Home Adivasis नक्सलियों के काले झंडे की जगह गोमपाड़ में तिरंगा फहराएंगी सोनी सोरी

नक्सलियों के काले झंडे की जगह गोमपाड़ में तिरंगा फहराएंगी सोनी सोरी

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

सुकमा(छत्तीसगढ़): सुकमा जिले के गोमपाड़ में आज तक तिरंगा नहीं फहराया जा सका है. नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित यह इलाक़ा मुख्यधारा से कटा हुआ है. न प्रशासन ने, न सरकार ने और न ही किसी सामाजिक संगठन ने आज तक यह हिम्मत की है कि वहां जाकर तिरंगा लहरा दे.



[साभार – कैच न्यूज़]

मगर इस बार गोमपाड़ में तिरंगा फहराने का साहसी काम एक ऐसी महिला करने जा रही है, जो ‘नक्सल आन्दोलन’ का ही एक बड़ा चेहरा मानी जाती रही हैं. उस चेहरे को हम सोनी सोरी के नाम से जानते हैं. गोमपाड़ में तिरंगा फहराने के सोनी सोरी के ऐलान में सभी को हैरान कर दिया है.

विश्व आदिवासी दिवस एवं अगस्त क्रांति आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के मौक़े पर बस्तर में आदिवासियों के निर्मम दमन, लोकतान्त्रिक अधिकारों के हनन, सैन्यीकरण तथा संसाधन की लूट के ख़िलाफ़ 9 अगस्त को दंतेवाड़ा के अम्बेडकर चौराहे से एक पदयात्रा शुरू की जा रही है. यह पदयात्रा लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके 15 अगस्त को सुकमा ज़िला के गोमपाड़ पहुंचेगी और यहीं इस ‘तिरंगा यात्रा’ का समापन यहां निर्दोष आदिवासियों को श्रद्धांजलि देते हुए तिरंगा झंडा फहराकर होगा.

ख़बर है कि इस समापन समारोह में जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी शामिल होंगे. इसके अलावा इस यात्रा में रोहिथ वेमुला की मां और दादरी कांड में मारे गए अख़लाक़ की पत्नी के भी शामिल होने की ख़बर है.

बताते चलें कि यह गोमपाड़ वही जगह है जहां 13 जून 2016 को एक युवती मडकम हिडमे को नक्सली बताते हुए मुठभेड़ में मार दिया था. लेकिन यहां के स्थानीय निवासी, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता इसे सुरक्षाबलों द्वारा किया गया फ़र्जी मुठभेड़ में की गई हत्या बताते हैं. इस मामले को लेकर सोनी सोरी, संकेत तिवारी सहित अनेक सामाजिक-राजनैतिक संगठनों ने गोमपाड़ से बिलासपुर हाईकोर्ट तक संघर्ष किया.

TwoCircles.net से बातचीत में सोनी सोरी बताती हैं, ‘पुलिस द्वारा इस यात्रा को रोकने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हमने इसकी सूचना कल ही यहां के कमिश्नर को दे दी है. यह पदयात्रा किसी भी हालत में रद्द नहीं की जाएगी. इसके लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो दूंगी. जिस गोमपाड़ में नक्सली काला झंडा फहराते थे वहां आज हम पूरी हिम्मत के साथ तिरंगा झंडा फहराने जा रहे हैं तो इन्हें इसमें समस्या क्या है?’

वहीं दूसरी ओर सलवा जुडूम की तर्ज में तैयार ‘अग्नि’ भी पदयात्रा के विरोध में आ गया है. इस संगठन के सदस्यों ने सोनी सोरी को चुनौती देते हुए कहा है कि विरोध होगा और ज़रूरत पड़ी तो आमने-सामने भी विरोध किया जाएगा.

सोनी सोरी और पुलिस व अर्द्ध सैनिक बलों के बीच का टकराव व दुश्मनी जगजाहिर है. शायद इसीलिए सुरक्षा बल सोनी सोरी को वह काम नहीं करने दे रहे हैं, जो देश की स्वाधीनता का प्रतीक है. एक तरह से देखा जाए तो सुरक्षा बल से जुड़े लोग गोमपाड़ में तिरंगा झंडा फहराने के ऐलान के खिलाफ खड़े दिखायी दे रहे हैं.

सोनी सोरी की दुविधा यह है कि एक ओर उन्हें नक्सलियों से सामना होने का डर है, क्योंकि नक्सली यहां हमेशा से काला झंडा ही फहराते आए हैं. दूसरी ओर राज्य व केन्द्र का सरकारी तंत्र भी उनका दुश्मन हो गया है. ऐसे में 15 अगस्त को गोमपाड़ इलाक़े की तस्वीर क्या होगी, ये बेहद ही दिलचस्प विषय बन चुका है. इन सबके बीच यह बात भी साफ़ होती जा रही है कि सरकारी तंत्र सोनी सोरी के प्रति किस क़दर दुर्भावना और विरोध से भरा हुआ है.