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चुनाव बाद बिहार की छठ पूजा

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना: ‘बिहार जीत’ पर दो-दो दीवाली मनाने के बाद छठ के मौक़े पर भी पटना के लोगों में ज़बरदस्त उत्साह नज़र आया. गंगा घाट पर भी आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला. बिहार में करारी हार के भाजपा के गायब नेता एक बार फिर से लोगों के बीच नज़र आए. पानी के जहाज पर सवार होकर लोगों को छठ की मुबारकबाद देते दिखें.

पटना में गंगा नदी किनारे छठ का अपना एक अलग महत्व है. शायद यही कारण है कि पटना के आस-पास के ज़िलों से भी लोग छठ का पवित्र त्योहार मनाने पटना ही आते हैं, क्योंकि लोगों में यह मान्यता है कि गंगा घाट पर सूर्य को अर्घ्य देने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है.

हिन्दुओं के पवित्र त्योहार ‘छठ’ को लेकर पटना के मुस्लिम बस्तियां भी अलग-अलग तरीक़ों के सजावट से जगमगाती दिखीं. पटना के सब्ज़ी-बाग को विशेष तौर पर बिजली के कुमकुमों से सजाया गया था. चौराहे पर छठी मैया की प्रतिमा भी स्थापित की गई थी. अनिसाबाद से लेकर फुलवारीशरीफ़ तक हिन्दू-मुस्लिम दोनों नौजवानों ने सड़क की सफ़ाई की, फिर पूरे सड़क पर पानी का छिड़काव करके सड़क के दोनों किनारे चूना लगाते नज़र आए.

छठ-व्रतियों को कोई तकलीफ़ न हो. पैरों या बदन में कोई कंकड़ न चुभे, इसके लिए पटना के दरियापुर इलाक़े के मुसलमानों ने 10 दिनों पहले से सफ़ाई अभियान शुरू कर दिया था. किसी के आस्था को ठेस न पहुंचे, इसे ध्यान में रखते हुए पटना के कई मुहल्लों में मीट आदि के बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी. कई इलाक़ों में मुसलमानों की ओर से सड़क पर कालीन भी बिछाए गए थे. कई जगह स्वागत-द्वार व रौशनी की व्यवस्था भी यहां के मुसलमानों ने की थी.

दरअसल, छठ दूसरे तमाम पर्व-त्योहारों से थोड़ा अलग है. बल्कि यह उत्सव नहीं, व्रत है. एक अनुष्ठान है, जिसे चार दिनों तक किया जाता है. इसीलिए बिहार में इसे महापर्व का दर्जा दिया गया है. इस त्योहार में रोशनी के प्रतीक यानी सूर्य की पूजा की जाती है.

सरकार की ओर से घाटों पर देखरेख व नागरिक सेवा के लिए पटना के मुस्लिम टीचरों को ड्यूटी पर तैनात किया गया था.

TwoCircles.net ने बिहार के इस सबसे बड़े पर्व से जुड़े प्रतीकों को कैमरे क़ैद करने की कोशिश की, जिसे आप भी यहां देख सकते हैं.

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