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लखनऊ: लखनऊ की मानवाधिकार संस्था रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव और मंच के लखनऊ यूनिट के महासचिव शकील कुरैशी की लखनऊ पुलिस द्वारा बेरहम पिटाई और एनकाउंटर कर देने की धमकी दी गयी है. इसे रिहाई मंच ने अखिलेश राज में लोकतंत्र की हत्या का ताजा उदाहरण बताया है.
पुलिस धरना स्थल पर बैनर फाड़ते हुए माइक, बैट्री आदि उठा ले गयी. मंच ने दावा किया है कि वह इस मुद्दे पर प्रदेशव्यापी आंदोलन चलाकर जनता के बीच इस इंसाफविरोधी सरकार को बेनकाब करेगा. मंच ने हमलावर पुलिसकर्मियों को तत्काल निलम्बित करने की मांग की है.
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि धरना शुरू होने से पहले ही जिस तरह मंच महासचिव राजीव यादव और शकील कुरैशी को धरनास्थल से लाठियों से पीटते हुए पुलिस चौकी के अंदर ले गई और ढ़ाई घंटे तक सिमी आतंकी, मुसलमान, कटुआ और पाकिस्तानी एजेंट बताकर पीटा, वह अखिलेश सरकार के साम्प्रदायिक और मुस्लिमविरोधी चरित्र को उजागर करता है.
पिटाई करने के दौरान पुलिसकर्मियों ने अपने नेम प्लेट हटा लिए थे, इससे यह साबित होता है कि पुलिस ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत फर्जी एनकाउंटर का सवाल उठाने वालों को पीटा, जिसमें शकील कुरैशी का हाथ टूट गया और राजीव यादव को गम्भीर चोटें आईं. उन्होंने कहा कि मंच के नेताओं को हजरतगंज पुलिस बूथ में अवैध कानूनी हिरासत में पीटने के बाद हजरतगंज कोतवाली ले जाकर जिस तरह पुलिसकर्मी सतीश चंद्र और क्राइम ब्रांच के आधा दर्जन से ज्यादा सादी वर्दी में मौजूद – जिसमें एक का नाम संतोष था – ने सिमी आतंकी कहकर अमानवीय व्यवहार किया और लगातार फर्जी एनकाउंटर में मारने की धमकी देते रहे. यह इस घटना को पुलिस की आपराधिक साजिश का हिस्सा साबित करता है.
शाहनवाज़ ने आरोप लगाया कि मंच महासचिव राजीव यादव के अचेत अवस्था में पहुंच जाने के घंटों बाद भी अस्पताल न ले जाने देना साबित करता है कि पुलिस इन नेताओं की हत्या करना चाहती थी.
मंच प्रवक्ता ने कहा कि जिस तरह भाजपाशासित मध्यप्रदेश की पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ पर सवाल उठाने वालों को समाजवादी अखिलेश सरकार की पुलिस ने हत्या की नीयत से पीटा है, वह सपा और भाजपा की मुस्लिम विरोधी गठजोड़ को बेनकाब करता है.