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बढ़ती बेरोज़गारी एवं शिक्षा की बदहाली के ख़िलाफ़ भाकपा ने किया संघर्ष का ऐलान

TwoCircles.net News Desk

पटना : देश में बढ़ती बेरोज़गारी एवं शिक्षा की बदहाली के ख़िलाफ़ सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने पटना के आई.एम.ए. हॉल में राज्यस्तरीय कन्वेंशन आयोजित कर आगामी 9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर राज्य भर में समाहरणालयों पर प्रदर्शन का ऐलान किया है.

भाकपा राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर, राज्य परिषद सदस्य परवेज़ आलम एवं निखिल कुमार झा की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित कन्वेंशन का उदघाटन करते हुए भाकपा के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि, आज देश में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बन गई है. केन्द्र सरकार की नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण लगातार रोज़गार के अवसर घट रहे हैं और बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है. देश में गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, जातिय एवं साम्प्रदायिक तानाव, नक्सली एवं अपराधिक समस्याओं व घटनाओं के जड़ में बेरोज़गारी ही है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को रोज़गार देने सहित कई वादा, छलावा साबित हुआ. केन्द्र की मोदी सरकार, सरकारी नौकरियों का दरवाज़ा पूरी तरह से बंद कर दी गई है. नोटबंदी के बाद प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लभगभ बीस लाख लोगों की छंटनी हो गई.

भाकपा नेता ने कहा रोज़गार की तलाश में लाखों लोग हर साल बिहार से बाहर पलायन कर रहे हैं. भारतीय उद्योग से जुडे़ लोगों में बिहार की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है. बिहार सरकार को नौकरियों में भी रिक्त स्थानों पर बहाली नहीं हो रही है. सभी विभागों में नियोजित किये जा रहे हैं. नियोजित कर्मियों को मामूली राशि मानदेय के रूप में दी जाती है, जो इनके साथ अन्याय है. हमारी पार्टी समान काम के लिए समान वेतनमान की मांग करती है.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में कृषि, कुटीर एवं लघु उद्योग ऐसा क्षेत्र रहा है, जहां बड़े पैमाने पर रोज़गार मिलता था. परंतु आज कृषि चौपट हो गया. कुटीर एवं लघु उद्योग लगभग बंद हो गए. सरकार की ओर से इन्हें न सरंक्षण मिला और न सहयोग.

उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार रोज़गार विहीन विकास की ढ़ोल पीट रही है. रोज़गार सृजन के प्रति दोनों ही सरकार संवेदनहीन एवं निकम्मी है. जबकि रोज़गार की यहां अपार सभावनाएं हैं. कम पूंजी निवेश से छोटे एवं मझौले उद्योग लगाए जा सकते हैं, कृषि आधारित उद्योग स्थापित कर कृषि को लाभकारी बनाया जा सकता है. कुटीर एवं लघु उद्योग को पुनर्जीवित किया जा सकता है. बिना रोज़गार विकास का दावा करना जले पर नमक छिड़कने की तरह है.

भाकपा नेता ने शिक्षा की बदहाली, शिक्षा का साम्प्रदायीकरण एवं व्यवसायीकरण पर रोष प्रकट करते हुये राष्ट्रहित एवं छात्र हित में समान शिक्षा, रोजगारोन्मुखी शिक्षा एवं वैज्ञानिक शिक्षा की आवश्यकता बताया.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रो. एम. जब्बार आलम ने कहा कि भारत में प्रतिदिन 350 नौकरियां घट रही हैं. 2021 तक 23 प्रतिशत नौकरियां ख़त्म हो सकती है. 77 प्रतिशत परिवारों के पास नियमित आय का कोई ज़रिया नहीं है, इस भीषण स्थिति को अर्जुन सेन गुप्ता आयोग ने भी उजागर किया है.

उन्होंने कहा कि बिहार में 21 लाख परिवार भूमिहीन है, जबकि 21 लाख एकड़ भूदान, हदबंदी से फाज़िल, सरकारी और गैर-मजरूआ ज़मीन है, जिस पर दबंगों एवं भू-स्वामियों एवं भू-माफियाओं का अवैध क़ब्ज़ा है, अगर यह ज़मीन भूमिहीनों के बीच वितरित कर दिया जाय तो भूमिहीन परिवार को रोज़गार का अवसर मिल सकता है.

कन्वेंशन को विधान पार्षद एवं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पाण्डेय ने संबोधित करते हुए कहा कि, दोहरी व महंगी शिक्षा से छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. बड़ी संख्या में गरीब छात्र उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं.

उन्होंने शिक्षा के निजीकरण एवं केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति 2016 पर घोर आपत्ति व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि शिक्षा बुनियादी परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए शिक्षा समान एवं सबके लिए हो, इसकी लड़ाई लड़नी होगी.