सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी : बनारस में शहर के सांसद नरेंद्र मोदी बहुत दिनों बाद फिर से आए हैं. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और संस्कृति मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन जारी है. नरेंद्र मोदी इसी कार्यक्रम में शिरकत करने आए हैं, लेकिन मोदी के तेवर और उनके कार्यक्रमों को देखें तो यह पता चलने पर अचरज नहीं होता है कि नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह इलेक्शन मोड में चल रहे हैं.
लेकिन इससे दुर्भाग्यपूर्ण खबर भी विश्वविद्यालय से आ रही है. विश्वविद्यालय के करीब 35 वेतनभोगी कर्मचारियों को मोदी के दौरे के ठीक पहले कल रात लंका थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इन सभी गिरफ्तार कर्मचारियों को अभी फिलहाल ही रिहा किया गया है.
विश्वविद्यालय के सौ से भी अधिक कर्मचारी पिछले 170 से भी ज्यादा दिनों से विश्वविद्यालय के मुख्यगेट पर धरना दे रहे थे. ये सभी कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी हैं और ये विश्वविद्यालय से मांग कर रहे थे कि अपने वादे के मुताबिक विश्वविद्यालय इन्हें स्थायी रूप से नियुक्त करे.
मोदी के प्रस्तावित दौरे के ठीक पहले एसपीजी के आदेश पर लंका थाने की पुलिस ने उन्हें धरना हटाने को कहा तो इन प्रदर्शनकारी मजदूरों ने मना कर दिया. इन्होने कहा कि वे विश्वविद्यालय के कुलपति से बातचीत करने के बाद ही हटेंगे लेकिन कुलपति ने बात करने से इनकार कर दिया.
ज्ञात हो कि कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी से इन कर्मचारियों की पहले भी मुलाक़ात हो चुकी है लेकिन बातचीत से कोई मजबूत हल नहीं निकाला जा सका.
इसी के बाद धरने को अतिक्रमण समझते हुए लंका थाने ने प्रदर्शनकारी कर्मचारियों में से 35 को कल रात गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें मोदी का दौरा ख़त्म होने के बाद आज छोड़ा गया है. प्रदर्शनकारियों ने यह भी धमकी दी थी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो वे मोदी के सामने उनके संसदीय क्षेत्र में आत्मदाह कर लेंगे.
इस घटना की राजनीतिक दल स्वराज अभियान ने कड़े शब्दों में निंदा की है. स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने बीएचयू के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग के साथ अनशन पर बैठे कर्मचारियों के संबंध में बनारस के सांसद श्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा पर उसका अब तक कोई जवाब नहीं आया. स्वराज अभियान ने कहा है, ‘इससे साफ़ पता चलता है कि ना बीएचयू प्रशासन और ना ही प्रधानमंत्री इसपर गंभीर है. यह चलन प्रधानमंत्री के गरीबों के लिए लड़ने वाली बात को भी खोखला बना देता है.’