‘बक़रीद पर जानवरों की क़ुरबानी बेख़ौफ़ होकर करें…’ —मौलाना अरशद मदनी

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

मुज़फ़्फ़रनगर : जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी 15 अगस्त को मुज़फ़्फ़रनगर पहुंचे. यहां आप जमीयत के स्थानीय यूनिट के ज़रिए आयोजित ‘जश्न-ए-आज़ादी’ प्रोग्राम में शिरकत करने आए थे. इस मौक़े से Twocircles.net ने देश के मौजूदा हालात पर उनसे बातचीत की. पेश है बातचीत का कुछ प्रमुख अंश:


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आप मौजूदा हालात के बारे में क्या सोचते हैं? आपकी नज़र में मुल्क किस ओर जा रहा है?

मौलाना— यक़ीनन मुल्क बंटवारे की ओर जा रहा है. जब एक बार देश बंट चुका है और दुबारा फिर बंट सकता है. देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिश हो रही है. जिसे मुस्लिम, ईसाई और सिक्ख कैसे बर्दाश्त कर सकता है. फ़िरक़ापरस्त लोग इस कोशिश में लगे हैं. फ़िरक़ापरस्त लोग मुल्क तबाह कर देंगे यह लोग नफ़रत फैलाने में लगे हैं, जिसके बेहद ख़राब नतीजे आएंगे.

इस हालत में मुसलमानों को क्या करना चाहिए?

मौलाना— हिन्दुस्तान गंगा जमुनी तहज़ीब और सभी धर्म व संस्कृति के लोगों का मुल्क है. हम लोग यहीं पैदा हुए और यहीं दफ़न होना है. मुल्क में फ़िरक़ापरस्ती बढ़ेगी तो बदअमनी फ़ैल जाएगी. आग पर आग डालने से आग बुझती है क्या! मुसलमानों को अपने साथ की जा रही इस नफ़रत का जवाब मुहब्बत से देना होगा. नफ़रत की आग को मुहब्बत के पानी से बुझाना होगा.

बक़रीद पर क़ुरबानी को लेकर मुसलमानों में दहशत है. ऐसे हालात में मुसलमानों को क्या करना चाहिए?

मौलाना— मुसलमानों को ऐसे जानवर की क़ुरबानी का ख्याल रखना है, जिससे बिरादराने-मुल्क को तकलीफ़ न हो. गाय की क़ुरबानी बिल्कुल नहीं करनी है. इसके अलावा बाक़ी किसी और जानवर की क़ुरबानी बेख़ौफ़ होकर करें. इसमें कोई डर की बात नहीं है. साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखें.

मदरसों में ‘यौम-ए-आज़ादी’ मनाने के सरकारी आदेश को आप कैसे देखते हैं?

मौलाना— मदरसों में पहले से ही यौम-ए-आज़ादी का दिन धूमधाम से मनाया जाता है. क़ौमी तराने भी गाए जाते हैं और बुर्जगों का आज़ादी की लड़ाई में योगदान पर यादगार बातें भी बताई जाती हैं. आज़ादी पर हमें नाज़ है. उलेमा हज़रात ने क़ुरबानी दी है. हमने मुल्क को अपने खून से सींचा है. अब जो शक करते हैं वो करें, हम अपने मुल्क से बेइंतहा मुहब्बत करते हैं और इसके लिए हमें किसी सबूत को देने की ज़रुरत नहीं है.

क्या फ़िरक़ापरस्ती राष्ट्रीय एकता के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गई है?

मौलाना— बहुत बड़ा ख़तरा बन गई है. हम नहीं चाहते कि हमें हुकूमत मिले. हमें हाकिम की कुर्सी की ज़रुरत नहीं. मगर जो हो सेकूलर हो, अमन अमान क़ायम रखे. फ़िरक़ापरस्ती मुल्क को बांट देगी. हालात बहुत नाजुक हैं.  सड़कें लाल हो जाएंगी. मुल्क में फ़िरक़ापरस्ती बढ़ी है, यह ओबामा ने भी कहा था. अब तो यह बहुत ज्यादा हो गई है. मुल्क सबका है. फ़िरक़ापरस्ती को सिर्फ़ मुहब्बत ख़त्म कर सकती है. हमें हुस्न-ए-अख़लाक़ का बर्ताव करना होगा.

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