सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net,
वाराणसी: हरियाणा के करनाल स्थित करनाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के दो छात्रों की नहर में डूबने से हुई मौत का मामला दिनोंदिन गहराता जा रहा है. कॉलेज का कहना है कि छात्रों की मौत एक दुर्घटना की वजह से हुई लेकिन मृत छात्रों के परिजनों का संदेह है कि इसके पीछे कोई और वजह है, जिसे उनसे छिपाया जा रहा है.
हुआ यूं कि 18 अक्टूबर के दिन दोपहर को नमाज़ अताकर लौट रहे हरियाणा के कुंजपुरा स्थित करनाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के तीन छात्र रहबर, मोहम्मद अफ्फ़ान और सलमान में से दो छात्रों रहबर(18) और अफ्फान(19) की नहर में डूबने से मौत हो गयी. घटना के तीन दिनों बाद 21 अक्टूबर को मृत छात्रों की लाशें बरामद की जा सकीं. दोनों मृत छात्र बिहारके नालंदा जिले के बिहारशरीफ के रहने वाले थे.
इस बारे में कॉलेज के डायरेक्टर सचिन वाधवा बताते हैं, ‘तीनों लड़के नहर के पास से लौट रहे थे. इनमें से एक छात्र अफ्फान का पैर फिसला और वह नहर में चला गया. उसे बचाने के लिए रहबर ने हाथ बढाया तो डूबते अफ्फान की वजह से वह भी नहर में खिंच गया. इसके बाद दोनों लड़के काफी देर तक बचने का प्रयास करते रहे.’
डायरेक्टर वाधवा ने आगे बताया, ‘यह देखकर तीसरे छात्र सलमान ने शोर मचाया तो आसपास के लोग मदद के लिए आए. एक लड़का नहर में कूदा भी लेकिन दो लड़कों को एक साथ बचा पाना उसके बस में नहीं था. इसलिए वह नहीं बचा सका.’
रहबर और अफ्फान की लाश तीन दिनों बाद घटनास्थल से 4-5 किलोमीटर के आगे मिली. घटना की खबर मिलने के बाद अफ्फान और रहबर के परिजन कॉलेज पहुंच गए. चूंकि लड़कों की मौतें डूबने से हुई थीं तो लाशों की स्थिति काफी खराब हो गयी थी. ऐसे में लाशों के पोस्टमार्टम के बाद उन्हें कुंजपुरा में ही सुपुर्दे-खाक़ कर दिया गया.
इस मामले में तीसरे छात्र सलमान के माध्यम से आए शुरूआती बयान के आधार पर यह बात सामने आई कि तीनों छात्रों की मौत सेल्फी लेने के कारण हुई है. लेकिन कुछ देर बाद पता चला कि मृत छात्रों के मोबाइल फोन उनके हॉस्टल के कमरे में ही पड़े हुए थे. फिर खेल-खेल में फिसलकर उनके नहर में चले जाने की बात सामने आयी, जिसमें सेल्फी का ज़िक्र पूरी तरह से नदारद था.
मृत रहबर के भाई नदीम हमसे बातचीत में बताते हैं, ‘हमें लग रहा है कि कोई बात है जिसे हमसे छिपाया जा रहा है. दस दिन होने जा रहे हैं, हमें कुल तीन कहानियों का पता चलता है. एक, सेल्फी लेने के कारण मौत हुई. दो, नहर में गिर गए और तीन, वे नहर के किनारे दौड़ रहे थे, जिसके कारण में फिसलकर नहर में चले गए. लेकिन अभी तक हमें पूरा सच नहीं मालूम चला है.’
नदीम आगे बताते हैं, ‘घटना के दौरान तो हम वहाँ थे नहीं, हम तो एक-दो दिन बाद ही वहाँ पहुँच सके. इसलिए कोई पुख्ता कारण नहीं पता है, लेकिन हमें रहबर के चेहरे पर घाव देखने को मिले थे.’
नदीम लाशों के पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं हैं. वे कहते हैं, ‘मुश्किल से महज़ दस मिनट के अन्दर दोनों बच्चों का पोस्टमार्टम कर दिया गया.’
इस मामले में तीसरे छात्र सलमान की भूमिका अभी भी संदेह के घेरे में है. कॉलेज के डायरेक्टर सचिन वाधवा बताते हैं, ‘घटना के बाद सलमान पूरी तरह से बदहवास-सा हो गया है. हमें डर था कि कहीं वह डिप्रेशन का शिकार न हो जाए. अभी वह अपने घर चला गया है और दीवाली की छुट्टियों के बाद ही आएगा.’
लेकिन मृत रहबर के भाई नदीम बताते हैं, ‘घटना के बाद जब हम कॉलेज पहुंचे तो हमने सलमान से बात करने की कोशिश की, लेकिन वो हमसे लगातार नज़रें बचा रहा था. कुछेक दिन तक ऐसे ही चला लेकिन बाद में हमने सलमान और उसके पिता को पकड़ा और कहा कि बात करनी है. फिर भी सलमान ने हमें वही फिसलने वाली कहानी बतायी, जिस पर भरोसा नहीं होता.’ ‘भरोसा क्यों नहीं होता’ के जवाब में नदीम कहते हैं, ‘सलमान ने अब तक दो दफा अपने बयान को बदला है, कैसे होगा भरोसा?’
रहबर और अफ्फान का परिवार लगातार इस जुगत में लगा हुआ है कि क्या उनके बच्चों की मौत का कारण महज़ एक दुर्घटना नहीं थी, इस ओर कई सवाल भी खड़े होते हैं जो उनके शक को और पुख्ता करते हैं. रहबर के चेहरे पर चोट के निशान और सेल्फी की मनगढ़ंत कहानियों से शंका के बादल और गहरे हो जाते हैं. इन आरोपों को लेकर जब हमने डायरेक्टर सचिन वाधवा से दोबारा बात की तो उन्होंने बेहद हिचकिचाहट के साथ कहा, ‘अब हम तो थे नहीं वहां पर. सलमान ने ही देखा था. लेकिन हुई तो दुर्घटना ही थी.’
नदीम कहते हैं, ‘हमें लगता है कि कॉलेज मामले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश में लगा हुआ है.’ कॉलेज दीपावली की छुट्टियों के लिए बंद हो चुका है, कॉलेज के टीचरों और अध्यापकों से बातचीत का कुछ दिनों तक कोई रास्ता नहीं है.