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कांग्रेसी विधायक अजय राय से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रासुका हटाया, सपा सरकार सकते में

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी/इलाहाबाद: पिंडरा से विधायक और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े प्रत्याशी पर से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रासुका हटाने का निर्णय सुनाया है. इस फैसले से उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को तगड़ा झटका पहुंचा है.

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अजय राय की लगभग असंभव दिखती जमानत भी अब हो जाने के आसार दिखाई देने लगे हैं. अभी विधायक अजय राय फतेहगढ़ जेल में बंद हैं. कुछ दिनों पहले ही उन्हें चिकित्सीय जांच के लिए प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया था.

Ajay Rai

आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला एक ‘गेम-चेंजर’ की तरह साबित हो सकता है. क्योंकि मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर जेल में इतना लंबा वक़्त बिताने वाले व्यक्ति बनारस के अजय राय ही थे. विधायक अजय राय की गिरफ्तारी के बाद से बनारस की जनता मायूस थी. रासुका हटने की खबर को सुनकर लोग खुश हैं.

कोर्ट ने बनारस के जिलाधिकारी के आदेश और कार्रवाई को अनुचित करार देते हुए इसे अनुच्छेद 22 का उलंघन माना. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस नाहिद मुनीश की बेंच ने मंगलवार की शाम को यह आदेश जारी किया.

बनारस शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने इस फैसले को न्यायालय द्वारा काशी की जनता का सम्मान करना बताया है और कहा है, ‘आगामी विधानसभा चुनावों में इस फैसले से बहुत बड़ा फर्क पड़ने वाला है. अजय राय अब पूरे पूर्वांचल की चुनावी बागडोर सम्हालेंगे और उसे दिशा देंगे. अजय राय पर से रासुका हटना एक बड़ी उपलब्धि है.’

हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रशासन और राज्य सरकार दोनों सकते में हैं. प्रशासन नहीं चाहता था कि अजय राय बाहर आएं इसलिए प्रशासन बार-बार सुरक्षा-व्यवस्था और शांतिभंग की दुहाई दे रहा है.

विधायक पर रासुका लगाए जाने के मुद्दे को अकारण करार देते हुए कांग्रेस ने राज्यव्यापी मुहिम चलाई. हाईकोर्ट के इस फैसले से कांग्रेसी खुश हैं. वहीँ शहर के भाजपा नेता इस मुद्दे पर बात करने से बचते रहे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोई ज़रुरत नहीं है. यह पूरी तरह से क़ानून व्यवस्था का मुद्दा है और क़ानून को अपना काम करना चाहिए था.

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