अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
दिल्ली: मथुरा की हालिया ‘कंसलीला’ के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. यहां पुलिस कार्रवाई में दो पुलिसकर्मियों समेत 27 लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा है. ऐसा नहीं कि पुलिस पर ये हमला कोई पहली बार हुआ है, बल्कि आंकड़ें बताते हैं कि यूपी पुलिस पर ऐसे हमले कई बार हो चुके हैं, बल्कि हालिया वर्षों में इन हमलों में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों पर पिछले 9 सालों में 1591 हमले हुए हैं. इन आंकड़ों को पिछली दो सरकारों में बांट कर देखा जाए तो पूर्व की मायावती सरकार में जहां ऐसे हमलों की संख्या 547 थी, वहीं वर्तमान अखिलेश सरकार के अब तक के चार सालों के कार्यकाल में ही यह संख्या 1044 तक पहुंच गई है.
यह आंकड़े पिछले महीने विधानसभा में भाजपा विधायक डॉ. राधामोहन अग्रवाल द्वारा पूछे गए एक तारांकित सवाल के जवाब में मंत्री आज़म खान द्वारा सदन में दिए गए जवाब से सामने आए हैं.
ये आंकड़ें यह भी बताते हैं कि पिछले पांच सालों में यानी वर्ष 2007 से 2012 तक पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई 60 लोगों की मौत हुई है.
वहीं भाजपा विधायक डॉ. राधामोहन अग्रवाल ने सदन में उत्तर प्रदेश के कारागार मंत्री से यह सवाल पूछा था कि प्रदेश की विभिन्न जेलों में वर्ष 2012 से 10 नवम्बर 2015 तक कितनी मौतें हुई है तथा इन मौतों के संदर्भ में सरकार ने अब तक क्या क्या कार्रवाई की है?
इसके जवाब में सदन यह आंकड़ा सामने आया कि पूछी गयी अवधि में प्रदेश की कारागारों में बंद कैदियों में से कुल 1363 बंदियों की मौत हुई है.
कार्रवाई के संबंध में सरकार ने बताया कि हर बंदी के मृत्यु प्रकरण में कारागार स्तर से प्रत्येक बंदी मृत्यु की सूचना तत्काल रेडियोग्राम/फैक्स द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली/राज्य मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश को दी गयी. प्रत्येक मृतक बंदी का पोस्टमार्टम चिकित्सकों के पैनल द्वारा कराया जाता है तथा पोस्टमार्टम की विडियोग्राफी करायी गयी.
इतना ही नहीं, प्रत्येक बंदी की मृत्यु की पंचनामा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, वीडियो कैसेट एवं सुसंगत अभिलेख राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को भेजे गये. प्रत्येक बंदी के मृत्यु प्रकरण की न्यायिक जॉच कराई गयी.
सरकार ने यह भी बताया कि बंदी मृत्यु के प्रकरणों में न्यायिक जांच रिपोर्ट की संस्तुति एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाती है. उपरोक्त प्रकरणों में से 833 प्रकरणों की न्यायिक जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई. जांच रिपोर्ट में 150 कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही की संस्तुति की गयी. आयोग द्वारा मृतक बंदियों के आश्रितों को अंतरिम राहत दिये जाने की संस्तुति के अनुपालन में धनराशि 77 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गयी है.