अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
फुलवारी शरीफ़ : पटना का फुलवारी शरीफ़ पिछले कई सालों से धीमे-धीमे सुलग रहा है. अब इसी सुलगते चिंगारी में आग लगाने की पूरी तैयारी नज़र आने लगी है.
बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का मामला भले ही देश के सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हो, लेकिन बजरंग दल व विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों का कहना है कि अब हम अदालत की बात बिल्कुल नहीं सुनेंगे, हर हाल में मंदिर वहीं बनाएंगे. दरअसल ये लोग वही बयान दोहरा रहे हैं, जिसे पिछले धर्म-संसद में बोला था.
फुलवारी शरीफ़ की पुलिस-प्रशासन को भले ही इस बात की सूचना न हो, लेकिन पटना के कई प्रमुख जगहों पर लगे होर्डिंग बता रहे हैं कि आगामी 6 दिसम्बर को फुलवारी शरीफ़ के इशोपुर में राय चौक पर विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता राम मंदिर निर्माण को लेकर विराट प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
ये संवाददाता जैसे ही फुलवारी शरीफ़ थाना से आगे बढ़ता है, यहां लगे उर्स की भीड़ बढ़ती जा रही है. ‘इस्लाम ज़िन्दाबाद…’ क़व्वाली की धुन बड़े लाउडस्पीकर पर ज़ोरदार तरीक़े से बज रहा है. ईसापुर पुल से आगे अबु बक़र मस्जिद की तामीर का काम चल रहा है. बाहर बैठे कुछ लोग इसके लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.
फिर जैसे-जैसे हरिजन टोला से आगे बढ़ते हैं, मुस्लिम आबादी कम होती जाती है. अब हम इशोपुर के राय चौक पर हैं. यहां मंदिर के सामने कुछ नौजवान सर पर भगवा पगड़ी बांधे आपस में बात कर रहे हैं.
उनसे पूछने पर कि 6 दिसम्बर को ये ‘विराट प्रदर्शन’ यहीं से निकलेगा, तो 19 साल के रमेश का कहना है कि, हां, हम यहीं से रामलला के लिए अपनी यात्रा निकालेंगे.
और अगर प्रशासन ने मना किया तो? प्रशासन क्यों मना करेगा. वो भी रामलला के मुद्दे पर हमारे साथ है. और हां, अगर किसी ने हमें रोका तो हमें निपटने आता है. इस बार तो लाश बिछा देंगे. रमेश के दूसरे साथी भी जोश में आ चुके थे. उनका हौसला देखने लायक़ था.
तभी कुछ और लोगों ने आकर उन्हें बोलने से मना कर दिया. इस संवाददाता ने जब फोटो लेने की कोशिश की तो इसके लिए भी रोक दिया गया. आगे बात करने की कोई गुंजाईश नहीं बची थी.
अब हम फिर से मुस्लिम आबादी की ओर लौट चुके थे. लोग ईद मिलादुन नबी का जश्न मनाने में मग्न थे.
73 साल के बुजुर्ग अब्दुल रज़्ज़ाक़ से बात करने पर वो कहते हैं कि, हमें इससे क्या मतलब कि वो क्या कर रहे हैं. उनकी सरकार है. अब तो नीतिश कुमार भी उनके ही सीएम हैं, ये अलग बात है कि बने हमारे वोट से हैं. वो जो चाहे कर सकते हैं. बस हम शांति चाहते हैं.
वहीं क़रीब 60 साल के इस्माईल मियां कहते हैं कि, आबादी में तो हम ही ज़्यादा हैं बाबू, लेकिन सबसे कमज़ोर हम ही हैं. उन्हें प्रशासन का साथ जो मिल जाता है. हम तो अपने बच्चों को यही समझाते हैं कि अब थोड़ा सा दबकर रहना सीखना होगा. अब देखिए 6 दिसम्बर को प्रशासन क्या करता है.
पास ही कुछ नौजवानों से बात करने पर वो कहते हैं कि, भईया! शांति तो हम भी चाहते हैं, लेकिन वो हमें शांत रहने कहां देते हैं. खामोशी से रैली निकालेंगे और जहां जाना है जाएं, हमें इससे क्या मतलब? लेकिन हमारे बारे में अनाप-सनाप बोलेंगे तो हम भी कब तक बर्दाश्त करेंगे. यहां अलग-अलग नौजवानों की अपनी-अपनी बातें थी. गुस्सा इधर भी साफ़ नज़र आ रहा था.
इस बारे में फुलवारी शरीफ़ थाना के इंस्पेक्टर अजीत कुमार का कहना है कि, इसकी इजाज़त प्रशासन की तरफ़ से नहीं है. वो कुछ नहीं कर पाएंगे. उसको हर हाल में रोका जाएगा. उन्होंने सरकार या प्रशासन को कुछ भी लिखित में नहीं दिया है. वहीं डीएसपी रामाकांत प्रसाद भी TwoCircles.net से बातचीत में कहते हैं कि, प्रशासन कहीं कोई अनुमति नहीं है.
प्रशासन को भले ही इसकी कोई जानकारी न हो, लेकिन पटना शहर में लगे होर्डिंग यह भी बता रहे हैं कि बिहार के सीतामढ़ी से 3 दिसम्बर को राम जन्मभूमि के लिए अयोध्या तक ‘मां जानकी ज्योति एवं राम रथ यात्रा’ निकाली जाएगी. ये यात्रा 04 दिसम्बर को फुलवारी शरीफ़ के संघत से महावीर मंदिर होते हुए अगमकुंआ तक जाएगी. इस यात्रा का आयोजन हिन्दू समाज पार्टी की ओर से की गई है.
गौरतलब रहे कि गंगा जमुनी संस्कृति वाले फुलवारी शरीफ़ का एक लंबा धार्मिक इतिहास रहा है. कहा जाता है कि प्राचीन समय में फुलवारी शरीफ़ एक ऐसा क्षेत्र था, जहां सूफ़ी संतों ने अपने धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कृत्यों द्वारा प्रेम और सहनशीलता का संदेश फैलाया था. लेकिन आज यह इलाक़ा पिछले एक साल से लगातार हो रहे साम्प्रदायिक तनाव वाले हादसों से परेशान है. साम्प्रदायिक ताक़तें अब इस फुलवारी शरीफ़ का नाम फुलवारी श्री कर देना चाहते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि यहां भी एक लड़ाई इस इलाक़े के नाम को लेकर है. मुस्लिम लोग इस इलाक़े का नाम ईसापुर बताते हैं, लेकिन बाकी लोगों का कहना है कि यह इशोपुर है… और इशोपुर में लगातार साम्प्रदायिक तनाव वाले घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से जो पहल होनी चाहिए, वो कहीं नज़र नहीं आती है.
खुद यहां के जदयू विधायक श्याम रजक इसी साल मार्च महीने में यह कह चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी देश में साम्प्रदायिक शक्तियों को बढ़ावा देकर तनाव का माहौल बनाने में लग गई है, ऐसे लोगों से सतर्क और सावधान रहने की ज़रूरत है. जदयू तब महागठबंधन की सरकार में थी.
पहले भी होती रही है यहां साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाली घटनाएं
साल 2015 में चुनावी नतीजे आने के कुछ ही दिनों बाद इसी फुलवारी शरीफ़ थाना से सटे इलाक़ा इसापुर में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का मामला प्रकाश में आया था. दीवाली के अगले दिन देवी लक्ष्मी के प्रतिमा विसर्जन के दरम्यान जमकर मारपीट व पथराव हुआ, जिसमें तीन पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हो गए. इस घटना में कई दुकान व वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए थे. उसके बाद तो इन दो सालों में यहां लगातार छिटपूट घटनाओं का दौर जारी है.
इसी साल अक्टूबर महीने में दिवाली के मौक़े पर यहां फिर से साम्प्रदायिक तनाव फैलाकर माहौल बिगाड़ने की पूरी कोशिश की गई थी. मामला दिवाली की रात जुआ खेलने के दौरान एक युवक के साथ मारपीट का था.
अगस्त महीने में मोबाइल पर वायरल मैसेज को लेकर शुरू हुए विवाद ने फुलवारी शरीफ़ में एक युवक की जान ले ली थी. मृतक अपने छोटे भाई के झगड़े को सुलझाने गया था और अपराधिओं ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. मृतक डेढ़ महीना पहले ही सउदी अरब से घर वापस लौटा था. इस घटना के बाद भी यहां कई दिनों तक साम्प्रदायिक तनाव का माहौल रहा.
यही नहीं, अगस्त महीने में ही फुलवारी शरीफ़ से सटे खगौल के जमालुद्दीन चक में बजरंग दल द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर निकाले गए तिरंगा जुलूस के दौरान आपत्तिजनक नारों और पथराव के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी.