Home India News तो क्या अखिलेश सरकार भोपाल ‘एनकाउंटर’ को सही मानती है?

तो क्या अखिलेश सरकार भोपाल ‘एनकाउंटर’ को सही मानती है?

TwoCircles.net Staff Reporter

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के मीडिया सेल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं क़ानून-व्यवस्था क़ायम रखने के लिए चौकसी बढ़ा दी गई है. इस प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ शासन द्वारा यह निर्णय प्रतिबंधित संगठन सिमी के 8 सदस्यों की भोपाल में हुए एनकाउंटर की घटना के बाद लिया गया है.

उत्तर प्रदेश के प्रमुख गृह सचिव देबाशीष पण्डा के हवाले से इस प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भोपाल एनकाउंटर की घटना पर प्रतिक्रिया एवं विरोध-प्रदर्शन संबंधी सम्भावनाओं को देखते हुए सावधानी व सतर्क दृष्टि बनाए रखने का निर्देश हर ज़िला प्रशासन को दिया गया है.

सरकार द्वारा जारी इस प्रेस विज्ञप्ति में पण्डा के हवाले से यह भी कहा गया है कि अफ़वाहे फैलाने वालों, उत्तेजनात्मक प्रचार करने वालों तथा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक एवं भड़काऊ सामग्री पर कड़ी नज़र रखी जाए. साथ ही इस प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि राज्य के सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों एवं धार्मिक स्थलों आदि पर सुरक्षा के इंतज़ामों को कड़ा कर दिया गया है. जेलों की सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त-दुरूस्त कर दी गई है. यूपी तथा नेपाल सीमा पर भी चौकसी बढ़ा दी गई है. सभी संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण स्थानों पर समुचित सुरक्षा व्यवस्था के अलावा त्वरित क्विक रिएक्शन टीम भी तैनात करने का निर्देश हर ज़िला प्रशासन को दिया गया है.

इस प्रेस विज्ञप्ति के आने के बाद उत्तर प्रदेश की रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश प्रमुख गृह सचिव की ओर से जारी इस शासनादेश को अखिलेश यादव सरकार की साम्प्रदायिक और इंसाफ़ विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है.

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम का कहना है कि मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे सिमी के सदस्य होने के आरोप में बंद 8 क़ैदियों की जेल से बाहर ले जाकर फ़र्ज़ी एनकाउंटर में की गई हत्या जिसे कुछ मीडिया और सपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल फ़र्ज़ी बता रहे हैं, वे उसे किस आधार पर अपने शासनादेश में ‘एनकाउंटर’ बता रहे हैं.

मंच प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव साम्प्रदायिक हिंदू मतों को खुश करने के लिए इस फ़र्ज़ी एनकाउंटर को अपने शासनादेश में वास्तविक एनकाउंटर बता रही है. इसी तरह शासनादेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है ‘जेलों की सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त दुरूस्त की गई है’ जो यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार भाजपा की ही तरह मानती है कि मारे गए क़ैदी जेल तोड़ कर भागे हैं. जिससे सरकार की मुस्लिम विरोधी चरित्र उजागर होता है. जिसका खामियाजा आने वाले चुनाव में सपा को भुगतना होगा.

रिहाई मंच प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि यह शासनादेश जिसमें भोपाल फ़र्ज़ी एनकाउंटर कांड पर होने वाले विरोध-प्रदर्शनों को साम्प्रदायिक सौहार्द को ख़तरा बताया गया है, रिहाई मंच द्वारा 2 नवम्बर को लखनऊ में आयोजित धरने पर पुलिसिया हमले के बाद जारी किया गया ताकि विरोध करने और जांच की मांग करने वालों को साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला साबित किया जा सके और उन पर पुलिसिया हमले को जायज़ ठहराया जा सके.

मंच प्रवक्ता ने कहा कि इससे पहले भी 26 अप्रैल 2015 को हाशिमपुरा साम्प्रदायिक जनसंहार के आरोपियों के बरी किए जाने के ख़िलाफ़ रिहाई मंच के 34 नेताओं पर दंगा भड़काने का मुक़दमा दर्ज किया गया था, जो साबित करता है कि सपा सरकार लगातार मुस्लिम विरोधी एजेंडे के तहत मुसलमानों के हक़ में सवाल उठाने वालों की आवाज़ दबाने का काम कर रही है.