‘नमाज़’ विवाद: मीडिया ने भड़काई मेवात की आग

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

तावड़ू (हरियाणा) : मेवात के तावड़ू क़स्बे के ग्रीन डेल्स पब्लिक स्कूल में हिन्दू बच्चों को कथित रूप से नमाज़ पढ़ाने की घटना के चलते हुए बवाल में मीडिया का भी अहम किरदार रहा है. सच तो यह है कि स्थानीय मीडिया के साथ-साथ इस देश की मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी इस मामले को हवा देने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी.


Support TwoCircles

राष्ट्रीय स्तर के बड़े अख़बारों ने भी तथ्यों की परवाह या छानबीन करने की कोई ज़रूरत नहीं समझी. इन अखबारों की रिपोर्टिंग पढ़कर लगता है कि ऐसी रपटों में दी गयी जानकारियों का तथ्यों और हक़ीक़त के साथ कोई तालमेल नहीं है. ये रिपोर्टें पूरी तरह से सिर्फ़ सुनी-सुनाई बातों पर आधारित हैं और ऐसी रपटों के चलते ही इलाक़े का माहौल तनावपूर्ण हो चुका है.

Tribune Screen Afroz Story.jpg

अख़बार ‘द ट्रिब्यून’ ने अपने रिपोर्ट में लिखा है : ‘नमाज़ पढ़ाने के लिए एक टीचर को दिल्ली से बुलाया गया था. उसी ने बच्चों को सफ़ेद रूमाल सिर पर बांधकर नमाज़ पढ़ने को कहा.’

यहां पढ़ें ट्रिब्यून की खबर : http://www.tribuneindia.com/news/haryana/non-muslim-kids-asked-to-offer-namaz-in-mewat-school/263585.html

वहीं जागरण सहित हिन्दी के कई अख़बारों और उनकी वेबसाइटों ने अपनी ख़बर में यही लिखा है कि स्कूल में नमाज़ और कुरआन पढ़ाई गई.

यहां पढ़ें जागरण की खबर : http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-in-a-school-hindu-students-pray-namaz-14287831.html

यहां पढ़ें भास्कर की खबर : http://www.bhaskar.com/news/HAR-GUR-OMC-fine-on-school-news-hindi-5369251-NOR.html

और यहां पढ़ें खबर लाइव की रिपोर्ट : http://www.khabarlive.in/news/a-school-taught-namaj-to-children-forcefully-got-punished/13212

इस घटना के सन्दर्भ में जब तावड़ू में स्कूल के चेयरमैन भूनेश्वर शर्मा, प्रिसिंपल प्रोमिला शर्मा और विवादों में घिरी हुई स्कूल की अध्यापिका से हमने बात की तो उनका स्पष्ट तौर पर कहना था कि स्कूल में किसी ने कोई नमाज़ या कुरआन नहीं पढ़ाया. इस बात की पुष्टि यहां पढ़ने वाले छात्र भी करते हैं.

दरअसल यह स्कूल काफी पहले से पर्व-त्योहारों के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता आया है ताकि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हर धर्म के त्योहारों व उनके संस्कृतियों से रूबरू कराया जा सके. और ऐसा हरियाणा सरकार भी चाहती है कि स्कूलों में बच्चों को हर त्योहारों व संस्कृतियों के बारे में बताया जाए. केन्द्र सरकार द्वारा संचालित सीबीएसई भी चाहती है कि हर स्कूल ऐसी एक्टिविटी कराएं, जिसमें बच्चे दूसरे धर्म के संस्कृतियों से भी रूबरू हों.

इसी एक्टिविटी के तहत ईद के एक दिन पूर्व इस स्कूल में भी एक कार्यक्रम आयोजित कया गया. जिसमें रोज़ होने वाले गायत्री मंत्र की जगह अल्लामा इक़बाल की लिखी नज़्म ‘लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी…’ मोबाईल के ज़रिए बजाकर माईक की मदद से बच्चों को सुनाया गया. उसके बाद बच्चों ने बजरंगी भाई जान फिल्म का एक गाना ‘भर दो झोली मेरी या मुहम्मद…’ गाया और एक नाटक करके यह संदेश देने की कोशिश की कि हम सबको आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए.

इसके एक मुस्लिम टीचर ने बच्चों को ईद के बारे में बताया और बच्चों के लिए दुआ की. उसके मुताबिक़ उस दुआ उसने यह कहा था : ‘ऐ खुदा! इन बच्चों को अपने स्कूल का नाम रौशन करने वाला बना. अपने मां-बाप की इज़्ज़त करने वाला बना. उनकी सेवा करने वाला बना. इन बच्चों को अच्छी तालीम से नवाज़ और ऊंचा मुक़ाम अता कर…’

दिलचस्प बात यह है कि हिन्दी के कई अख़बारों के रिपोर्टरों ने अपनी ख़बर में यह लिखा कि इस स्कूल में नमाज़ पढ़ाने के लिए केरल से एक टीचर को बुलाया गया था और अब वह दिल्ली भाग गई है. इस ख़बर को कई समाचार चैनलों ने भी प्रसारित किया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि उक्त मुस्लिम टीचर से मिलने के दौरान हमें पता चला कि वे इसी क़स्बे की हैं और फिलहाल तावड़ू में ही रह रही है. उनके मुताबिक़ आज तक वे कभी केरल नहीं गयीं.

फिलहाल विवादों में घिरी टीचर ने स्कूल से इस्तीफ़ा दे दिया है. उनके मुताबिक़ इस स्कूल से वे 31 मार्च, 2016 को अंग्रेज़ी पढ़ाने के लिए जुड़ी थीं और बच्चों को सिर्फ़ 2 महीने 6 दिन ही पढ़ा सकीं.

दिलचस्प बात यह है कि ज़्यादातर अख़बारों की रिपोर्ट में इस सवाल के साथ ख़बर की शुरूआत की गई है : ‘अगर मुस्लिम बच्चों को गायत्री मंत्र पढ़वा दिया जाए तो…’

newsloose.com द्वारा प्रकाशित की गयी खबर का शीर्षक है : ‘वो हिन्दू हैं इसलिए मीडिया को असहिष्णुता नहीं दिखी’. यह वेबसाइट अपने ख़बर के शुरूआत में ही लिखती है : ‘कल्पना कीजिए क्या अगर किसी स्कूल में गैर-हिन्दू छात्रों को गायत्री मंत्र या सरस्वती वंदना करने को कहा जाए. ज़ाहिर है मीडिया से लेकर देश के बुद्धिजीवी तक आसमान सिर पर उठा लेंगे. जहां पर ऐसी घटना हुई अगर वहां पर बीजेपी की सरकार हुई तो इसके लिए सीधे प्रधानमंत्री को ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाएगा. लेकिन क्या होगा, अगर किसी स्कूल में पढ़ने वाले हिन्दू बच्चों से जबरन नमाज़ पढ़वाई जाए? अगर ऐसा हुआ तो कुछ नहीं होगा. सरकार और प्रशासन चाहे जो करे, लेकिन दिल्ली का मीडिया माफ़िया कान में तेल डाल लेगा.’

न्यूज़ लूज़ की खबर पढ़ें यहां – http://www.newsloose.com/2016/07/11/non-muslim-kids-asked-to-offer-namaz-in-mewat-school/

लेकिन हम बताते चलें कि मेवात के स्थानीय लोगों के मुताबिक़ यहां के ज़्यादातर स्कूलों में एसेंबली के दौरान मुस्लिम बच्चे हर दिन गायत्री मंत्र पढ़ते हैं. हमें तक़रीबन 55 साल के इस्लाम भी मिले, जिन्हें गायत्री मंत्र काफी अच्छे से याद था.

यहां के एडवोकेट हाशिम खान भी बताते हैं, ‘मैं लंबे समय तक एक स्कूल में टीचर रहा हूं. वहां हर रोज़ असेंबली में गायत्री मंत्र और ओम का उच्चारण करवाया जाता था. मैंने और उस स्कूल के बच्चे हमेशा मंत्र पढ़ते थे, लेकिन कभी नहीं लगा कि इससे हमारी आस्था कमज़ोर हो रही है.’

यहां के मुसलमानों का यह भी सवाल है कि हमारे बच्चे तो हर रोज़ इन्हीं स्कूलों में गायत्री मंत्र पढ़ रहे हैं. होली खेल रहे हैं. दिवाली मना रहे हैं. सरस्वती की पूजा कर रहे हैं. तो क्या हम भी अपने बच्चों को इन स्कूलों से हटा लें?

यही नहीं, मेवात और आसपास के इलाकों के छपने वाले स्थानीय अखबारों को देखें तो भी पता चलता है कि अधूरी सचाई के साथ मीडिया माहौल को और भी खराब करने की कोशिश में लगा हुआ है.

उस मीडिया की ज़िम्मेदारी वैसे ही ज़्यादा होती है, जो संसाधन और पहुंच में सबसे आगे है. मगर मेवात की इस घटना को जिस तरह से कवर किया गया, यक़ीनन यह कवरेज कई सवाल खड़े करता है. सवाल अख़बारों की निष्पक्षता का है. सवाल तथ्यों की जांच-पड़ताल किए बग़ैर ख़बर छाप व टीवी पर दिखा देने का है. और सबसे बड़ा सवाल उस दौर में जब साम्प्रदायिक ताक़ते देश का माहौल ख़राब करने की कोशिशें व साज़िशें कर रही हैं, ऐसे दौर में मीडिया का सचाई से अपना पल्ला झाड़ लेने का है.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE