अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना: बिहार की राजधानी पटना में कई जगहों पर लगे पोस्टर और होर्डिंग इस बात की गवाही दे रहे हैं कि संघ के सर-संचालक रहे गुरू गोलवलकर अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के गले की फांस बन गए हैं.
‘साम्प्रदायिकता विरोधी मंच’ नाम की संस्था द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों-विज्ञापनों में इस तथ्य का खुलासा किया गया है कि नीतिश कुमार उस गुरू गोलवलकर के भक्त हैं, जिन्हें उनके मौजूदा सहयोगी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पानी पी-पीकर कोसते हैं.
ये होर्डिंग और पोस्टर पटना के सभी प्रमुख चौक और चौराहों पर नज़र आ रहे हैं. इन पर साफ़ लफ़्ज़ों में लिखा है, ‘लालू जी कहते हैं – गुरू गोलवलकर देश को बांटते हैं, नीतिश जी गुरू गोलवलकर को पूजते हैं. आख़िर सच्चाई क्या है?’
इन पोस्टरों में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, वह तस्वीर 19 अप्रैल को सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. इस तस्वीर में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार गुरु गोलवलकर की तस्वीर के आगे दीप जला रहे हैं.
दरअसल, इस तस्वीर को भाजपा और संघ के नेता राम माधव ने ट्वीट किया था, जिसमें उन्होने कटाक्ष करते हुए लिखा था कि ‘शायद यह भी नीतिश जी की रणनीति का हिस्सा हो.’
जानकारियों के अनुसार यह तस्वीर तक़रीबन 10 साल पुरानी है. 5 जून 2006 को गुरू गोलवलकर की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम में नीतिश कुमार शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम की शुरूआत नीतिश कुमार ने गोलवलकर के तस्वीर के आगे दीप जलाकर की थी. इस कार्यक्रम में राम माधव भी उनके साथ थे. इसके अलावा आरएसएस व भाजपा के कई नेता भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. तब नीतिश कुमार की पार्टी जदयू और भाजपा गठबंधन में थे.
कुछ दिनों पहले ही नीतिश कुमार ने ‘संघ-मुक्त भारत’ का नारा देकर विपक्षी पार्टियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के ख़िलाफ़ एकजूट होने का अपील किया था. इस अपील में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी नीतिश कुमार के साथ थे.
उत्तर प्रदेश के चुनाव पर नज़र बनाए हुए नीतिश और लालू के बीच गोलवलकर का आना बिहार के साथ-साथ यूपी की राजनीति को नया मोड़ देने की रणनीति महसूस हो रही है. यह रणनीति कितनी कारगर साबित होगी, यह तो देखने की बात है लेकिन इतना तो नज़र आने ही लगा है कि बिहार का सेकुलर तबक़ा नीतिश कुमार की विचारधारा पर चर्चा करने में लगा हुआ है. बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहुंच अब घरों-गांवों तक है, ऐसे में इस पर भी चर्चा ज़ोरों पर है कि ऐसा नीतिश के राज में ही मुमकिन हो सका.