Home India News महज़ चार दिन चला सपा व क़ौमी एकता दल का करार

महज़ चार दिन चला सपा व क़ौमी एकता दल का करार

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: हाल में ही हुए समाजवादी पार्टी और गैंगस्टर से नेता बने मुख़्तार अंसारी की पार्टी क़ौमी एकता दल के विलय के समझौते पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्ण विराम लगा दिया है. अखिलेश यादव ने सपा और क़ौमी एकता दल में महज़ चार दिनों पहले हुए विलय को खारिज कर दिया है.

इसके साथ ही हाल में ही बर्खास्त किए गए कैबिनेट मंत्री बलराम यादव को फिर से कार्यभार देने का निर्णय अखिलेश यादव ने किया. ये सभी फैसले समाजवादी पार्टी की संसदीय बोर्ड की मीटिंग में लिए गए.



Photo Courtesy: Live Mint

पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि बीते 18 जून को क़ौमी एकता दल के एक अधिवेशन में मुख़्तार अंसारी के छोटे भाई अफ़ज़ाल अंसारी ने यह संकेत दिए थे कि उनकी पार्टी सपा के साथ जा सकती है. दो दिनों बाद शिवपाल सिंह यादव ने बाक़ायदे अफ़ज़ाल अंसारी को पार्टी की सदस्यता दिलाई और इस विलय का स्वागत किया.

इसके तुरंत बाद आगरा जेल में बंद मुख़्तार अंसारी को स्वास्थ्य कारणों से लखनऊ जेल शिफ्ट कर दिया गया. मुख़्तार अंसारी के भाई अफ़ज़ाल अंसारी और शिवपाल सिंह यादव में मीटिंग के लिए माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव ने कारगुज़ारी की थी.

लेकिन बाद में यह पता चला कि समाजवादी पार्टी के चरित्र को लेकर सख़्त रवैया रखने वाले अखिलेश यादव इस विलय के खिलाफ थे. इस विलय के फैसले के खिलाफ खड़े अखिलेश यादव ने पहला वार बलराम यादव पर उन्हें माध्यमिक शिक्षा मंत्री के पदभार से भी मुक्त कर किया.

अब जब दोनों पार्टियों का विलय समाप्त हो गया है, मुख़्तार अंसारी को पुनः लखनऊ से आगरा जेल भेज दिया गया है. और बलराम यादव फिर से माध्यमिक शिक्षा मंत्री का कार्यभार ग्रहण करेंगे.

इस उहापोह के बीच यह बात साफ़ हो गयी कि अखिलेश परिवार में वर्चस्व को लेकर एक लंबी जंग चल रही है. अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव में बीच पार्टी के फैसलों को लेकर एक संघर्ष की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में इस विलय के खात्मे को अखिलेश यादव की जीत करार दिया जा रहा है.