TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जामिया) के अल्पसंख्यक दर्जा के मसले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, उत्तरप्रदेश के कैबिनेट मंत्री आज़म ख़ान, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्षा बहन मायावती ने भी केन्द्र के मोदी सरकार को चेताया है.
गुरूवार को बीएसपी कार्यालय, लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि –‘एएमयू व जामिया के ‘अल्पसंख्यक दर्जे’ को छीनना मुस्लिम समाज के उच्च शिक्षा के मामले में ‘यतीम’ बनाने जैसा है. बीएसपी इन दोनों विश्वविद्यालयों के अल्पसंख्यक दर्जा को छीनने के क़दम को ग़लत, अनुचित व षड़यन्त्रकारी मानती है और इसके सख्त खिलाफ़ है.’
मायावती ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि –‘केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार खासकर ‘एएमयू व जामिया’ को उसकी स्थापित मान्यता व पहचान के विरूद्ध जाकर इन दोनों ही उच्च शिक्षण संस्थानों को काफी संघर्ष के बाद मिले अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा छीनकर एक प्रकार से यहाँ देश के धार्मिक अल्पसंख्यक के छात्रों को ’’यतीम’’ बनाने की पूरी-पूरी कोशिश में लगी हुई है, जबकि केन्द्र सरकार का यह घोर साम्प्रदायिकता से प्रेरित अति-निन्दनीय क़दम है. ऐसी संकीर्ण सोच से देश की प्रतिष्ठा (मान-मर्यादा) भी प्रभावित होती है.’
मायावती के मुताबिक़ –‘केन्द्र की भाजपा सरकार का यह प्रयास वास्तव में पूरे तौर से राजनीति से भी प्रेरित लगता है ताकि कुछ ही महीनों के बाद खासकर उत्तरप्रदेश में होने वाले विधानसभा आम-चुनाव में वोटों को जाति व मज़हब के नाम पर बाँटकर यहां अपने साथ-साथ सपा का भी उल्लू सीधा किया जा सके.’
मायावती का कहना है कि –‘एएमयू व जामिया के अल्पसंख्यक दर्जे के विरूद्ध अपने फैसले के पीछे जो बात भाजपा सरकार कह रही है वह वास्तव में कोई ठोस तर्क नहीं है.’
मायावती ने बताया कि –‘भाजपा का इस सम्बन्ध में यह कहना कि एएमयू व जामिया इन दोनों संस्थानों का अल्पसंख्यक का दर्जा समाप्त होने से फिर वहां देश के दलितों व अन्य पिछड़ों को शिक्षा प्राप्त करने में काफी सहायता मिलेगी, लेकिन हमारी पार्टी बीजेपी के इस तर्क से कतई भी सहमत नहीं है.
आगे उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि –‘इस सम्बन्ध में हमारी पार्टी का यह कहना है कि अपने देश में मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई व बौद्ध आदि ये सभी धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ज्यादातर यहां अपने इसी ही देश के मूल-निवासी हैं.’