TwoCircles.net Staff Reporter
एर्नाकुलम(केरल): हिजाब को लेकर समाज में हमेशा कोई न कोई मुद्दा उठता रहा है. मौजूदा वक़्त में भी सोशल मीडिया पर कई लोगों ने हिजाब पर कई बातें की हैं. अब ऐसा ही एक नया मामला केरल से आया है. केरल हाईकोर्ट ने इस साल के ऑल इंडिया प्री-मेडिकल एंट्रेस टेस्ट (एआईपीएमईटी) में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर परिक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है.
हालांकि अदालत ने यह अनुमति एक शर्त के साथ दी है. शर्त यह है कि हिजाब पहनने वाली सभी छात्राओं को परीक्षा से आधे घंटे पहले परीक्षा केंद्र में उपस्थित होना होगा, ताकि जरूरी होने पर उनकी तलाशी ली जा सके.
न्यायमूर्ति मोहम्मद मुश्ताक ने अमनाह बिंत बशीर द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. याचिका में मेडिकल परीक्षा कराने से संबंधित बुलेटिन में सीबीएसई द्वारा उम्मीदवारों के लिए तय ड्रेसकोड को चुनौती दी गई थी.
न्यायाधीश ने इस शर्त पर अनुरोध स्वीकार किया कि लड़कियां परीक्षा से आधे घंटे पहले उपस्थित होंगी और जरूरत पड़ी तो उनकी तलाशी ली जाएगी. याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि सीबीएसई द्वारा परीक्षा के लिए तय किया गया ड्रेस कोड उसकी धार्मिक आजादी का उल्लंघन है.
दूसरी तरफ, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड(सीबीएसई) ने भी मेडिकल एंट्रेंस में पूरे देशभर की मुस्लिम छात्राओं को बुर्का और स्कार्फ पहनने की इजाजत देने पर विचार करना शुरू कर दिया है.
सीबीएसई ने हाल ही अपने एक आदेश में कहा था कि 25 जुलाई को होने वाले ऑल इण्डिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में स्कार्फ या पूरी बांह के कपड़े पहनकर आने पर रोक रहेगी. मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए ड्रेस कोड लागू किए जाने पर कई मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी. संगठनों का कहना था कि स्कार्फ और पूरी बांह के कपड़े पहनने पर रोक गलत है और इससे उनकी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचती है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.