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पटना : जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय यानी एनएपीएम का 11 वां राष्ट्रीय अधिवेशन 2-4 दिसंबर को पटना के ऐतिहासिक अंजुमन इस्लामिया हॉल में होने जा रहा है. इस अधिवेशन में देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे जन आन्दोलनों से जुड़े संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे. देश भर के 250 से अधिक गैर-दलीय जन संगठन इससे जुड़े हैं.
इस अधिवेशन में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की मेधा पाटकर, गुजरात में दलित आन्दोलन के अगुआ जिग्नेश मेवानी, छतीसगढ़ की आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी, जेएनयू छात्र आन्दोलन से जुड़े उमर खालिद, तीन तलाक़ के खिलाफ़ मुहीम चला रही भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन की ज़किया सोमन, नशा मुक्ति आन्दोलन के डा० सुनीलम, रोहित वेमुला के साथी दोंथा प्रशान्थ, इरोम शर्मिला के सहयोगी और बिहार के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे जन आन्दोलनों के प्रतिनिधि एवं कई अन्य प्रमुख कार्यकर्ता भाग लेंगे.
यह सम्मलेन मुख्यत: “अस्तित्व, अस्मिता और जनआन्दोलन” के मुद्दों पर केन्द्रित रहेगा. इस दौरान हम उत्तर पूर्व, छत्तीसगढ़ और कश्मीर में मानवधिकार की स्थिति, उना से उपजे दलित आन्दोलन, शहर का अधिकार और स्मार्ट सिटी की योजना, भूमि अधिग्रहण, स्पेशल इकनोमिक जोन और औद्योगिक कॉरीडोर का मसला, कृषि संकट, श्रमिकों की हालत और आर्थिक मंदी, महिलाओं व ट्रांसजेंडर की सामजिक स्थिति और नोटबंदी से उपजे सामजिक आर्थिक संकट पर चर्चा करेंगे.