TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : सीतापुर के लहरपुर थाने के पट्टी देहलिया गांव में दलित बस्ती के 35 घरों में आग लगाने और 2 मासूम बच्चों के जिंदा जला दिए जाने की घटना सामने आई है.
आरोप है कि प्रधानी चुनाव में कहने पर भी जब एक दलित परिवार ने अपना वोट यूपी के सीतापुर में नहीं दिया तो प्रधान ने अपने समर्थकों के साथ दलित बस्ती में आग लगा दी.
इस घटना में दो बच्चों की ज़िंदा जलकर मौत हो गई और बस्ती के 35 से ज्यादा घर आग में पूरी तरह जलकर खाक हो गए.
इस घटना को लखनऊ की सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने सपा सरकार में दलितों और गरीबों पर हो रहे हमलों का ताज़ा उदाहरण बताया है.
मंच ने कहा कि सपा सरकार के चार साल पर हुई यह जघन्य घटना सीतापुर के रेवसा के बिंबिया गांव में 8 मार्च 2012 को सपा को जनादेश मिलने के बाद दलितों के 13 घरों के जला दिए जाने की घटना की याद दिलाती है. जिसे सपाईयों ने इसलिए अंजाम दिया था कि दलितों ने सपा को वोट नहीं दिया था.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलितों द्वारा प्रधानी के चुनाव में कमलेश वर्मा नाम के प्रत्याशी को सिर्फ वोट नहीं देने के कारण उनकी पूरी बस्ती को जला दिया जाना, जिसमें दो बच्चे पूरी तरह जलकर राख हो गए, सपा की दलित विरोधी मध्ययुगीन बर्बरता का प्रमाण है.
उन्होंने कहा कि आगजनी के दौरान खुद प्रधान द्वारा अपने हाथों से दलितों के मकानों में आग लगाना यह साबित करता है कि प्रदेश में अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है.
राजीव यादव ने कहा कि देवरिया के मदनपुर थाना में देवकली जयराम गांव में दलित महिला लालमति के घर में घुसकर दबंगों द्वारा गला रेतकर की गई हत्या जैसी घटनाएं साफ़ कर रही हैं कि यूपी में दलितों के खिलाफ़ ये हमले प्रायोजित हैं.