अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नोखा (राजस्थान) : डेल्टा मेघवाल कौन थी? उसमें ऐसा क्या था? जो सभी को अपनी ओर खींचता था? वो क्या कर सकती थी? उसकी क्षमताएं क्या थीं? अपने निजी ज़िन्दगी में वो कैसी थी? क्या वो इससे पहले भी कभी आत्म-हत्या करने की कोशिश कर चुकी है?
ऐसे कई सवाल और बहुत सी बातें हमने उन लोगों से जाननी चाही जो उसके रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के हिस्सा थे. उसके कॉलेज के दोस्त, उसकी हॉस्टल के साथी, टीचर, प्रिंसिपल और उसके तमाम जानने वालों से हमने राजस्थान के बीकानेर ज़िला के नोखा शहर में मुलाक़ात की. इन तमाम लोगों से यह मुलाक़ात डेल्टा मेघवाल की वास्तविक तस्वीर खींचने के लिए काफी है.
डेल्टा मेघवाल के साथ 20-25 दिन हॉस्टल में रहने वाली उसके क्लास की साथी श्रवणी चौधरी बताती हैं कि डेल्टा कम बोलने वाली एक बेहद ही प्रतिभावान लड़की थी. उसे फालतू के कामों में कोई दिलचस्पी नहीं रहती थी. वो सिर्फ़ अपने पढ़ाई पर ध्यान देती थी. क्लास में कभी किसी के साथ कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं किया.
श्रवणी कहती हैं कि डेल्टा के साथ जिसने भी ग़लत किया है, उसे कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.
डेल्टा के क्लास में पढ़ने वाली मग्गी मेघवाल कहती हैं कि उसकी पेन्टिंग करने की कला लाजवाब थी. वो स्काउट की लीडर भी थी. सबको साथ लेकर चलना उसे बखूबी आता था.
वहीं सुमित्रा खाती कहती हैं कि डेल्टा का व्यवहार सबके साथ काफी अच्छा था. वो टीचरों की काफी रेस्पेक्ट करती थी. मधु चारक कहती हैं कि –‘आख़िर उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? ये सच तो सामने आना चाहिए. इस घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए.’
डेल्टा की एक और दोस्त का साफ़ तौर पर कहना है कि –‘मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा है कि वो अब हम सबके बीच नहीं है. मुझे नहीं लगता कि डेल्टा ऐसा कर सकती है. वो मरी नहीं मारी गई है.’ (डेल्टा के इस दोस्त का नाम सुरक्षा कारणों से हम यहां प्रकाशित नहीं कर रहे हैं. हमने इनसे उनके घर पर बात की थी.)
डेल्टा की टीचर प्रियंका श्रीमाली बताती हैं कि डेल्टा अपने हर काम में परफेक्ट थी. एक्सट्रा एक्टिविटी में भी हिस्सा लेती थी. उनकी मांग है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. जो दोषी हैं, वास्तव में दोषी हैं. उनको सज़ा तो मिलनी ही चाहिए.
वहीं टीचर ऋचा गुप्ता का कहना है कि डेल्टा शिक्षा के मैदान में काफी नाम रौशन करती. हमलोग इस घटना से काफी सदमे में हैं.
वहीं प्रिंसिपल डॉ. राजेन्द्र श्रीमाली का कहना है कि –‘यह बहुत ही दुखद घटना है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो.’ वो डेल्टा आंदोलन को लेकर वो कहते हैं कि –‘हम भी वही करते, जो इस समय उसके पिता कर रहे हैं.’
डेल्टा के पिता के दोस्त व नोखा में डेल्टा के स्थानीय अभिभावक ओम प्रकाश का कहना है कि डेल्टा को मैंने कभी तनाव में नहीं देखा. उसके मुंह से कभी नकारात्मक बात मैंने नहीं सुनी. वो बहुत प्रतिभाशाली लड़की थी. उसको बलात्कार करके मारा गया है. इस घटना की सीबीआई जांच ज़रूर होना चाहिए.
वहीं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्राधानाध्यापक सुरेश हटीला का कहना है कि जैन कॉलेज की 35 बच्चियां मेरे इस स्कूल में अपना लेशन देने दिसम्बर-जनवरी के महीने में आई थी. डेल्टा को कई बार बच्चों को पढ़ाते हुए देखा था. वो बहुत आत्म-सम्मान के साथ बच्चों को पढाती थी. वो बच्ची किसी भी सूरत में ऐर-गैर नहीं थी. डेल्टा को न्याय ज़रूर मिलना चाहिए, नहीं तो बच्चियों को आगे कोई नहीं पढ़ाएगा.
स्पष्ट रहे कि 17 साल की यह प्रतिभाशाली डेल्टा मेघवाल नोखा के श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में BSTC (बेसिक स्कूल टीचर सर्टिफिकेट) का कोर्स कर रही थी. वो इस समय इस कोर्स के सेकेंड ईयर में थी. इससे पूर्व जब वो 9वीं क्लास में थी, तब उसने एक कला प्रतियोगिता में पूरे राजस्थान में प्रथम स्थान प्राप्त किया था. यही नहीं, 7 साल की उम्र में जब वो बाड़मेर के राजीव गांधी पाठशाला में पढ़ती थीं, तब उन्होंने जो पेन्टिंग बनाई थी, वो 2006 में राजस्थान सचिवालय द्वारा प्रकाशित एक कला पत्रिका में चित्रित किया गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता जुगल हटीला व चुन्नीलाल राजस्थानी बताते हैं कि डेल्टा मेघवाल की बनाई गई एक पेन्टिंग ‘रेगिस्तान के जहाज़’ शीर्षक के साथ सचिवालय में भी लगा है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने न सिर्फ़ उस पेन्टिंग को अपने कार्यालय में लगाया है, बल्कि बाक़ायदा डेल्टा को पत्र लिखकर पेन्टिंग की सराहना की थी और ज़िला स्तर पर भी सम्मानित करवाया था.
इतना ही नहीं, डेल्टा मेघवाल के हुनर को देखते हुए कई बार उपखण्ड मुख्यालय पर भी प्रशासन उसे सम्मानित कर चुका है.
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