फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net
डेहरी ऑन सोन (रोहतास) : महान स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व मंत्री अब्दुल क़्यूम अंसारी की डेहरी स्थित हवेली ‘साफ़िया मिस्किन’ को अब शायद ही पूरे रोहतास ज़िले में कोई जानता हो. शायद ही नई पीढ़ी को इस बात की जानकारी हो कि अंग्रेज़ी हुकूमत के ज़माने में इस हवेली ने न जाने ब्रितानी हुकूमत के ख़िलाफ़ कितनी साज़िशें की और आज़ादी के दीवानों को पनाह दिया.
20 कट्ठे की ज़मीन पर बनी ‘साफ़िया मिस्किन’ नामक इस हवेली को आज़ादी के बाद लोग अंसारी बिल्डिंग के नाम से जानते हैं. शायद ये ‘आज़ाद भारत’ की अपनी साज़िश थी. शायद सियासत ने अब्दुल क़्यूम अंसारी को मजबूर कर दिया होगा कि वो सिर्फ़ अंसारी बिरादरी ही सियासत करें. इन सब सियासत के बीच खंडहर बनती जा रही इस हवेली की ओर किसी को झांकने की फुर्सत नहीं है.
अब्दुल क़्यूम अंसारी के बेटे ख़ालिद अंसारी कहते हैं कि ये इमारत 1913-14 में मेरे दादा यानी अब्दुल क़्यूम अंसारी के वालिद अब्दुल हक़ अंसारी ने तामीर कराया था. इसका अपना एक इतिहास है. इस विरासत को सरकार ने हमसे ले रखा है. हालांकि हम वक़्त पर मालगुज़ारी भी देते हैं, लेकिन सरकार इस विरासत की देख-रेख करने के बजाए लापरवाही बरत रही है. यहां से सारे खिड़की-दरवाज़े उखाड़ दिए गए हैं. प्रशासन सुनने को तैयार नहीं है. बताते चलें कि अब्दुल क़्यूम अंसारी का परिवार अब पटना शहर में रहता है.
डेहरी के रहने वाले जावेद अंसारी बताते हैं कि किसी ज़माने में ये बहुत खूबसूरत हुआ करता था. मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है इस हवेली को. ऊपर हॉल में खूबसूरत झूमर लगे हुए थे. आसपास की ज़मीनो में बहुत से फूल पौधे लगे थे. लेकिन आज देखकर लगता है किसी वीरान मंज़र ने उसकी जगह ले ली है. ये वाक़ई हैरत करने वाली बात लगती है कि इतने बड़े स्वतंत्रता सेनानी की विरासत इस हाल में आ चुकी है.
वही लड्डन मियां कहते हैं, सरकार और परिवार वालों की तरफ़ से ध्यान नहीं देने से इस इमारत की ये हाल हुई है. कुछ वक़्त पहले तक इसे जुए और शराब का अड्डा कहा जाता था, लेकिन अब वर्तमान में स्थानीय पुलिस प्रशासन के कुछ सिपाही और होम गार्ड के जवान यहां रह रहे हैं.
बताते चलें कि इस बिल्डिंग के बाहरी हिस्सा का इस्तेमाल पुलिस के ज़रिए ज़ब्त की गई गाड़ियों को खड़ा करने के लिए किया जा रहा है. वहीं कुछ हिस्से को कब्ज़ा कर लोगों द्वारा अपना झुग्गी-झोंपड़ी बना लिया है.
इन्हीं झुगियों में रहने वाली गोरकी देवी कहती हैं, हमारे रहने का कोई ठिकाना नहीं है, इसलिए यहां रह रहे हैं. यहां से अगर झुग्गी हटी तो कहीं और जाना पड़ेगा.
यहां रहने की इजाज़त आपको किसने दी? इस सवाल पर वो बताती हैं कि डीआईजी साहब की अनुमति से हम लोग यहां रह रहे हैं. इसके अलावा वो कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुई.
इस मामले में प्रशासन भी अपना पल्ला झाड़ते नज़र आई. यहां रहने वाले पुलिस जवानों से बात करने पर उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ़ इंकार कर दिया और हमारे किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार नहीं हुए.
बताते चलें कि अब्दुल क़्यूम अंसारी ऐसे नेता थे, जिन्होंने मोहम्मद जिन्नाह के द्विराष्ट्र सिद्धांत और भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के ख़िलाफ़ जमकर विरोध किया था. उन्होंने ऑल इंडिया ‘मोमिन कॉन्फ्रेंस’ के माध्यम से पूरी अंसारी बिरादरी को स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा और हिन्दुस्तान को अपना मुल्क़ मानते हुए पाकिस्तान न जाने से रोक दिया था.