जवाबदेही नहीं कर पा रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों में अल्पसंख्यकों को लेकर हो रहे हमलों, घर-वापसी के कारनामों और बाकी तमाम हालातों को कहां तक यह मीटिंग्स सुलझा पाती हैं, यह एक बड़ा सवाल है?