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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में साम्प्रदायिक तनाव

TwoCircles.net Staff Reporter

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला पिछले दो दिनों से साम्प्रदायिकता की भट्ठी में झुलस रहा है और यह खबर लगभग नेशनल मीडिया से गायब है. प्रदेश का विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही इस तरह की घटनाएं बढ़ गयी हैं और इसके नए अध्याय यूपी के गांवों-शहरों में देखने को मिल रहे हैं.

मामला आजमगढ़ के संजरपुर से सटे हुए गांव खुदादादपुर का है. खुदादादपुर एक मुस्लिमबहुल गाँव है, इसके आसपास के गांव भी मुस्लिमबहुल इलाकों में आते हैं. शनिवार की शाम घटी एक छोटी घटना में बढ़ते गए प्रतिरोध ने आगे बढ़कर एक बड़ा रूप ले लिया. इसमें पुलिस ने लाठियां भांजीं, आंसू गैस के गोले फेंके और रबर की गोलियां चलायीं. आज खुदादादपुर से सटे हुए गांव फरीदाबाद से लगभग 700 हिन्दुओं ने खुदादादपुर गांव पर हमला कर दिया. इस हमले में मुस्लिम समुदाय के दर्जन भर लोग घायल हुए और भीड़ ने खुदादादपुर के लगभग 15 घर तोड़ डाले.

मामले की शुरुआत के दो सिरे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार गाँव के दो युवकों सीताराम और परवेज़ के बीच बीती 3 मई को एक विवाद हो गया. विवाद हाथापाई तक पहुंच गया. गांव के लोग बताते हैं कि सीताराम के गहरे रिश्ते मुसाफिर से जुड़े हैं जो हिन्दू युवा वाहिनी का सदस्य और इलाके का दबंग व्यक्ति है. परवेज़ और सीताराम के बीच हुआ विवाद छोटा था लेकिन मुसाफिर के खेमे के लोग परवेज़ की गिरफ्तारी की मांग करते रहे. गिरफ्तारी के लिए उन्होंने चक्का जाम भी किया.

बाद में मामला शांत हुआ. कल शनिवार को परवेज एक चाय की दुकान पर बैठा हुआ था. उस समय मुसाफिर वहां पहुंच गया. मुसाफिर ने तमंचे से परवेज़ पर गोली दागी लेकिन परवेज़ गोली की चपेट में आने से बच गया. गोली की आवाज़ सुनकर आसपास के लोग जुटने लगे तो मुसाफिर मौके से फरार हो गया. फरिहा थाने के चौकी इंचार्ज अपने दो सिपाहियों के साथ मौके पर मौजूद थे. उनके सामने ही गोली चली. गाँववालों ने कहा कि पुलिस के सामने गोली चलना और मुसाफिर का भाग निकलना पुलिस की मिलीभगत का खेल है. मामला गर्माता रहा तभी मौके पर एसपी दयानंद मिश्र पहुंच गए.

दयानंद मिश्र ने भीड़ को समझाने का प्रयास किया जो उस वक़्त फरिहा चौकी इंचार्ज और सिपाहियों की बर्खास्तगी की मांग कर रही थी. इसी बीच किस मौके पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और आंसूगैस के गोले दागने शुरू कर दिए किसी को नहीं पता चला. इसके बाद पूरी स्थिति असामान्य होती गयी. इसी वक़्त दूसरे पक्ष से किसी ने पत्थरबाजी कर दी तो स्थिति और खराब होती गयी. लोग बुरी तरह पीटे गए. ऐन मौके पर किसी तरह से नगर प्रशासन ने मामला शांत कराया.

इसके बाद आज के घटनाक्रम के बारे में खुदादादपुर के बाशिंदे नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि गांव के किसी बच्चे ने आज अचानक शोर मचाना शुरू किया कि फरीदाबाद की ओर से भीड़ आ रही है. हमने देखा तो लगभग सात सौ लोग फरीदाबाद की और से लाठी-डंडे लिए चले आ रहे हैं. खुदादादपुर के बाहर पुलिस लगी हुई थी, लेकिन पुलिस ने बीच-बचाव और रोकने का प्रयास नहीं किया. इसके बाद भीड़ ने लोगों को मारा-पीटा और कई घरों को तहस-नहस कर दिया. फरीदाबाद में ज्यादा बड़ी जनसंख्या यादवों की रहती है, यही स्थिति आस-पास के गांवों की है.

आजमगढ़ के पूर्व सांसद और भाजपा नेता रमाकांत यादव पर भी मामले को भड़काने के आरोप लग रहे हैं. खुदादादपुर के लोग कह रहे हैं कि रमाकांत यादव लोगों से मिलने आए लेकिन वे हिन्दू बस्ती में ही मुलाक़ात करके लौट गए. हमसे मुलाक़ात ही नहीं की. इस बाबत हमने रमाकांत यादव से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी.

खुदादादपुर के बाशिंदे कामिल को भीड़ के हमले में चोटें आई हैं. वे कहते हैं, ‘आज दिन में हमला हुआ. रात में पता नहीं क्या होगा? लोग बता रहे हैं कि नहर के किनारे भीड़ जमा है और वे कभी भी हमला कर सकते हैं. हम रात भर अब सो भी नहीं सकते हैं.’

इस मामले को लेकर जब हमने आजमगढ़ के जिलाधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बस इतना कहा, ‘मैं अभी ज्यादा बात नहीं कर सकता हूं. स्थिति नियंत्रण में है और लोग सुरक्षित और कुशल हैं.’