अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
‘जब से देश में बीजेपी की सरकार बनी है, मुसलमानों के ख़िलाफ़ आग उगलने का काम काफ़ी बढ़ा है…’
ऐसा मानना है बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफ़ूर का. TwoCircles.net के साथ एक ख़ास बातचीत में वे बताते हैं, ‘अपने एक साल के शासनकाल में अपने विभाग के ज़रिए बिहार के अल्पसंख्यकों के बीच हमने यह पैग़ाम दिया है कि जज़्बाती बात न करके तामीरी काम किया जाए. क्योंकि जबसे देश में बीजेपी की सरकार बनी है, मुसलमानों के ख़िलाफ़ आग उगलने का काम काफी बढ़ा है. ऐसे में बिहार के अल्पसंख्यकों को यह मशविरा दिया गया है कि उनके बहकावे व जज़्बात में अपने जज़्बात को शामिल न करें. बल्कि आरएसएस व बीजेपी का बेहतर जवाब यही है कि हम अपनी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हालत को बेहतर करें. क्योंकि जब हमारी ये हालत बेहतर हो जाएगी तो यही हमारा उनके इस बहकावे का जवाब होगा.’
मंत्री अब्दुल गफ़ूर एक लंबी बातचीत में बताते हैं, ‘भाजपा अल्पसंख्यकों, ख़ासतौर पर मुसलमानों के बीच, ऐसी कुछ ऐसी बात करती है, जिससे कि ये उलझ जाएं और उलझ कर उसका जवाब देने में अपना वक़्त गुज़ार लें और अपनी तरक़्क़ी की फ़िक्र छोड़ दें.’
वो आगे बताते हैं, ‘हमारे इस पैग़ाम का असर ये हुआ है कि दूसरी तंज़ीमें जो जज़्बाती बात करती थीं, अब उनके प्लेटफॉर्म से भी यह आवाज़ उठने लगी है कि हमें जज़्बात से नहीं, बल्कि हम दानिश-मंदाना जवाब दें.’
अब्दुल ग़फ़ूर कहते हैं कि इस एक साल में इस मंत्रालय की जो भी ज़िम्मेदारी रही, उसे हमने बेहतर ढंग से निभाने की पूरी कोशिश की. ‘हमने वक़्फ़ की हिफ़ाज़त और उसकी करक़्क़ी के लिए काम किया. हमारा विभाग अन्य विभागों के मुक़ाबले अच्छा काम कर रहा है. हमने अपने बजट का सौ फ़ीसदी इस्तेमाल किया है.’
लेकिन जब हमने बताया कि आरटीआई से मिले एक दस्तावेज़ के मुताबिक़ आपका अल्पसंख्यक विभाग अपने फंड का इस्तेमाल पूरा नहीं कर पा रहा है तो इसके जवाब में वे कहते हैं, ‘केन्द्र सरकार की कई योजनाओं की प्रक्रिया इतना जटिल है कि फंड समय से पारित नहीं हो पाता है. जिसके वजह से वक़्त पर काम नहीं हो पाता है और पैसा मंगाने में भी दिक्कत होती है.’
वो आगे कहते हैं, ‘ख़ासकर मोदी जी की सरकार जबसे सत्ता में आई है तो लगभग कई योजनाएं बंद कर दी गयी हैं. मदरसों के बिल्डिंग बनाने की योजना पर रोक लगा दी गई है. यह सरकार अल्पसंख्यकों के विरूद्ध काम कर रही है. इसकी वजह से उसके ज़रिए चलाई गयी योजनाओं पर भी असर पड़ रहा है.’
बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का बजट इतना कम क्यों? इस सवाल के जवाब में मंत्री ग़फ़ूर का कहना है कि उन्हीं राज्यों का बजट अधिक है, जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति बिहार से अधिक बेहतर है. उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट की बात सरकार के समक्ष रखी है. उम्मीद है कि आने वाले साल में यह बजट बढ़ेगा.
बिहार में बढ़ते साम्प्रदायिक तनावों की खबर के सवाल पर मंत्री ग़फ़ूर कहते हैं, ‘ये देखना बहुत ज़रूरी है कि दंगे हुए तो सरकार का क्या रोल रहा? हम सभी जानते हैं कि मुल्क में भाजपा की सरकार है. उनके नेता-मंत्री तरह-तरह के साम्प्रदायिक बयान देते हैं. स्वाभाविक है कि उसका असर आम जनता पर भी पड़ रहा है. और इस असर से ख़ासतौर पर उनकी विचारधारा से सहमत लोग ज़्यादा ज़हर उगलने लगे हैं, जिसके परिणाम में पूरे देश में साम्प्रदायिक मामलों में इज़ाफ़ा हुआ है. लेकिन हमारी बिहार ने इनसे सख़्ती से निपटने का काम किया है. हमने कहीं भी दंगे को आगे नहीं बढ़ने दिया.’
मंत्री अब्दुल ग़फ़ूर राजद के कद्दावर नेता हैं. पिछले दिनों जेल में शहाबुद्दीन के साथ मुलाक़ात को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं. सदन में विपक्षी पार्टी ने इनके इस्तीफ़े की मांग की थी, जिसके कारण सदन की कार्रवाई को कुछ घंटों के लिए स्थगित भी करना पड़ा था. इसके पूर्व गफ़ूर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को पीएम मैटेरियल बताकर बिहार के राजनीति में काफी चर्चे में थे.
मंत्री अब्दुल गफ़ूर से बातचीत के कुछ अंश का वीडियो आप यहां देख सकते हैं: