By TwoCircles.net Staff Reporter,
पटना: बिहार चुनाव में रोज़-ब-रोज़ नए फेरबदल देखने को मिल रहे हैं. कुछ दिनों पहले पप्पू यादव पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से मुलाक़ात करने पहुंचे थे.
ज्ञात हो कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के विरोध के बाद पप्पू यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ‘जनक्रांति अधिकार मोर्चा संगठन’ बनाकर चर्चा में आए.
इन सब निष्कासन और स्थापना के बाद अब पप्पू यादव नया दांव खेलने की तैयारी करने लगे हैं. जैसा आप सभी को पता है कि बीते हफ्ते पप्पू यादव ने सीवान मंडल कारागार में पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन से मुलाक़ात की. यह बात ध्यान देने की है कि दोनों दबंग नेताओं के बीच की यह मुलाक़ात दो घंटे से भी ज्यादा चली, जिसे बाद में पप्पू यादव ने गैर-राजनीतिक मुलाक़ात करार दे दिया.
लेकिन शहाबुद्दीन से मुलाक़ात के बाद पप्पू यादव का मीडिया से यह कहना कि लालू यादव के कारण शहाबुद्दीन आज जेल में है, कुछ और ही संकेत दे रहा है. सूत्रों की मानें तो अपनी नयी-नवेली पार्टी को शहाबुद्दीन के साथ खड़ा करने के लिए पप्पू यादव जोड़-तोड़ में लगे हुए हैं.
पप्पू यादव ने शहाबुद्दीन के साथ-साथ राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के साथ भी करीबी के सुर साधे हैं. यही नहीं, इस साल फरवरी के आखिरी दिनों से वे जीतनराम मांझी के समर्थन में भी खड़े दिख रहे हैं और यह भी संकेत दिए हैं कि वक़्त पड़ने पर वे भाजपा के साथ जा सकते हैं.
ज़ाहिर है कि बिहार में कांग्रेस को छोड़कर कोई भी प्रादेशिक पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने के एक हद तक नाकामयाब रही है. इसीलिए बीते लोकसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस के साथ मिलकर अपनी हिस्सेदारी की थी. पप्पू यादव के मौजूदा कदमों से यह तो साफ़ हो जा रहा है कि वे अपनी चुनावी रणनीति के तहत अल्पसंख्यकों वोटबैंक पर भी जोर आजमाइश करेंगे.
(फोटो क्रेडिट: IANS)