TwoCircles.net Staff Reporter
पटना : ‘स्वर्गीय प्रो. हेतुकर झा बुनियादी तौर पर एक शोधकर्ता थे. समाज विज्ञान के अलग–अलग विषयों में उनकी गहरी जिज्ञासा थी. जिनके रास्ते समाजशास्त्र को समझने की कोशिश की. उन्होंने गांव को एक सामाजिक यूनिट मानकर अध्ययन किया. दृष्टि की व्यापकता और स्वभाव की सरलता के कारण स्व. हेतुकर झा हमेशा याद रखे जाएंगे.’
ये बातें आज बिहार के प्रसिद्ध समाज विज्ञानी स्व. हेतुकर झा के पटना कॉलेज के सहपाठी रहे विधान पार्षद् प्रो. रामवचन राय ने कही. वे पटना के जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान द्वारा उनकी याद में आयोजित स्मृति सभा में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे.
बताते चलें कि 1944 में मधुबनी के सरसोपाही गांव में जन्मे डॉ. हेतुकर झा एक प्रसिद्ध लेखक, प्रोफेसर, शोधकर्ता और महान समाजशास्त्री थे. इन्होंने विगत 19 अगस्त, शनिवार को पटना में अंतिम सांस ली. ये पटना विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ इंडियन कांउसिल ऑफ़ सोशल साइंस रिसर्च सेन्टर के सदस्य भी रह चुके हैं.
इनकी याद में आयोजित स्मृति सभा में सुप्रसिद्ध गांधीवादी रज़ी अहमद ने कहा कि वे एक गंभीर अध्येता थे. पटना यूनिवर्सिटी का समाजशास्त्र विभाग इनकी वजह से ही अपने बुलंदी पर पहुंचा. हेतुकर जी भाषणबाज़ी से दूर रहकर सीरियस होकर अपने काम को अंजाम देने वाले शख़्स थे.
आगे रज़ी अहमद ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था व शिक्षकों व प्रोफ़ेसरों के ज्ञान पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आज के प्रोफ़ेसर छात्रों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे दौर इनके चले जाने से समाजशास्त्र और शिक्षा जगत में एक शून्यता पैदा हो गई है.
प्रो. राजेश्वर मिश्र ने कहा कि समाजशास्त्र और इतिहास बोध के साथ–साथ उनमें अद्भुत सांख्यिकीय विश्लेषण की भी क्षमता थी. वे गहन फिल्ड वर्क करते थे. एक समाजशास्त्री के रूप में दूसरी पीढ़ी तैयार करने में उनके योगदान को सदा याद किया जाएगा.
प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा कि, उन्होंने समाजशास्त्र के क्रियाकलापों को इतिहास की दृष्टि से देखने वाले समाज विज्ञानी थे. वे विशिष्ट विद्वान थे, जिनकी 22 पुस्तकें और 100 शोध निबंध प्रकाशित हुए.
उन्हें याद करते हुये प्रो. अशोक अंशुमान ने कहा कि बौद्धिक ऊंचाई के साथ–साथ उनमें आध्यात्मिक ऊंचाई भी थी.
बिहार राजय अभिलेखागार के निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कहा कि वे अभिलेखागार से भी जुड़े थे. उनका मार्गदर्शन हमेशा प्राप्त होता था. इनसे जुड़ी कई यादों को इन्होंने पेश किया.
इसके पहले संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने स्व. प्रो. हेतुकर झा के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुये कहा कि सोशल चेंज पर रिसर्च के दौरान उनके द्वारा किया गया मार्गदर्शन हमेशा याद रहेगा. उन्होंने ही नथमल सिंहानिया की दुर्लभ कृति ‘बापू की देवघर यात्रा’ को उपलब्ध कराया था, जिसे संस्थान द्वारा पुनः प्रकाशित किया गया है. हेतुकर झा जी एक विद्वान के अलावा सरल, मिलनसार, बड़ा-छोटा में कोई भेद न रखने वाली शख़्सियत थे.
सभा का संचालन डॉ. अभय कुमार ने किया. इस अवसर पर डॉ. जोश कलापुरा, इंदिरा रमण उपाध्याय, अजय कुमार, अनीश अंकुर, हसन इमाम, देवेन्द्र मिश्र सहित शिक्षा, पत्रकारिता, राजनीति और रंगमंच से जुड़े कई प्रसिद्ध व्यक्ति उपस्थित थे.
बताते चलें कि इससे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त कर चुके हैं. मुख्यमंत्री ने इनके निधन को शिक्षा और सामाजिक जगत की अपूरणीय क्षति बताया है.