TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : 2007 में मीडिया की सुर्खियों में आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के तथाकथित अपहरण की साज़िश रचने के नाम पर जिन तीन युवकों को पाकिस्तानी आतंकी आबिद, राशिद औ सैफुर्रहमान बताकर लखनऊ के एक न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा दी है, उन्हीं में से एक पर मेरठ के पवन कुमार पुत्र गंगा राम व पवन की मां महेश देवी निवासी 462/807 न्यू गोविंदपुरी, कंकर खेड़ा, मेरठ कैंट ने दावा किया है कि मोहम्मद आबिद कोड नेम फत्ते उर्फ सफ़दर उर्फ अय्यूब का चेहरा उनके भाई प्रवीण जो कि 5 मई 2006 से ही लापता है, से मिलता है.
इस मसले को लेकर रिहाई मंच ने शनिवार को प्रवीण के परिवार वालों के साथ डीएम से मुलाक़ात की और फ़रियाद किया कि इस परिवार को एक बार आबिद से मिलवा दिया जाए, क्या पता कहीं आबिद ही इनका बेटा प्रवीण हो. इस मुलाक़ात के दौरान डीएम का प्रभार देख रहे सीडीओ ने रविवार 11 बजे परिवार को जेल जाकर मुलाक़ात करने का वक़्त देते हुए ज़िला जेल प्रशासन से मुलाक़ात एसटीएफ, एटीएस, एलआईयू और डीवाइएसपी की मौजूदगी में कराने का निर्देश दिया है.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने TwoCircles.net से बातचीत में बताया कि मेरठ से आईं महेश देवी और उनके बेटे पवन कुमार ने रिहाई मंच के अध्यक्ष अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब के नेतृत्व में आज डीएम आवास पहुंच कर वहां उनका प्रभार देख रहे सीडीओ से जेल में बंद आबिद से मिलाने की मांग की. उन्होंने 5 मई 2006 से लापता चल रहे अपने बेटे प्रवीण कुमार और पाकिस्तानी आतंकी बताए जा रहे आबिद की तस्वीर उन्हें दिखाई. जिस पर उन्होंने कहा कि दोनों तस्वीरें एक ही व्यक्ति की हो सकती हैं और संदेह दूर करने के लिए आपको उनसे मिलने का प्रावधान किया जा सकता है, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इस हाई प्रोफाईल मामले में यह बहुत हद तक सम्भव है कि यदि मेरठ के हिंदू परिवार का दावा साबित हो जाता है तो एसटीएफ, एटीएस और खुफिया एजेंसियों की पूरी विश्वसनियता ही खंडित हो जाएगी. ऐसे में इस संशय को खारिज नहीं किया जा सकता कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए एजेंसियां आबिद के लिए कोई ख़तरा पैदा कर सकती हैं. इसलिए ज़रूरी है कि जेल के अंदर आबिद की जान की सुरक्षा का पुख्ता इंतज़ाम किया जाए.
स्पष्ट रहे कि इससे पूर्व शुक्रवार को रिहाई मंच द्वारा लखनऊ के प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में मेरठ निवासी पवन कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जिसे आबिद उर्फ फत्ते कहा जा रहा है, उसका चेहरा उनके लापता भाई प्रवीण कुमार से मिलता है. उनके भाई प्रवीण जो कि दिहाड़ी पर गाड़ी चलाते थे, के बारे में उन्हें मालूम चला था कि दिल्ली के खजूरी खास के पास एक मुठभेड़ के दौरान जो 5 व्यक्ति मारे गए. उस मुठभेड़ में उनके भाई के होने की संभावना या फिर फ़रार होने की संभवाना मीडिया में जताई गई थी. उसके बाद हम भाई को लगातार खोजते रहे, इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी रिट दायर किया, मानवाधिकार आयोग से लेकर तमाम शासन-प्रशासन स्तर पर उसे खोजने के लिए कोशिश की पर निराशा ही हाथ लगी.
वो बताते हैं कि 1 जुलाई 2016 को जब हमने अमर उजाला समाचार पत्र में जैश के तीन पाकिस्तानी आतंकियों को दोषी क़रार देने की सज़ा वाली ख़बर में फोटो देखी तो मुझे लगा कि वह मेरे भाई प्रवीण की फोटो है. जिसे मैंने पूरे परिवार को दिखाया और उसी के सहारे उसे ढूंढ़ने के लिए लखनऊ चले आए.
वो आगे बताते हैं कि ज़िला जेल लखनऊ में जाकर मिलने का प्रयास किया, लेकिन मुलाक़ात नहीं हो सकी. इसके बाद कुछ मीडिया के लोगों ने मुझे ऐसे मामलों के अधिवक्ता व रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब से मिलने की राय दी. उनको भी जब मैंने अपने भाई प्रवीण की पुरानी फोटो तथा समाचार पत्र की छाया प्रतियां दिर्खाइं तो उन्होंने कहा कि यह सभी फोटो एक ही व्यक्ति के लगते हैं. प्रयास किया जाएगा तो पता लग पाएगा कि वह आपका भाई हैं.
पत्रकार वार्ता के दौरान महेश देवी ने कहा कि जो फोटो पेपर में छपी है वह निश्चित रुप से मेरे बेटे प्रवीण कुमार की लगती है. मैं और मेरा बेटा पवन कुमार तीन दिनों से लखनऊ में अपने बेटे प्रवीण कुमार से मिलने के लिए भटक रहे हैं. ऐसे में हम माननीय मुख्यमंत्री, जेलमंत्री, जिलाधिकारी लखनऊ व जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक से मांग करते हैं कि वह कथित आतंकी मोहम्मद आबिद उर्फ फत्ते से हमें मिलवाकर सुनिश्चित करें कि वह प्रवीण कुमार ही तो नहीं है.
इस मामले में उन्होंने डीएनए टेस्ट और उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की. उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे के दाएं हाथ में एक टैटू का निशान है और माथे पे चोट का भी निशान है. इसके बाद रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने अपने प्रयास से आतंक के आरोप से बरी कराए कुछ लोगों से उनके शरीर के इन चिन्हों की जानकारी भी की जिन्होंने कहा कि ऐसे निशान उनके शरीर पर हैं. जो महेश देवी के संदेह को और पुख्ता करते हैं, जिसकी जांच की जानी चाहिए.
वहीं इस मसले पर तीनों कथित पाकिस्तानी आतंकियों के अधिवक्ता रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने बताया कि एसटीएफ के अशोक कुमार राघव के नेतृत्व में ऑपरेशन क्लीन बताते हुए मोहम्मद आबिद कोड नेम फत्ते उर्फ सफ़दर उर्फ अय्यूब पुत्र मोहम्मद रफ़ीक़ उम्र लगभग 27 वर्ष 16 नवंबर 2007 को निवासी मकान नंबर 23 गली नंबर 6 माजरा रोड लाहौर, मिर्जा राशिद बेग कोड राजा कज्जाकी रेजिडेंट ऑफ मिर्जा आरिफ़ बेग गुजरावाला पाकिस्तान व सैर्फुरहमान उर्फ यूसूफ उर्फ फैसल पुत्र खलील अहमद मुल्तान पाकिस्तान को एक पुलिस मुठभेड़ के दौरान लखनऊ स्थित टेढ़ी पुलिया के पास स्थित मौरंग मंडी के पास से गिरफ्तार करने का दावा पुलिस ने किया था. पुलिस ने इन सभी गिरफ्तारियों को केन्द्रीय खूफिया अभिसूचना ईकाईयों व राज्य खूफिया अभिसूचना ईकाईयों के इनपुट पर करने का दावा करते हुए इसे कंधार विमान अपहरण कांड जैसी साजिश बताया था.