By TCN News,
लखनऊ: रिहाई मंच ने केंद्र सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार किसानों की आत्महत्या के मामलों की जांच में लीपापोती में लिप्त है और किसानों की फसल बर्बाद हो जाने के बाद हुई मौतों को प्राकृतिक साबित करने पर तुली हुई है. मंच ने बिहार चुनाव में बिहार के सैकड़ों दलितों और मुसलमानों के हत्यारे रणवीर सेना के संस्थापक बरमेश्वर मुखिया के बेटे इंदू भूषण सिंह को सपा द्वारा तरारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने को सपा के दलित और मुसलमान विरोधी राजनीति का ताजा उदाहरण बताया है.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के नेता राजीव यादव ने कहा है कि 14 अप्रैल 2014 को आजमगढ़ के पल्हनी ब्लाक के सराय सादी गांव के किसान रामजन्म राजभर की तूफ़ान और ओला वृष्टि के कारण फसल नुकसान होने पर सदमे से हुई मौत पर केंद्र सरकार अधिकारीयों से झूठे रिपोर्ट लगवा रही है कि किसान की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई. इस घटना पर रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम द्वारा सवाल उठाने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा इसकी जांच कृष्ण कांत नामक अधिकारी से कराई और संगठन को अपनी रिपोर्ट भी भेजी है, जिसमें मौत को प्राकृतिक करार दिया गया है. राजीव यादव ने कहा कि रिपोर्ट आ जाने के बाद जब इंसाफ मुहिम के तहत किसानों की बदहाली का सवाल उठाने वाले मसीहुद्दीन संजरी के नेतृत्व में विनोद यादव, अनिल यादव और तारिक शफीक ने पीड़ित परिवार के घर का दौरा किया तो पीड़ित परिवार के लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि यहां तो कोई भी जांच करने आया ही नहीं था तो रिपोर्ट कैसे लगा दी गई?
उन्होंने सवाल उठाया कि किसान रामजनम की मौत के बाद स्थानीय मजिस्ट्रेट के कोश से दो लाख रुपए की लिखित आर्थिक सहायता का आश्वासन देने के बावजूद आज तक अखिलेश यादव सरकार द्वारा सहायता न देना सरकार के किसानों को ठगने की नीति को उजागर करता है.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने मुलायम सिंह के इस बयान कि सपा और भाजपा की विचारधारा देशभक्ति के सवाल पर बिल्कुल एक जैसी है को मुलायम सिंह द्वारा सच्चे दिल से दिया गया बयान बताया है. शुऐब ने कहा, ‘उम्र के इस पड़ाव पर जो सच उन्होंने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है उसको जनता पहले से जानती है कि वे संघ परिवार के एजेंट हैं और इसीलिए बाबरी मस्जिद को तोड़ने और मुसलमानों की हत्याओं को देशभक्ति बताने वाले भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी को उनकी पिछली सरकार ने रायबरेली कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि इन तीनों की बाबरी मस्जिद ढ़हाने में कोई भूमिका नहीं थी.’
शुऐब ने आगे कहा, ‘मुसलमानों को राष्ट्रविरोधी मानने और उनके कत्लेआम को देशभक्ति बताने वाली संघ परिवार की विचारधारा में यकीन रखने के कारण ही शायद उन्होंने कानपुर में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा के मास्टरमाइंड रहे तत्कालीन एसएसपी एसी शर्मा – जिनकी उस घटना में संल्पितता की जांच के लिए जस्टिस माथुर कमीशन बनाया गया था – की रिपोर्ट को उन्होंने लगातार सिर्फ दबाए ही नहीं रखा बल्कि कानपुर के मुस्लिमों के इस हत्यारे को डीजीपी भी बना दिया.
रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दिनों मैनपुरी के तीनी करहाल इलाके में गोकशी के झूठे अफवाह के बाद हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा में मुख्य भूमिका निभाने वाले नगर पंचायत अध्यक्ष और सपा नेता संजीव यादव का अभी तक सपा से निलंबित न होना और पुलिस की तहरीर में सपा नेता के भाई टीटू द्वारा किरोसिन तेल और डीजल लाकर मुस्लिमों और पुलिस की गाड़ियों को जलाने की बात आना भी साबित करता है कि सपा मुखिया की संघी मार्का देशभक्ति मुसलमानों की सुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही है.
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि मुलायम सिंह के पैतृक क्षेत्र में उनके नगर पंचायत अध्यक्ष और इस मुस्लिम विरोधी हिंसा के मास्टरमाइंड संजीव यादव द्वारा 2012 में चुनाव के दौरान खुलेआम यह घोषणा करना कि ‘उसे मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए’ मुलायम सिंह द्वारा भाजपा से अपनी वैचारिक नजदीकी के कबूलनामे को सही साबित करता है. रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि सपा के तथाकथित मुस्लिम चेहरे आजम खान को मुलायम सिंह के इस बयान पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.