आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
आगरा में थाने में घुसकर सीओ को थप्पड़ मारा जाता है. सहारनपुर में एसएसपी के आवास पर उनकी गैर-मौजूदगी में तोड़फोड़ की जाती है. मथुरा में एक छूटभैय्या नेता वहां के एसएसपी को धमकाने उनके ऑफिस में घुस जाता है. थाना भवन में धार्मिक कट्टरता में अंधे होकर दहेज का सामान जलाकर राख कर दिया जाता है. मेरठ में खुलेआम कश्मीरी छात्रों को धमकी देते होर्डिंग लग जाते हैं… ये सब पिछले 7 दिनों में होने वाली घटनाएं हैं.
ये सब उसी सरकार के शासनकाल में घटित हो रही हैं, जिस सरकार ने अपने पहले एक माह में ज़बरदस्त तारीफ़ बटोरी थी. लेकिन एक महीने गुज़रते ही इस उत्तर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था अचानक से चरमराती हुई क्यों दिखाई दे रही है? इस सवाल पर योगी सरकार कटघरे में खड़ी नज़र आती है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि इन अलग-अलग घटनाओं पर पुलिस ने क्या कार्रवाई की है? तो यहां बताते चलें कि आगरा के एसएसपी डॉक्टर परतींद्र सिंह के अनुसार अब तक 10 लोगों को थाने पर हमले करने, हवालात तोड़ने का प्रयास करने, सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. उनका साफ़ तौर पर कहना है कि किसी को भी बख्शेंगे नहीं. शामली एसपी अजय शर्मा के अनुसार थाना भवन में दहेज के लिए जलाने वाले मामले में दो गिरफ़्तारी की गई है. सहारनपुर एसएसपी लव कुमार के मुताबिक़ अब तक 12 गिरफ़्तारी की गई है और दो मुक़दमें लिखे गए हैं. मेरठ एसएसपी जे.रविंद्र गोड़ के अनुसार होर्डिंग लगाकर कश्मीरी छात्रों को आतंकित करने वाले अमित जानी के विरुद्ध परतापुर थाने में मुक़दमा दर्ज कराया गया था, जहां से उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. मथुरा एसएसपी मोहित गुप्ता के अनुसार कोई व्यक्ति खुद को किसी पार्टी का नेता बताकर अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था, जिसे थोड़ा समझा दिया गया. लेकिन बावजूद इसके यूपी में दहशत के माहौल में काफी इज़ाफ़ा हो गया है.
डर व भय के माहौल में सवाल उठता है कि क्या यह कोई साज़िश है, जिसे अपने ही कर रहे हैं? लेकिन क्या कोई अपनी ही सरकार को बदनाम करना चाहेगा? सवाल यह भी है कि क्या यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ के बढ़ते क़द से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में बौखलाहट है? और सबसे बड़ा क्या योगी बेलगाम हो रहे हिन्दूवादी संगठनों पर लगाम कसने की हिम्मत जुटा पाएंगे? आगे सीएम योगी आदित्यनाथ क्या करेंगे ये तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन फिलहाल तो यूपी के इस ज़मीन पर क़ानून सिसकता नज़र आ रहा है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं.)