भोपाल ‘एनकाउंटर’ : मुसलमानों ने रखा कांस्टेबल रमाशंकर यादव के लिए मौन

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

भोपाल एनकाउंटर लगातार सवालों के घेरे में है. मगर सवाल करने वालों से ये सवाल बार-बार पूछा जा रहा है कि वो संदिग्धों के पक्ष में तो सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इस पूरे मामले में 57 साल के एक बुजुर्ग कांस्टेबल रमाशंकर यादव भी मारा गया, उसके लिए किसी के पास दो शब्द भी क्यों नहीं हैं.


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तो हम आपको बता दें कि दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े के लोगों ने आज शहीद रमाशंकर यादव के लिए मौन रखा और उनकी हत्या की जांच भी सुप्रीम के सीटिंग जज की निगरानी में कराने की मांग रखी.

Protest against Bhopal Killings

बताते चलें कि मध्य प्रदेश में एक पुलिस कांस्टेबल रमाशंकर यादव की हत्या और कथित तौर पर सिमी के 8 अंडरट्रायल क़ैदियों का ‘एनकाउंटर’ को लेकर दिल्ली से एक आन्दोलन की शुरूआत गुरूवार 3 नवंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया स्थित डॉ. ज़ाकिर हुसैन के मक़बरा से की गई है. ये वही जगह है, जहां से मौलाना मुहम्मद अली जौहर ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ ‘ख़िलाफ़त मूवमेंट’ की नींव रखी थी और गोरे अंग्रेज़ यानी ब्रिटिश राज की चूले हिला दी थी.

इस कार्यक्रम की शुरूआत पुलिस कांस्टेबल रमाशंकर यादव को श्रृद्धांजलि से की गई. फिर उनके लिए दो मिनट का मौन रखा गया. सभी वक्ताओं का स्पष्ट तौर पर कहना था कि इस पूरे मामले में 10 लोगों का एनकाउंटर हुआ है. जहां 8 अंडर ट्रायल क़ैदियों की बात है, वहीं पुलिस कांस्टेबल रमाशंकर यादव को भी मारा गया है. दसवां एनकाउंटर बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और उनके ज़रिए लिखे गए संविधान का भी किया गया है.

इस आन्दोलन के एक सदस्य अमीक़ जामई ने TwoCircles.net से बातचीत में कहा कि –‘अब तक गुजरात को संघ परिवार अपनी प्रयोगशाला के तौर पर उपयोग करता आ रहा है. भोपाल एनकाउंटर भी उसी प्रयोगशाला की देन है. भोपाल में 8 विचाराधीन क़ैदियों को गिरफ्तार करने की जगह उनकी निर्मम हत्या की गयी. राजनीति व मैडल के ‘घृणित खेल’ में एक ग़रीब पुलिस कांस्टेबल रमाशंकर यादव को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. ये सबकुछ गुजरात मॉडल के हिन्दुत्व एजेंडा से प्रभावित होता एक उदाहरण है.’

अमीक़ जामई आगे बताते हैं कि –‘गुजरात में सादिक़ जमाल, जावेद, इशरत, सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति ‘एनकाउंटर’ ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में एक अहम रोल अदा किया है. अब यही प्रयोग भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी हिट लग रहा है. शायद भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में भी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा तीव्र हो रही है. भोपाल ‘एनकाउंटर’ इसी दिशा में शिवराज सिंह चौहान द्वारा उठाया गया पहला क़दम है.’

वहीं इस आन्दोलन से जुड़े प्रवेज़ अहमद का कहना है कि –‘देश में जिस तरह से मुसलमानों व दलितों को एनकाउंटर, गौ-रक्षा, लव जिहाद आदि के नाम पर हत्याएं की जा रही हैं, इसे बाबा साहब अम्बेडकर के संविधान से चलने वाला देश, और महात्मा गांधी, मौलाना हसरत मोहानी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और अशफ़ाक़ुल्लाह खान के लोग इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं.’

इस कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने एनकाउंटर की सच्चाई पर सवाल उठाते हुए केन्द्र सरकार से इस पूरे प्रकरण की जांच सुप्रीम कोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में एक इन्वेस्टिगेशन टीम बनाकर कराने की मांग की. इन वक्ताओं का यह भी कहना है कि इस घटना में शामिल पुलिस-कर्मियों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के गाईडलाइन के मुताबिक़ एफ़आईआर दर्ज की जाए.

आंदोलनकारियों ने यह तय किया है कि गांधी के अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए 12 नवम्बर 2016 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी मांगे मनवाने के लिए एकत्रित होंगे. अगर सरकार हमारी जायज़ मांगों को नहीं माना तो आख़िरी हथियार यानी ‘आमरण अनशन’ का इस आंदोलन में इस्तेमाल किया जाएगा. इस बीच 11 नवम्बर तक हर रोज़ दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में जाकर लोगों को इस आन्दोलन से जोड़ने के लिए नुक्कड़ सभा का भी आयोजन किया जाएगा.

आज के कार्यक्रम के आख़िर में संविधान के प्रस्तावना को पढ़ा गया और वहां उपस्थित सभी लोगों ने मरते दम तक संविधान के रक्षा की क़सम खाई. इस पूरे आन्दोलन की ख़ास बात ये है कि ये किसी पार्टी या संगठन की ओर से खड़ा नहीं किया गया है, बल्कि इसे #SCProbeBhopalEncounter के बैनर तले आम लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है और लोगों से इस मुहिम में जुड़ने की अपील की जा रही है.

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